देसी भाभी गांड पोर्न कहानी में पढ़ें कि मुझे अपने चचेरे भाई की बीवी की चुदाई में बहुत मजा आता था. वो भी खूब मजे से चुदती थी. पर भाई को शक हो गया था.
दोस्तो, मैं अपने चचेरे भाई की दिलकश बीवी को चोद चुका था और उसके घर में ही था.
ये सब पढ़ने के लिए आपको सेक्स कहानी के पिछले भाग
चचेरे भाई की बीवी को फिर चोदा
का लिंक दिया है. प्लीज़ उसे जरूर पढ़ें.
अब आगे देसी भाभी गांड पोर्न कहानी:
एक बेहद थका देने वाली चुदाई के बाद हम दोनों ने थोड़ा सा आराम किया.
‘मैं चाय बना कर लाती हूँ.’
हुस्न की मलिका रेनू अपने मोटे-मोटे हिप्स आपस में रगड़ती हुई किचन में चली गयी.
मैं फिर से किचन में गया और देखा कि नंगी रेनू चाय के पैन को हिला रही थी.
इतने गदराए ज़िस्म को बिना कपड़ों के देखना सच में सौभाग्य की बात थी.
रेनू के हिप्स पहले से और ज्यादा माँसल और चौड़े से हो गए थे. रेनू का सामने का लुक बहुत सेक्सी था.
मासूम चेहरा, झील सी गहरी आंखें, रस से भरे होंठ, सुराहीदार गर्दन, सुंदर कंधे, बड़े-बड़े स्तन, समतल पेट, गहरी नाभि, पतली कमर, तिकोनी छोटी सी चूत का कटाव, हल्की मोटी जांघें.
उसका ये रूप किसी भी पुरुष की कामाग्नि को भड़का सकता था.
हाथ में चाय लिए रेनू किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, उसके बड़े स्तन मुझे दूध पीने का निमंत्रण दे रहे थे.
‘अभी चाय पी लो, वो बाद में पी लेना.’
ये कहकर रेनू ने आंख मारी.
‘रेनू, जब तुम साड़ी पहनकर चलती हो, तो तुम्हारे हिप्स इतने सेक्सी लगते हैं कि क्या बताऊं. पता नहीं कितनों के दिल में आग लगा जाते होंगे. मेरा तो मन करता है कि तुम्हारे हिप्स को फ्रेम करा लूं और रात-दिन देखता रहूँ.’
वो हंसने लगी.
मैं बेड पर बैठ गया और चाय ले ली.
रेनू भी मेरी दोनों टांगों को चौड़ा कर, मेरे लंड से अपने मोटे चूतड़ सटा कर बैठ गयी और चाय पीने लगी.
मेरे लंड के लिए अब रुक पाना मुश्किल सा हो गया था; वो रेनू की गांड की दरार में घुसने लगा था.
मैं एक हाथ में गर्म चाय का कप लिए था और दूसरे हाथ से रेनू की गर्म चूत को सहलाने लगा.
बाद में चूत सहलाते और चाटते समय उसकी चूत के कुछ बाल मुँह में आ जाते थे, जिन्हें मैं होंठों से पकड़ कर खींच देता था.
इससे रेनू की आह निकल जाती.
अचानक मेरे मन में ख़्याल आया कि क्यों ना आज रेनू की चिकनी चूत के दर्शन किए जाएं.
क्योंकि उसकी चूत के बाल कुछ ज्यादा ही बढ़ गए थे.
उसकी चूत के बाल एकदम काले और घुंघराले सिल्की से थे.
‘रेनू, आओ आज तुम्हारी चूत को झाड़ियों से मुक्त कर दूँ. मुझे तुम्हारी चिकनी चूत देखनी है.’
‘नहीं, मुझे नहीं करवानी है, कहीं कट गयी, तो गड़बड़ हो जाएगी. मैं खुद ही बाद में साफ़ कर लूँगी.’
चाय खत्म करके मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और चूचकों को मसलने लगा.
रेनू सिसियाने लगी.
मैंने पूछा कि शेविंग किट कहां रखी है?
‘प्लीज मान जाओ न, अगली बार आओगे तो चिकनी ही मिलेगी. तब जी भरके देख लेना.’
‘अरे घबराओ मत, कुछ भी नहीं होगा. मैं बहुत धीरे से करूंगा.’
उसने बड़ी मुश्किल से रेनू ने शेविंग किट दी.
मैंने उसमें से रेजर निकाल लिया और उसमें एक नया ब्लेड लगा लिया.
अब मैंने उसको बेड पर सीधा लेटने को बोला.
‘रेनू सीधी लेटकर थोड़ी सी टांगें चौड़ी कर लो. मैं बहुत प्यार से करूँगा, डरो मत.’
उसने मेरी बात मान ली और टांगें चौड़ी करके सीधी लेट गयी.
उसको इस पोजीशन में देखकर मन कर रहा था कि पूरा लंड इसकी लपलप करती चूत में उतार दूँ.
मैंने देखा कि उसकी बग़लों के बाल भी बढ़ गए थे और वो बाल मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे.
मैंने उसकी चूत के बालों को थोड़ा सा गीला किया और बालों को सहलाकर मुलायम करने लगा.
फिर उसकी झांटों में शेविंग क्रीम लगाकर थोड़ा सा झाग बना दिया.
मैं महसूस कर रहा था कि शेविंग क्रीम के झाग के अन्दर स्वर्ग के दरवाजा छुपा था.
रेनू को गुदगुदी हो रही थी, वो अपने हिप्स मटका रही थी.
जैसे ही मैंने रेजर उसकी झांटों के ऊपर चलाया, उसके पूरे बदन में एक कम्पन हुआ और उसकी चूत थोड़ी सी सिकुड़ गयी.
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत के ऊपरी भाग के बाल साफ कर दिए. अब मुझे उसकी छोटी सी चूत के दोनों होंठों के बाल साफ करने थे.
मैंने बहुत सावधानी से उसकी चूत के बाल हटाने शुरू किए.
रेनू चूत को सिकोड़ने लगी.
जैसे-जैसे चूत के बाल साफ होते जा रहे थे, उसकी चूत का सौंदर्य निखरता जा रहा था. ऐसा लग रहा था मानो काले बादलों के बीच तिकोना चाँद निकल रहा हो.
उसकी साफ होती चूत देखकर लंड अकड़ता जा रहा था.
कुछ ही देर में उसकी चूत के सारे बाल, गांड के छेद तक साफ हो गए थे.
मैंने थोड़ा पानी लेकर शेविंग क्रीम साफ की और तौलिये से उसकी चूत को साफ कर दिया.
उसके बाद मैंने उसकी चूत पर ऑफ्टर सेव लोशन गया, तो रेनू ने बिलबिलाते हुए दोनों हाथों में अपनी चूत भर ली.
लोशन ने उसकी चूत को बर्फ सी ठंडक दे दी था. इससे उसे झुरझुरी होने लगी थी.
एक छोटी सी कसी हुई चूत एक नई नवेली दुल्हन सी लग रही थी मानो अभी तक इसकी नथ न उतरी हो.
उसकी चूत की दरार के बीच भगनासा की घुण्डी निकली हुई थी.
मैंने उसकी चूत की दरार को फैला दिया.
अन्दर छोटी सी भगनासा, छोटा सा मूत्रद्वार और गुलाबी रंग का छोटा सा योनिद्वार साफ दिख रहा था.
रेनू जैसे ही सांस लेती, चूत के अन्दर एक खिंचाव सा होता.
मुझसे नहीं रहा गया. मैंने उसकी पूरी चूत मुँह में भर ली और चूसने लगा.
‘रेनू, तुम्हारी चूत सच में स्वर्ग का द्वार है. चिकनी होकर तो इसमें और भी निखार आ गया है. मेरा मन कर रहा कि तुम्हारी चूत को खा जाऊं.’
‘तुमने तो सच में सारे बाल साफ कर दिए. रात में इसे छुपाना पड़ेगा, नहीं तो इसकी रात में भी ठुकाई पक्की है.’
‘लाओ तुम्हारी बग़लों के बाल भी निकाल दूँ.’
रेनू से हाथ ऊपर उठा दिए, उसके दोनों स्तन पहाड़ की चोटियों जैसे तन गए.
कुछ ही देर में रेनू ऊपर से नीचे तक चिकनी थी.
मैं उसकी ड्रेसिंग टेबल से बोरोप्लस ले कर आया और चूत के अन्दर बाहर और उसकी गांड के छेद के अन्दर अच्छे से क्रीम लगा दी ताकि उसको जलन न हो.
कुछ क्रीम मैंने लंड के लिंगमुंड पर भी मल ली.
‘रेनू, अभी दो दिन बाद जब चूत पर फिर बाल आएंगे, तो तुमको बहुत खुजली होगी. मुझे खुजली मिटाने के लिए बुला लेना.’
‘हम्म … अब पहले मुझे नहाना है.’
वो उठी और बाथरूम में चली गयी.
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था.
वो बैठकर कपड़े धो रही थी. उसके दोनों स्तन झूले से हिल रहे थे.
कपड़े धोने के बाद उसने शॉवर चला दिया और पानी उसके बदन पर गिरने लगा.
रेनू के बदन से पानी ऐसे गिर रहा था मानो कोई झरना पहाड़ियों के बीच से निकल रहा हो.
उसके तने हुए चूचकों के ऊपर पानी की बूंदें मोती जैसी लगी रही थीं.
उसकी चूत से टपकता हुआ पानी ऐसे लग रहा था कि मानो रेनू की चूत झरने की स्रोत हो.
उसके माँसल नितंबों से बहता हुआ पानी मेरे लंड में आग लगा रहा था.
मैंने रेनू के पास जाकर उसके बदन पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. उसके चिकने बदन पर साबुन फिसल रहा था.
इतने में रेनू ने बैठ कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
आज पानी आग लगा रहा था.
रेनू भीगती हुई लंड को चूस रही थी और वो लंड को अपने गले तक ले जा रही थी.
वो अपने दोनों हाथों से अण्डकोषों को सहला रही थी.
मैं फिर से उसकी चूत को चोदने के मूड में आ गया था.
मैंने रेनू को खड़ा किया और टांगों के बीच बैठ कर उसकी चिकनी चूत को चूसने लगा, साथ ही उसकी गांड को उंगलियों से चोदना शुरू कर दिया.
उसकी गीली और चिकनी चूत चूसने में आज मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था.
मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ कर उसे अपने करीब खींचा और उंगलियों से उसकी चूत की चुदाई करने लगा. मुँह भी चूत को चूम चूस रहा था.
मैं बीच-बीच में उसकी चूत को काट भी ले रहा था, जिससे वो चिहुंक उठती थी.
कुछ ही देर में रेनू के माँसल चूतड़ झटके मारने लगे थे और वो हांफने लगी थी.
शायद वो झड़ने की कगार पर थी. उसी वक्त उसने झुरझुरी सी ली और अपना बदन अकड़ा कर झड़ गई.
उसकी चूत का सारा पानी फव्वारे के पानी से धुलता चला गया, मुझे उस खट्टे रस का कम ही स्वाद मिल पाया.
अब मैंने रेनू के पीछे आकर उसको अपनी बांहों में पकड़ लिया और उसके स्तनों को दबाने लगा.
मेरा लंड रेनू के दोनों हिप्स के बीच फँस गया था. मैं रेनू की गर्दन और पीठ को चूमने लगा था. इससे रेनू फिर से गर्मा गई और अब उसको लंड चाहिए था.
‘मत तड़पाओ अब, डाल दो प्लीज, अन्दर आग सी लग रही है.’
मैंने रेनू थोड़ा सा झुकाया और पीछे से चूत में लंड पेल दिया.
रेनू आह आह करने लगी.
जैसे ही धक्का लगता, उसके स्तन हिल जाते.
रेनू झुकी झुकी थक सी गयी थी.
फिर मैंने रेनू को शॉवर के नीचे सीधा लिटा दिया और उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख लिया.
इससे उसकी चूत का मुँह खुल सा गया.
उसकी भीगती हुई चूत के छेद पर मैंने लंड टिकाया और धीरे से अन्दर डालना शुरू किया. लंड और पानी दोनों चूत में जा रहे थे.
जैसे ही मेरा लंड रेनू की चूत में जाकर अन्दर बच्चेदानी से टकराया, रेनू ने अपने हिप्स एकदम से उठा दिए.
आज सच में रेनू की चूत आग की भट्टी जैसी थी.
मुझे लगा कि लंड कहीं पिघल न जाए.
रेनू की टांगें कंधों पर होने से लंड चूत में ज्यादा अन्दर तक गया था और रेनू को मस्ती में ला रहा था.
वह भी हर धक्के पर अपने चूतड़ों को उछाल कर ज़बाब दे रही थी. वो पूरा लंड चूत में समा लेना चाह रही थी.
जैसे ही धक्का लगता, पानी की वजह से फच-फच की आवाज आने लगती.
आज चुदाई सामान्य से कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी.
रेनू की अब हालत खराब हो रही थी, उसकी चूत तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
‘कितनी देर और रगड़ोगे मेरी छुटकी को … अब अपना रस पिला दो. ये बहुत प्यासी है!’
मैंने और रेनू ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी.
फिर मैंने चूत से लंड निकाल लिया, इससे रेनू तड़प उठी और मुझे हसरत से देखने लगी.
मैंने लंड उसकी गांड के छेद पर रखा.
वो मचलने लगी- गांड में मत डालो प्लीज, देखो मेरे हिप्स पहले से चौड़े से हो गए हैं. कुछ सलवारों में तो बड़ी मुश्किल से जाते हैं.
मैंने एक ना सुनी और एक कसके धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड गांड में समा गया.
रेनू चीख पड़ी और उसने बचा हुआ लंड हाथ से पकड़ लिया.
‘तुमने क्या आज गांड फाड़ने की प्लानिंग कर रखी है? लास्ट टाइम कितने प्यार से किया था, उसी तरह से करो, नहीं तो आधा अन्दर नहीं जाने दूँगी.’
‘सॉरी यार, अब प्यार से करूँगा. अब तो छोड़ दो प्लीज!’
मैंने पूरा लंड उसकी गांड में डाल दिया.
आज भी रेनू की गांड पहली बार जितनी कसी हुई थी.
मैंने क़रीब 5 मिनट तक देसी भाभी की पोर्न गांड को चोदा.
जैसे लंड गांड से निकाला, तो देखा कि गांड का छेद खुल सा गया था.
मैंने फिर से उसकी चूत में लंड डाल कर धकापेल चुदाई शुरू कर दी.
रेनू भी पूरा साथ दे रही थी.
मेरे मुँह में उसके चूचक थे. उसकी चूत में मेरा लंड सटासट चल रहा था.
ये दोनों एक साथ होने से चुदाई का अलग ही मज़ा मिल रहा था.
मैंने उसके स्तनों को कस के पकड़ा और एक धक्के में सारा गर्म-गर्म लावा उसकी चूत में उगल दिया.
रेनू ने दोनों टांगों को मेरी कमर में लपेट लिया और मेरे मुँह में फिर से अपने एक चूचक को घुसेड़ दिया.
आज रेनू मेरे वीर्य की हर बूंद अपनी चूत के अन्दर ले जाना चाहती थी. उसके चेहरे पर थकान और संतुष्टि साफ दिख रही थी.
हम दोनों के मुख मंडल पर सम्पूर्ण संतुष्टि के भाव दिख रहे थे.
कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और मैं अपने कपड़े पहन कर उसके घर से निकल गया.
आपको मेरी देसी भाभी गांड पोर्न कहानी कैसी लगी, प्लीज़ बताएं.
[email protected]