देसी विलेज सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपने बुआ के बेटे से चुद चुकी थी. हमारा मन था कि हम एक बार और चुदाई करें. इस बार हमने गन्ने के खेत में सेक्स किया.
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साथियो, मैं आपकी सुहानी चौधरी, अपनी चुदाई कहानी में आपको मजा देने के लिए फिर से हाजिर हूँ.
मेरी पिछली कहानी
गांव में फुफेरे भाई के साथ रंगरलियां
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे फुफेरे भाई विपिन ने मुझे चोद दिया था और हम दोनों अलग हो गए थे.
अब आगे देसी विलेज सेक्स कहानी:
मैं खुद को साफ़ करके विपिन को देख ही रही थी कि तब तक उसने एक सरिए की मदद से दरवाजा खोल दिया.
मैंने कहा- जब सरिया था तो पहले क्यों नहीं खोला?
विपिन हंस कर बोला- बस मन नहीं था, आपको आधे अधूरे कपड़ों में देखने का मन था, पर देख तो बिना कपड़े के भी लिया.
मैंने कहा- ठीक है, अब देख भी लिया और चोद भी लिया. अब तेरा मन भर गया हो, तो मेरे कपड़े लाकर दे.
विपिन बाहर से मेरे सूखे हुए कपड़े ले आया और हम दोनों ने कपड़े पहन लिए.
उसके बाद कुछ देर हम और रुके.
शाम हो चली थी तो हम वापस घर के लिए निकल लिए.
रास्ते से मैंने विपिन से पूछा- सेक्स करने के लिए तुम अपनी गर्लफ्रेंड को ट्यूबवेल पर ले जाते होगे ना!
विपिन बोला- हां कभी कभी … वरना ज़्यादातर तो गन्ने के खेत में ही कर लेता हूँ.
मैंने कहा- गन्ने के खेत में ये काम भी होता है?
विपिन बोला- अरे दीदी, आपको क्या पता गांव में कहां कहां और कैसे कैसे काम होता है. आपको अपना काम क्या गन्ने के खेत में भी करवाना है?
मैंने कहा- आज के लिए इतना काफी है, फिर कभी.
विपिन बोला- फिर कभी कब, अगले हफ्ते तो आप वापस शहर चली जाओगी.
मैंने कहा- चिंता मत कर जाने से पहले एक बाद चुदवा कर जाऊंगी, बस किसी को बताइओ मत कि तूने अपनी दीदी की चूत ही चोद दी.
विपिन बोला- अरे दीदी, मैं इतना पागल थोड़े ही हूँ … किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा.
फिर हम दोनों घर पहुंच गए और अगले कुछ दिन सबके साथ व्यस्त हो गए.
बीच बीच में हम कभी चोरी चोरी मिल कर किस वगैरह कर लेते थे पर सेक्स का प्रोग्राम नहीं बन पा रहा था.
अगले दिन मुझे अपने घर के लिए निकलना था, तो विपिन मेरे पास उस वक्त आया, जब मेरे आसपास कोई नहीं था.
उसने आते ही कहा- दीदी चलें क्या?
मैं एकदम से समझ नहीं पायी तो मैंने पूछा- कहां चलें?
वो बोला- अरे वहीं गन्ने के खेत में.
मुझे ध्यान आया तो मैंने कहा- अरे नहीं यार, फिर कभी आऊंगी, तब कर लेना. अभी तो निकलना मुश्किल है.
पर विपिन भी ज़िद करने लगा.
मैंने कहा- क्या बहाना करके निकलेंगे?
विपिन बोला- देखो, मैं कुछ महमानों को स्टेशन छोड़ने जा रहा हूँ, आप भी बाजार का बहाना करके साथ चली चलो.
मैंने कहा- पर मुझे तो बाजार से कुछ लाना ही नहीं है.
विपिन वहां से चला गया और अपने पापा को जा कर बोल दिया कि सुहानी दीदी को बाज़ार से कुछ लाना है, तो वो भी चलने को कह रही हैं.
उन्होंने दूर से ही कह दिया- हां बेटा सुहानी चले जाओ, ये मेहमानों को छोड़ने जा रहा है, तुम्हें भी ले जाएगा.
फिर क्या था … मैं भी उन सबके साथ गाड़ी में बैठ गयी.
क्योंकि स्टेशन दूर था तो टाइम तो लगने वाला था.
सबसे पहले हम लोग ने महमानों को स्टेशन छोड़ा और फिर वापस जल्दी से गांव की तरफ आ गए.
विपिन ने अपने दोस्त को फोन किया और बोला- सब तैयार है ना … हम आ रहे हैं.
जब उसने फोन काट दिया तो मैंने पूछा- कौन था?
उसने कहा- वो दोस्त का खेत है गन्ने का … तो वहां कोई आता नहीं है क्योंकि सारी खेतीबाड़ी वही देखता है. हम वहां जाएंगे और अपना काम करके आ जाएंगे.
कुछ देर में हम उसके खेत में पहुंचे.
विपिन ने अपनी गाड़ी एक पेड़ के नीचे लगा दी और अपने दोस्त को खेत के रास्ते पर नजर रखने को भेज दिया.
फिर उसने बोला- आओ दीदी फटाफट.
मैंने मुँह लपेटा और चुपचाप उसके पीछे चलने लगी.
थोड़े कंटीले पत्तों को पार करके हम खेत के बीचों-बीच पहुंच गए.
वहां तो जमीन पर पूरा इंतेजाम था.
उसके दोस्त ने थोड़ी सी जगह बिल्कुल साफ की हुई थी और वह थोड़ी सूखी घास पर एक दरी डाल रखी थी.
मैंने कहा- ये सब क्या है, मैं नहीं करूंगी यहां पर!
विपिन बोला- अरे दीदी नखरे मत करो … जल्दी से आ जाओ.
मैंने कहा- नहीं, मैं जा रही हूँ.
पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर जमीन पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठ जोर जोर से चूमने लगा.
थोड़ी देर तक मैंने भी विरोध सा किया और ‘उन्हहह … उन्हहह …’ करती हुई उसको खुद से अलग करने की कोशिश करती रही.
पर फिर उसने सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत को भींच दिया, तो मेरे शरीर में सिहरन सी उठ गयी और मेरा मन बदलने लगा.
अब तो मैं भी उसे किस करने लगी.
एक एक करके विपिन अपने कपड़े उतारने लगा और उसने मुझे भी बैठा दिया.
फिर उसने कहा- चलो दीदी, अपने कपड़े तो उतारो.
मैंने कहा- पागल हो क्या … यहां खुले में … कोई आ जाएगा.
विपिन बोला- अरे दीदी, यहां कोई नहीं आता … मेरा दोस्त सब संभाल लेगा. ये गांव का होटल समझो, यहां ऐसे ही खुले में ही चुदाई होती है.
उसने थोड़ी सी जबरदस्ती करके मेरा कुर्ता ऊपर करके उतार दिया और सलवार का नाड़ा भी खोल दिया.
फिर मैंने सोचा कि चल बेटा सुहानी फटाफट चुदवा ले, ये बिना चोदे तो मानेगा नहीं.
मैंने तुरंत ब्रा-पैंटी के साथ अपने सारे कपड़े उतार दिए.
मेरे कपड़े उतारते ही विपिन ने मुझे अपने नीचे लिटा दिया और मेरे पूरे जिस्म को ऊपर से नीचे जाते हुए चूमने लगा.
मेरी आंखें मदहोशी में बंद हो गईं और वो मेरे एक एक अंग को चूमता हुआ नीचे जा रहा था.
मेरे मुँह से ‘उम्महह … उमह्ह …’ विपिन निकल रहा था.
उसने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया और मुझे बहुत मजा आने लगा.
मैंने घुटने मोड़ लिए और उसका सिर टांगों के बीच में फंसा लिया.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं मछली की तरह मचल रही थी.
कुछ देर में मेरी चूत में खलबली मच गयी और उसने एक झटके में पानी छोड़ दिया.
मैं गहरी सांस लेते हुए सुस्ताने लगी.
कुछ देर बाद विपिन बोला- चलो दीदी, मेरा लौड़ा चूसो अब, फटाफट चुदाई करते हैं.
मैं जमीन पर ही बैठ गयी और वो मेरे सामने खड़ा हो गया. मैं भी जल्दी जल्दी उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
कुछ ही देर में उसका लंड पूरा खड़ा हो गया.
मैंने कहा- मुझे यहां डर लग रहा है, अब तू जल्दी से चोद ले.
मैं वहीं कमर के बल लेट गयी और टांगें मोड़ कर चूत खोल दी.
विपिन मेरे ऊपर आ कर झुका और उसने एक नजर भरके मेरी आंखों में देखा.
फिर वो मुस्कुराते हुए अपने लंड को छुआ छुआ कर चूत का रास्ता ढूंढने लगा.
मेरे से भी रुका नहीं जा रहा था, मैंने हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया.
मैंने बोला- ये रहा रास्ता चूतिए … अब पेल जल्दी से.
विपिन मुस्कुराया और वो धीरे धीरे नीचे झुकते हुए अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा.
मुझे हल्की सी चीस हुई तो मेरे मुँह से ‘स्सी …’ निकल गयी.
विपिन बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं तुम चोदना शुरू करो भोसड़ी के … ज्यादा टाइम नहीं है.
विपिन बोला- अरे दीदी, काफी टाइम है और आप गाली देती हो न तो मुझे बड़ा मजा आता है.
मैं मुस्कुरा दी और मैंने कहा- तू भी दे दिया कर … गाली के साथ चुदाई में ज्यादा मजा आता है.
वो खुश हो गया और बोला- ले साली रंडी लंड का मजा ले.
ये कह कर उसने तेज तेज झटके मारते हुए मुझे चोदना शुरू कर दिया.
विपिन ‘उम्महह … उमह्ह …’ करते हुए मुझे चोद रहा था.
मैं भी हल्के हल्के स्वर में ‘आ … आहह … आहह … चोद हरामी भैनचोद स्सी … स्सी …’ करती हुई उसके धक्कों से ऊपर नीचे हिल रही थी.
मुझे ऐसे चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद विपिन मेरे ऊपर पूरा लेट गया और लंड डाले डाले ही ऊपर नीचे होते हुए मुझे चोदने लगा था.
इस तरह मेरी चुदाई 5-6 मिनट चली.
फिर जब हम दोनों थोड़ा थक गए तो विपिन ऐसे ही मेरे ऊपर लेट गया.
हम दोनों सांस भरते हुए ऐसे ही सुस्ता रहे थे.
कुछ देर बाद विपिन के दोस्त ने खेत के बाहर से आवाज दी.
वो बोला- विपिन जल्दी कर यार … और कितना टाइम लगेगा.
विपिन बोला- आ रहा हूँ बहनचोद … बस होने वाला है.
इसके बाद मैंने कहा- चलो जल्दी जल्दी करो अब!
विपिन बोला- ठीक है, फिर घोड़ी बन जाओ.
मैं वहीं पर घोड़ी बन गयी.
इसके बाद विपिन मेरे पीछे आया और मेरी चूत पर अपना लंड लगा दिया.
उसने मेरी कमर हो दोनों हाथों से पकड़ा और अपना सख्त लंड टिकाए हुए बोला- तैयार हो जा मेरी रंडी दीदी, अब तेज तेज चोदूंगा.
मैंने कहा- तो चोद ना बहनचोद, देखती हूँ कितना दम है तेरे लौड़े में.
विपिन बोला- अच्छा भोसड़ी की दम देखना है तुझे मादरचोदी … अब देख दम हरामजादी.
ये कह कर उसने एक झटके में पूरा लंड अन्दर तक पहुंचा दिया.
मुझे आगे को धक्का लगा, पर मैं तुरंत ही वापस उसी पोजीशन में आ गयी.
फिर तो विपिन ने अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदना शुरू कर दिया.
वहां हम दोनों के जिस्म टकराने की पट्ट-पट्ट की जोर की आवाज आने लगी.
मैं ‘आहह … आहह … स्सी … स्सी … आहह … मर गयी …’ करने लगी.
विपिन अपनी पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था और ‘हम्म … हम्म … हम्म …’ करते हुए मेरे दूध मसलता हुए मुझे चोदता जा रहा था.
कुछ देर बाद विपिन मेरी कमर पर फिर से झुक गया.
वो बगल से हाथ नीचे लाकर मेरे बूब्स को जोर जोर से मसलते हुए भींचने लगा और मुझे चोदता रहा.
मेरे मुँह से अब निकलने लगा था- आहह … विपिन … स्सी … जोर से मत दबाओ … दर्द हो रहा है … आहह… प्लीज … रुक जाओ … मेरा निकल रहा है.
पर विपिन तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.
ऐसे ही चुदवाते हुए जब लगभग दस मिनट हो गए तो मुझे पता चल गया कि अब मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने कहा- आहह … विपिन और तेज और तेज … मैं झड़ने वाली हूँ और तेज.
विपिन ने कहा- हां आहह … दीदी आहह … ले लंड का मजा ले आंह आह साली लंड का रस चूस ले अपनी चूत में.
उसी समय मैंने एक बार जोर से आहह … भरी और मेरी चूत ने फच्छ फच्छ करके झड़ना शुरू कर दिया.
देसी विलेज सेक्स में मुझे चरम सुख की प्राप्ति हो चुकी थी इधर विपिन भी अब झड़ने के करीब था.
उसने अपने धक्के धीरे कर दिए, पर अब वो अपना लंड लगभग पूरा निकाल कर पूरा डाल रहा था.
विपिन के मुँह से निकला- आहह … साली दीदी ले … आह मैं भी गया आहह … आ … ले रबड़ी खा ले आहह … मेरी रांड … आहह.
वो चूत में रुक रुक कर झटके मारते हुए अन्दर ही अपना वीर्य भरने लगा.
मुझे उसका गर्म गर्म वीर्य अपनी चूत में चलता हुआ साफ महसूस हो रहा था.
कुछ देर वो लंड चूत में डाल कर ही रुका रहा.
उसके बाद उसने धीरे लंड निकाला.
मैंने भी अब सीधी हुई और उसका वीर्य बाहर निकालने की कोशिश करने लगी.
विपिन ने मुझे तुरंत रोक दिया और बोला- नहीं दीदी, ये मेरा प्यार है, प्लीज इसे बाहर मत निकालो.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- तो क्या घर ले कर जाऊं इस प्यार को?
उसने बोला- हां, ऐसे ही अन्दर कर लो सारा.
मैंने बोला- अरे यार, जब चलूंगी तो ये सलवार से चिपकेगा.
विपिन बोला- कोई बात नहीं, कुछ देर तो रखो, फिर जब पेशाब करोगी तो निकाल देना, पर मेरे सामने नहीं.
मैंने उसकी बात मान ली और ऐसे बाहर का रस पौंछ कर अन्दर पड़ा वीर्य अन्दर ही रहने दिया.
मैंने अपनी पैंटी पहनी और बाकी कपड़े भी पहन लिए.
तब मैंने कहा- मुझे थोड़ा सहारा दो, मैं दर्द से चल नहीं पा रही हूँ.
वो मुझे हल्का सा सहारा देते हुए गाड़ी तक ले आया और अपने दोस्त को धन्यवाद देने चला गया.
इसके बाद हम दोनों वापस घर के लिए निकल पड़े.
कुछ देर में मेरा दर्द भी खत्म हो गया.
उस रात मैंने आराम किया और अगले दिन मैं भी अपने घरवालों के साथ वापस जाने के लिए तैयार हो गयी.
हम सब आपस में मिले.
मैंने विपिन को विदा कहा और उससे कहा कि कभी शहर आना तो मिल कर जरूर जाना.
फिर हम सब अपनी गाड़ी से घर की तरफ निकल गए.
दोस्तो कैसी लगी मेरी ये सच्ची देसी विलेज सेक्स कहानी. मुझे मेल करके जरूर बताइएगा.
हो सकता है कि मैं तुरंत उत्तर ना दे पाऊं क्योंकि कहानी प्रकाशित होने पर मुझे काफी मेल आते हैं, तो सबका उत्तर दे पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. पर फिर भी मैं कोशिश करती हूँ कि सबको उत्तर दूँ.
इसके अलावा जब तक मेरी अगली नयी कहानी नहीं आ जाती, तब तक ऊपर मेरे नाम पर क्लिक करके आप मेरी पुरानी सेक्स कहानियां भी पढ़ कर आनन्द ले सकते हैं.
तो मिलते हैं अगली चुदाई कहानी में, तब तक खुश रहिए, मजे लेते रहिए और मजे देते रहिए.
आप सबको मेरा बहुत सारा सेक्सी वाला प्यार. उम्ह्हा …
आपकी सुहानी चौधरी.
धन्यवाद.
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