कच्ची जवानी को लंड का मजा दिया चाचा ने

यह कहानी एक भाभी की की चुदाई की शुरुआत की कहानी है जो उन्होंने खुद मुझे बतायी थी. मुझे उम्मीद है आपको पसंद आएगी.

आगे की यंग टीन सेक्स स्टोरी भाभी के शब्दों में ही है:

मेरा नाम शईमा है, उम्र उन्नीस साल, रंग गोरा, पतली कमर चौबीस इंच, छरहरी काया, लम्बाई पांच फुट दो इंच थी. मुझे अपनी चूचियों की साइज़ पता नहीं थी क्योंकि उस समय मेरी चूचियाँ संतरे जैसी थी, और मैं ब्रा नहीं टेप पहनती थी.

बात सन 2002 की है. उस समय घर में पापा, मैं और मेरे दो छोटे भाई थे. बड़ी दीदी की शादी हो गयी थी और वो ससुराल चली गयी थी.

नाना जी तबियत खराब होने के कारण मम्मी ननिहाल गयी हुई थी.

गर्मियों के दिन थे. एक दिन दोपहर का समय था, पापा बाजार में अपनी कपड़ों की दुकान पर रोज़ की तरह चले गए थे.
मेरे दोनों छोटे भाई घर के पीछे की तरफ लड़कों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे.

मैंने घर का बाहरी दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और अंदर आकर सहेली द्वारा दिया गया एक चित्रों सहित चुदाई वाली किताब देखने लगी.

आप सभी तो जानते ही होंगे कि इस उम्र तक आते आते मन में चुदाई की भावनाएं आने लगती हैं.
किताब को देखकर मेरा मन भी उत्तेजित हो गया.

मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर खाट पर लेटकर किताब देखते हुए अपनी बुर को दूसरे हाथ से सहलाते हुए मज़े ले रही थी.

तभी अचानक अपना नाम सुनकर मैं चौक गयी.

मैंने दरवाजे की तरफ से देखा तो रिश्ते में चाचा लगने वाले अमित जिनकी उम्र लगभग उस समय सत्ताईस साल रही होगी, अंदर आकर मेरी खाट पर बैठ गए.
चाचा बोले- उसमें उंगली नहीं लन्ड डाला जाता है.

मैं डर के मारे काम्पने लगी.
मैं पास में पड़ी अपनी सलवार और समीज से अपनी चूचियों को छिपाते हुए बोली- चाचू, आप अंदर कैसे आये, दरवाजा तो बंद है.

चाचा मुझे घूरते हुए बोले- कुछ नहीं … गेंद छत पर चली गयी थी. दरवाजा बंद था इसलिए पीछे की तरफ से छत पर चढ़ गया.
फिर वे पास में पड़ी किताब को देखते हुए बोले- तो अब तुम ये पढ़ती हो! आने दो तुम्हारे पाप को बताता हूँ.

मैंने चाचा से रोते हुए कहा- चाचा, प्लीज आप किसी से मत कहिएगा.

थोड़ी देर डराने के बाद चाचा ने मुझसे कहा- रो मत, मैं किसी से नहीं कहूंगा. पर मेरी बात भी तुम्हें माननी पड़ेगी.
ये कहते हुए चाचा मेरे हाथों से सलवार और समीज को खींचने लगे.

मैंने उनका थोड़ा विरोध करते हुए कहा- नहीं चाचू, ये ठीक नहीं है. मैं चाची को बता दूंगी.
तो उन्होंने कहा- हाँ बता दो. मैं ही बुला देता हूँ तेरी चाची को … और उसे तेरी हरकत बताता हूं. कि तुम क्या पढ़ रही थी और क्या कर रही थी.

यह सुनकर तो मैं एकदम सुन्न पड़ गयी.

फिर चाचा ने कहा- अगर तुम चाहती हो कि मैं किसी से न कहूँ. तो जो कहता हूँ वो करो.
और उन्होंने मेरे हाथों से सलवार और समीज लेकर अलग रख दिये.

अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी अपने हाथों से अपनी चूचियाँ ढक कर बैठी थी.

उन्होंने मुझसे कहा- शईमा, अगर तुम मुझे एक बार चोदने दोगी तो मैं ये बात किसी से नहीं कहूंगा. सोच लो.
मरती क्या न करती … मैंने कहा- ठीक है चाचू … पर आप किसी से मत कहिएगा.
डर तो मुझे तब भी लग रहा था, पर चुदाई से मिलने वाले मजे को लाकर मैं मन ही मन उत्साहित भी थी.

ये सब सोचकर मैंने थोड़ी राहत की सांस ली और कहा- आप जाकर गेंद दे दीजिए. नहीं तो कोई आ जायेगा.
तब चाचा ने कहा- मैंने गेंद दे दी है. और उनसे कह दिया है कि तुम लोग खेलो, मैं अब नहीं खेलूंगा.

अब चाचा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- अब तो उस गेंद से नहीं, तुम्हारी दोनों गेंदों से खेलूंगा.

यह कहते हुए चाचा ने मेरी टांगों को खींच कर मुझे खाट पर लिटा दिया.
फिर अपनी टीशर्ट और बनियान निकाल कर मेरे ऊपर चढ़ आये.

चाचा मेरे सर को अपने हाथों में लेकर मुझे बेतहाशा चूमने लगे.
मैंने फिर से कहा- चाचा, प्लीज किसी को कहना मत!
तो उन्होंने कहा- किसी से नहीं कहूंगा, परेशान मत होवो.

चाचा ने कहा- आज नहीं तो कल … तुम किसी न किसी से चुदोगी ही! तो मुझमें क्या बुराई है. वैसे भी तुमने ये सुना भी होगा कि ‘अनाडी का चोदना … चूत का सत्यानाश!’ ऐसे ही नौसिखिया से चुदोगी तो बहुत तकलीफ होगी. मेरे जैसे चोदू से चुदोगी तो बहुत मज़ा आएगा.

उनके चूमने और सेक्सी बातें सुनकर वासना मुझ पर भी हावी हो गयी थी. चाचा मंझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरे चेहरे को चूम रहे थे.

अब चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखा और दोनों होंठों को चूसने लगे.

मेरी साँसें तेज़ होने लगी थी और चाचा मेरे होंठों को चूसे जा रहे थे.

फिर उन्होंने मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच लिया और चूसने लगे. उनके दोनों हाथों की अंगुलियाँ मेरे बालों में थी.

कुछ देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उन्होंने अपनी जीभ को मेरे मुँह में दे दिया.
मैं उनकी जीभ को चूसने लगी उसके कहने पर!

फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी और चाचा बहुत ही प्यार से मेरी जीभ चूस रहे थे.

अब चाचा ने मेरे गालों, और कानों को चूमना शुरू कर दिया. उनको चूमने के बाद चाचा मेरी गर्दन को चूमते हुए, कंधों से होते हुए मेरी चूचियों पर आ गये.
फिर मेरे दोनों चूचियों की निप्पलों पर बारी बारी किस कर मेरी आँखों में देखते हुए बोले- शईमा, मज़ा आ रहा है न?

अब धीरे धीरे उसके हाथ मेरे चूचियों पर आ गए. उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और मसलने लगे.

मेरी आहें निकलने लगी.
मैंने कहा- चाचू, आराम से दबाओ, दर्द हो रहा है.
तो उन्होंने कहा- मज़ा भी तो आ रहा होगा शईमा!

और फिर वे मेरे दोनों निप्पल को अपनी उंगलियों में फंसा कर मसलने लगे.

उसके बाद चाचा ने मेरी बायीं चूची के निप्पल को अपने मुंह में लेकर पीने लगे और दायीं चूची के निप्पल को अपने दायें हाथ की उंगलियों में लेकर मसलने लगे.

चाचा मेरे संग एक मंझे खिलाड़ी की तरह फ़ॉरप्ले कर रहे थे.
और मैं उसके नीचे पड़ी कामवासना से बिन पानी की मछली जैसी तड़प रही थी.

चाचा जब अपने होंठों से मेरे निप्पल को दांतों से हल्का सा काटते और उंगलियों से दूसरे निप्पल को मसलते तो मेरे मुंह से बरबस ही आह निकल जाती और मेरे हाथ अपने आप उनकी पीठ पर चले गए.

मेरे दोनों निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने और चूचियों को मसल कर लाल कर देने के बाद चाचा मेरे पेट को चूमते हुए मेरी जांघों के बीच मेरे बुर के पास आ गये.

चाचा ने मेरी दोनों टाँगों को फैला कर अपना मुंह मेरे बुर पर रख दिया जो अब तक पूरी गीली हो चुकी थी.

अब चाचा अपनी जीभ को सीधे मेरे बुर के ऊपर लगाया और वो उसे चूसने और चाटने लगे.
कभी वो मेरी बुर के ऊपर अपनी जीभ फिरा रहे थे तो कभी अपनी जीभ मेरे बुर के अंदर डाल कर चूस रहे थे.

चाचा मेरी बुर को मस्ती में चूसते जा रहे थे.
और मैं एक अजीब सी उत्तेजना और गुदगुदी अपने जिस्म में महसूस कर रही थी. मेरे मुँह से हल्की हल्की आह निकल रही थी.

मुझे तो पता ही नहीं था कि इस तरह बुर चुसवाने में भी एक असीम आनंद की प्राप्ति होती है.

कुछ देर बाद शरीर अकड़ने लगा और मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया.
अब मेरा शरीर थोड़ा शिथिल हुआ और मेरी सांसें, जो अब तक बहुत ही तेज़ हो गयी थी, थोड़ी धीमी हुई.

तो अब चाचा ने मेरी तरफ देखते हुए बोले- शईमा कैसा लगा?
मैंने जवाब नहीं दिया और अपनी आँखें बंद कर एक गहरी सांस ली.

अंदर से मैं जानती थी कि ऐसा मज़ा मुझे पहले कभी नहीं मिला था.

अब चाचा अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गये. उन्होंने मेरे हाथ में अपना लन्ड दे दिया.

चौंक कर मैंने आंखें खोली तो मेरे हाथ में चाचा का काले नाग जैसा मोटा लन्ड था.
मैंने उसके लन्ड को छोड़ना चाहा तो उन्होंने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर पकड़ लिया और धीरे धीरे लन्ड को सहलवाने लगा.

उन्होंने मुझसे कहा- शईमा उठो!
और चाचा ने मेरे कंधों को पकड़ कर मुझे खाट पर बैठा दिया.

फिर खाट से नीचे उतार कर मुझे अपने बांहों में भर लिया.
वे मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरी आँखों में देखते हुए बोले- शईमा, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो.
और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगे.

कुछ देर होंठों को चूसने बाद उन्होंने मुझे कहा- शईमा, अब तुम भी मेरे लन्ड को प्यार करो.

अब तक मैं फिर से गर्म हो गयी थी.
बिना कुछ बोले मैं उनके सामने घुटनों के बल बैठ गयी.

चाचा ने मेरे सर को अपने हाथों में पकड़ कर अपना लन्ड मेरे मुख में डाल दिया.

कुछ देर मुझसे अपने लन्ड चुसवाने के बाद चाचा ने मेरे कंधों को पकड़ कर मुझे खड़ा किया.
फिर मुझसे कहा- शईमा, जैसे भवरें कली का रस चूस कर उसको फूल बनाते हैं. वैसे ही आज तुम्हारी बुर में अपना लन्ड पेलकर तुमको लड़की से औरत बना दूंगा. तुम्हारी खूबसूरती और निखर जाएगी.

मैंने चाचा से कुछ नहीं कहा.

चाचा मुझे अपनी गोद में उठाकर मम्मी के कमरे में लेकर आ गए और बेड पर मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गए.
वे मेरी आंखों में देखते हुए बोला- इस रूम और इस बेड पर कभी तुम्हारी मम्मी की सील तुम्हारे पापा ने तोड़ी होगी. आज मैं तुम्हारी कुंवारी बुर का शील भंग करूंगा.
और उन्होंने अपनी एक उंगली को मेरे बुर की दरार के ऊपर रख दिया.

उस उंगली को चाचा ने धीरे धीरे मेरे अंदर डाल दिया और अंदर बाहर करने लगे.
मुझे एक अजीब सी खुशी मिल रही थी.

कुछ देर बाद चाचा ने दो उंगलियां मेरी बुर के अंदर घुसायी.
मुझे थोड़ा दर्द महसूस हुआ पर कुछ देर बाद वो सामान्य हो गया.
और मैं फिर आँखें बंद करके मज़ा लेने लगी.

अब चाचा ने अपनी उंगलियां बाहर निकल ली.

मैंने उसकी तरफ आँखें खोलकर देखा तो उन्होंने कहा- मेरी जान, अब वक्त आ गया है कि मेरा लन्ड खा कर तुम लड़की से औरत बन जाओ.

चाचा ने मेरी दोनों टाँगें फ़ैलाकर अपने कंधे पर रख दिया और उनके बीच में घुटनों के बल बैठ गये.
उन्होंने अपना लन्ड मेरी बुर की छेद पर रख कर हल्का सा दबाब डाला.
उनके लन्ड का सुपारा मेरी बुर की छेद में फंस गया.

अब चाचा अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों कंधों को दबाकर वैसे ही रुक गये और मुझसे बोला- शईमा, तुम तैयार हो.
मैंने आँखें खोलकर उसे एक मौन स्वीकृति दी.

और उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपने लन्ड पर दबाव बनाया.
चाचा का लन्ड मेरी बुर को चीरता हुआ अंदर तक धंस गया.

दर्द के कारण मेरी मुंह से एक चीख निकल गयी. मेरे हाथों के नाखून अपने आप उसकी पीठ में धंस गए.
मेरी आँखों में आंसू आ गए.

मैं उसके नीचे से छूटने के प्रयास कर रही थी. पर उसके नीचे मैं इस पोजीशन में दबी थी कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी.

मुझे ऐसा लगा जैसे गर्म और सख्त लोहे का रॉड मेरी बुर में चल गया है.
मैं दर्द से कराहते हुए बोली- प्लीज चाचू … छोड़ दो. बहुत दर्द हो रहा है.
तो उन्होंने कहा- मेरी जान, जितना दर्द होना था हो चुका, अब सिर्फ मज़ा मिलेगा. बस कुछ देर और सहन करो.

कुछ देर तक वो मेरी बुर में अपना लन्ड डाले, मुझे अपने नीचे उसी तरह दबाए पड़ा रहे.

धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ तो उन्होंने मेरे कंधों को छोड़कर मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे होंठों को चूसने शुरू कर दिया.

अब धीरे धीरे मैं भी दर्द भूल गयी और वासना मुझपर हावी होने लगी.
मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया.

उन्होंने मेरे होंठों को चूसने के बाद मेरे चेहरे को चूमना और चाटना शुरू कर दिया.

अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.

कुछ देर मेरे चेहरे को चूमने और चाटने के बाद उन्होंने लन्ड को मेरी बुर में धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

मुझे दर्द और मज़ा दोनों मिल रहे थे, मैंने कभी नहीं सोचा था कि चुदाई में इतना आनंद मिलता है.

चाचा आज अपनी चुदाई के बारह सालों का एक्सपीरिएंस का पूरा निचोड़ मुझे चोदने में लगा रहे थे.

उन्होंने मुझसे धीरे से पूछा- शईमा, मज़ा रहा है?
मैंने सर हिलाकर हाँ का इशारा किया और उनसे पूछा- चाचू, आपको भी मज़ा आ रहा है?
तो उन्होंने कहा- हाँ मेरी जान, बहुत मज़ा आ रहा है.

चाचा जोर जोर से धक्का लगाकर मुझे चोद रहे थे.

फिर थोड़ी देर मेरे चेहरे को चूमते, मेरी चूचियाँ मसलते, और फिर धक्के लगाकर मेरी बुर चोदते.
उसके हर धक्के पर मुझे दर्द मिश्रित मजे की अनुभूति होती.

कुछ देर बाद मेरे शरीर में फिर से अकड़न शुरू हो गयी.
मैंने कहा- चाचू मुझे कुछ हो रहा है!
और कसकर चाचा को पकड़ लिया.

अब चाचा ने अपने धक्कों की रफ्तार और बढ़ा दिया.

कुछ देर बाद मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया और मैं निर्जीव सी हो गयी.

चाचा अब भी मुझे तेज़ी से चोदे जा रहे थे. अब मुझे दर्द का अहसास होने लगा था.

मैंने कहा- चाचू, अब दर्द हो रहा है, बस करो.

तो उन्होंने कहा- बस कुछ देर और!
उन्होंने अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दिया.

कुछ देर बाद उनके भी शरीर में अकड़न हुई और उनके लन्ड ने मेरी बुर में पानी छोड़ दिया.

उसके बाद भी उन्होंने पच्चीस तीस धक्के और लगाकर मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गया.

कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर से उठे और मेरी बुर को साफ किया. फिर अपने कपड़े पहने, मुझे मेरे कपड़े पहनाए और मेरे माथे पर किस कर बोले- शईमा, मेरी जान तुम बहुत मस्त हो, अब तुम आराम करो!

और वो बाहर चला गया.

मैं बेड पर पड़े पड़े सोच रही थी कि चाचा ने मुझे डरा कर कर चोदा. पर इस चुदाई में बहुत मज़ा आया मुझको!
क्या आगे भी मुझे इनसे चुदवाना चाहिए? क्या चाचा मुझे दुबारा चोदने की कोशिश करेंगे? या नहीं?

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