नंगी सेक्सी लड़की की कहानी में पढ़ें कि मेरे बिजनेस सहयोगी ने मेरी सहायिका के बदले अपनी सेक्सी PA मुझे सौम्प दी चुदाई के लिए. वो नंगी होकर मेरा लंड पकड़ने लगी.
दोस्तो, मैं विराज आपको अपनी सेक्रेटरी रेशमा की प्यासी जवानी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
मेरी पिछली दो सेक्स कहानियों में मैंने आपको रेशमा की प्यासी चूत और गांड मारने की घटना बताई थी.
अब जब मैं उसको अपने साथ अपने एक क्लाइंट पाटिल जी के सामने ले गया तो उनकी लार रेशमा की फड़कती चूचियों और उठी हुई गांड पर टिक गई.
उन्होंने मुझसे रेशमा मांग ली.
मैं बड़े धर्म संकट में पड़ गया था कि क्या जवाब दूँ.
उसी सेक्स कहानी को मैं आगे लिख रहा हूँ, लुत्फ़ लीजिए नंगी सेक्सी लड़की की कहानी का.
मैं पाटिल जी की मांग सुनकर उठने लगा था तभी उन्होंने मुझे टोका.
मुझे रोकते हुए वो बोले- रूकिए विराज जी, पूरी बात तो सुन लो. अगर आपको भी कोई जरूरत हो तो बता दीजिएगा, मेरी सेक्रेटरी किरण आपको कोई शिकायत का मौका नहीं देगी.
अब तो मैं भी चौंक गया.
साला इतना ठरकी आदमी मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखा था कि जो खुलकर मुझसे लड़की की अदला बदली करके चुदाई की बात कर रहा हो.
मैंने हंसकर उनको देखा और कहा- मुझे इस बारे में रेशमा से बात करनी होगी, वो शादीशुदा है और मेरे ऑफिस में काम करती है.
पाटिल साहब- अरे बिल्कुल विराज जी, मैं कौन सा भाग रहा हूँ, बस ध्यान रहे इसके बाद आपका सारा बिज़नेस मेरे हाथ में है और मैं कुछ लिए बिना कुछ देता भी नहीं.
मैं बिना कुछ बोले अब उनके कमरे से बाहर आ गया और रेशमा को लेकर फिर से होटल की तरफ निकल पड़ा.
मेरा उदास और चिंताग्रस्त चेहरा देख कर रेशमा ने कई बार मुझे इस बारे में पूछा.
मैंने ये बात उसको ना बताना ही मुमकिन समझा वर्ना उसको लगता कि ये सब मेरा किया-धरा है.
जैसे तैसे उसके सवालों को टालता हुआ मैं वापिस होटल आ गया और हमने खाना अपने कमरे में ही मंगवा लिया.
मेरा उदास चेहरा देख कर रेशमा के चेहरे पर भी उदासी छा गयी.
मैंने उसको ढांढस देते हुए शांत किया, हल्के फुल्के चुटकुले सुनाकर उसको हंसाने लगा, पर रेशमा को पता था कि मुझे किसी परेशानी ने घेर लिया है.
रेशमा- देखिए वीरू जी, मैंने तो आपको अपना समझ कर आपको अपनी इज्जत सौंप दी, पर आप हैं कि मुझे कुछ बता ही नहीं रहे हैं.
मैं- अरे मेरी जान ऐसी कोई बात नहीं है. बस वो थोड़ा काम का टेंशन है बाकी कुछ नहीं.
रेशमा ने मेरा हाथ अपने सर पर रखवा का कहा- तो खाइए मेरी क़सम और बोलिए कोई चिंता नहीं है?
मैं कुछ देर तो वैसे ही उसको देखता रहा, पर मेरे होंठ जैसे सिल गए थे, क्या बताता उसको कि कोई और आदमी है जो तुम्हारे हुस्न को भोगना चाहता है?
पर रेशमा तो जैसे जिद पर अड़ी रही और जब तक मैंने मुँह नहीं खोला, तब तक वो मुझे कसम देती रही.
आख़िरकार मेरा भी सब्र टूट गया और मैंने रेशमा को उस कमरे में हुई सारी बात बता दीं.
उस वक्त मेरे पास उसकी आंखों में देखने की हिम्मत नहीं थी इसलिए उसकी तरफ पीठ करके मैंने उसको सारी बात बता दी और खामोश खड़ा रहा.
मेरी पूरी बात खत्म होने के बाद मैं पलटा और रेशमा को देखने लगा.
वो बिना कुछ बोले मेरे पास आयी और मुझे गले लगाते हुए उसने अपना मुँह मेरे सीने में दबा दिया.
कमरे में एक लम्बी ख़ामोशी छाई रही, ना मैं कुछ बोल पा रहा था और ना ही रेशमा ने कुछ कहा.
पर उस ख़ामोशी को तोड़ना भी जरूरी था क्यूंकि अब बात सिर्फ पैसों की नहीं थी बल्कि विश्वास की थी, जो रेशमा ने मुझ पर दिखाया था.
रेशमा ने अपना मुँह ऊपर करके कहा- आपको क्या लगता है? मैं हां करूं या ना?
मुझे इस सवाल की बिल्कुल भी अपेक्षा नहीं थी, उल्टा मुझे लग रहा था कि रेशमा इस बात से बुरी तरह से गुस्सा होने वाली है, पर यहां तो रेशमा ने मुझे एक अलग ही दुविधा में डाल दिया.
अब मैं कैसे बताता कि मुझे क्या चाहिए? मैं उसके शरीर का, मन का मालिक तो नहीं था, जो उसे किसी भी पराए मर्द के नीचे लिटा देता.
इसी लिए मैंने खामोश रहना ही पसंद किया.
रेशमा- चलिए आप तो कुछ करने वाले तो हो नहीं, जाइये बोल दीजिये पाटिल जी को कि रेशमा तैयार है उनके नीचे बिछने को. अगर वो मुझे पाना चाहते है और हां उनको मेरी कुछ शर्तें भी माननी होंगी.
रेशमा के इस फैसले से मुझे समझ नहीं आया कि मुझे गुस्सा आना चाहिए या ख़ुशी होनी चाहिए.
मैं वैसे ही रेशमा को अपनी बांहों से निकालते हुए उससे दूर जाने लगा, तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया.
रेशमा- मुझे पता है वीरू जी, मैं आपकी हूँ … पर अगर आपने मुझे इतनी खुशियां दी हैं, तो ये मेरा फर्ज है कि मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर जाऊं.
मैं- बात वो नहीं है रेशमा, बस मुझे ये लग रहा है कि कहीं तुम मुझे गलत ना समझ बैठो. रही बिज़नेस की बात, तो वो हमको कहीं और से भी मिल जाएगा. तुमको ये सब करने की जरूरत नहीं है.
रेशमा- देखिए वीरू जी, वैसे तो मैं आपकी पत्नी हूँ नहीं कि आपको इतना बुरा लग रहा है? पर आज के बाद जो भी हो जाए, मेरे दिल में आपके लिए उतनी ही इज्जत और प्यार रहेगा, जो आज है. और वैसे भी कर लेने दीजिये मुझे अपने दिल की बात. घर वापिस जाकर मुझे वही जिल्लतभरी जिंदगी जीनी है.
रेशमा का दिल समझते हुए मैंने भी हामी भरी और हमने एक दूसरे को फिर से गले लगा लिया.
शाम को उठने के बाद मैंने पाटिल साहब को रेशमा की हां कर दी और वो ख़ुशी से झूम उठे.
पर तभी रेशमा ने मेरे हाथ से मोबाइल लेते हुए पाटिल साहब को अपनी शर्तें बता दीं और ये चेतावनी भी दी कि इसके बाद वो हमारी निजी जिंदगी में कभी दखलअंदाजी नहीं करेंगे.
रेशमा की सारी शर्तें मंजूर करते हुए पाटिल साहब ने हमे रात को उनके बंगले पर बुलाया, जो जुहू बीच के पास एक सुनसान जगह पर बना था.
शाम के पांच बज रहे थे.
रेशमा और मैंने आज रात की तैयारी चालू की. मेरे सामने ही रेशमा ने मेरा शेविंग किट उठाया और नंगी होकर अपनी चूत पर बाकी बचे बाल भी साफ कर दिए.
खुद मेरे पास आकर उसने आज मेरा लौड़ा भी ऐसे चमकाया, जैसे कभी उस पर बाल थे ही नहीं.
रेशमा की नंगी चूत देख कर मुझसे अपने आपको रोका नहीं गया, मैंने बाथरूम में ही लगे टब पर रेशमा को नंगी बिठाया और उसकी चिकनी चूत किसी कुत्ते की तरह चूसने लगा.
जल्द ही हम दोनों 69 स्थिति में आते हुए एक दूसरे के लौड़ा और चूत चूसने लगे.
रेशमा की बिना बालों वाली फुद्दी पीने में अब और भी मजा आ रहा था, पर इस बार हम दोनों में कोई वार्तालाप नहीं हुआ.
बड़ी देर तक हमने एक दूसरे को अच्छी चूसा, चबाया और आख़िरकार एक दूसरे का अपनी जवानी पिलाकर, नहा धोकर फिर से तैयार हो गए.
तब तक शाम के सात बज चुके थे.
मैंने होटल वालों से कहकर झट से एक कैब बुक करवा ली और रेशमा को लेकर पाटिल साहब के बंगले की तरफ निकल पड़ा.
नीले रंग की पारदर्शक साड़ी में रेशमा का गोरा बदन साफ दिखाई दे रहा था और मुझे यकीन था कि कैब चालक जरूर शीशे में से रेशमा को घूर रहा होगा.
कैब में भी रेशमा मुझे ऐसे चिपक कर बैठी थी, जैसे मैं सच में उसका पति हूँ और मैंने भी उसकी भावना का सम्मान करते हुए उसे अपना हाथ सौंप दिया.
मुंबई के ट्रैफिक में से रास्ता निकालते निकालते हमारी गाड़ी पाटिल जी के बंगले तक पहुंच गई.
उधर आते आते रात के आठ बज चुके थे.
बंगले के बाहर की रोशनी देख कर पहली बार बड़े शहर आयी रेशमा की आंखें चुंधिया गईं.
बड़ा सा गेट खुलते ही हम अन्दर आ गए.
पाटिल जी की सेक्रेटरी किरण हमारा स्वागत करने के लिए वहीं तैनात थी.
नमस्ते सलाम करके हम आखिरकार बंगले के अन्दर दाखिल हुए.
पाटिल साहब ने भी बड़ी गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया.
रेशमा का हाथ अपने हाथ में लेकर उन्होंने उसको चूम कर रेशमा की तरफ देखा और मुस्कुराने लगे.
वहीं उनकी सेक्रेटरी किरण ने भी सीधा मुझे गले लगा लिया.
बातों बातों में हम अब उनके बंगले के ऊपर बनी छत पर बैठ गए.
जाम पर जाम टकराते रहे और समां अब धीरे धीरे कामुकता की तरफ बढ़ने लगा.
रेशमा तो अब तक मेरे बगल में ही बैठी थी पर किरण ने उससे खुलकर कहा कि वो पाटिल साहब की तरफ आ जाए और उसे मेरे पास बैठने दे.
तो रेशमा ने मेरी तरफ देख कर जैसे मेरी इजाजत मांग ली और मैंने भी उसको मूक सहमति देकर पाटिल जी के पास जाने का इशारा कर दिया.
मेरे बगल का स्थान रिक्त होने पर किरण झट से मेरे बाजू में आ गयी और मेरा हाथ थामते हुए मुझसे कुछ ज्यादा ही खुलने लगी.
पाटिल जी- आज तो आपने हमें अपनाकर हमारा जीवन खुशियों से भर दिया रेशमा जी … और मुझे यकीन है कि आपको इस फैसले से कभी पछताना नहीं पड़ेगा.
रेशमा- वो तो समय ही बताएगा कि आज कौन पछताता है और कौन नहीं पाटिल जी. वैसे बड़ा शानदार घर है आपका, सैर नहीं करवाएंगे?
रेशमा का खुला आमंत्रण मिलते ही पाटिल साहब खड़े हुए और उन्होंने रेशमा को अपने पीछे पीछे चलने का इशारा किया.
शराब की हल्की सी खुमारी होने के बावजूद रेशमा उनके पीछे पीछे चलने लगी.
जाते जाते उसने मुड़ कर मुझे देखा और मुस्कुराती हुई आंख मार कर मुझे भी मजे करने का इशारा कर दिया.
शायद वो मेरे सामने इतने जल्दी किसी और मर्द की बांहों में जाने से शर्मा रही थी.
देखते देखते रेशमा और पाटिल जी नीचे चले गए और अब यहां पर सिर्फ मैं और किरण बाकी रह गए.
किरण तो जैसे चुदने के लिए तड़प रही थी, तो उसने झट से मेरी गोदी में आकर अपनी फूली हुई गांड रख दी.
मेरे गले में अपनी बांहों का हार डालते हुए उसने मेरी आंखों में देखा और अगले ही पल उसके होंठ मेरे होंठों पर आपके मुझे चूमने लगे.
मस्त जवान औरत अगर आपकी गोदी में बैठी हो, तो कौन सा मर्द उसको भोगने के लिए तैयार नहीं होगा?
मैंने भी किरण को अपने तरफ खींचते हुए उसके ड्रेस की चैन जो उसकी पीठ की तरफ थी, उसको खोल दिया और मेरा हाथ अब उसकी नंगी पीठ पर चलने लगा.
किरण भी एकदम कड़क जवान लौंडिया थी.
शादीशुदा होने के बाद भी उसका पाटिल जी के साथ जिस्मानी ताल्लुकात था और वो खुद इतनी गर्म औरत थी कि जब चाहे किसी भी मर्द से चुदवाने से नहीं डरती थी.
धीरे धीरे उसको चूमते हुए मैंने उसका ड्रेस नीचे की तरफ खींचना चालू कर दिया.
किरण ने भी अपना हाथ उसके ड्रेस से निकालते हुए मुझे अपनी उन्नत और भरी चूचियों के दीदार करवा दिया.
उसने मेरा सर पकड़ कर अपने चूचों की घाटी में दबा दिया.
बिना देर किए मैं भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी ब्रा का इकलौता हुक खोल कर उसके चूचे नंगे कर दिए.
ब्रा को वहीं नीचे जमीन पर फैंकते हुए मैंने फिर से अपना मुँह किरण की चूचियों पर लगा दिया.
एक हाथ से उसके एक बोबे को दबाते हुए मैं उसके दोनों खुले कबूतरों को बारी बारी से चूसने लगा.
वो भी मस्त होने लगी और अपने हाथ से अपने दूध पकड़ कर मुझसे चुसवाने लगी.
जल्द ही उसके चूचों के ऊपर उभरे काले निप्पल्स खड़े होने लगे और किरण खुली हवा में मादक सीत्कार निकालने लगी.
मुझे भी यकीन था कि कहीं ना कहीं पाटिल जी ने भी रेशमा को अपनी बांहों में भर लिया होगा और उसको नंगी करके उसकी जवानी को भोग रहे होंगे.
मैंने भी किरण को अब अपने आप से दूर किया और उसे अपनी पैंट की तरफ इशारा किया.
किरण भी बेशर्म औरत निकली.
झट से खड़ी होकर उसने मेरी तरफ अपनी पीठ कर ली और आगे की तरफ झुकती हुई मुझे अपनी गांड का आकार दिखाती हुई अपना ड्रेस और अपनी चड्डी निकाल कर वहीं फैंक दी.
उसके 34 इंच के चूंचे खुली हवा में थिरक रहे थे, पेट पर चर्बी चढ़ी हुई थी पर गांड का आकार मानो उसके बदन को और निखार रहा था.
जैसे ही वो मेरी तरफ बढ़ने लगी तो मैंने उसको इशारे से रूकने को कहा और खुद खड़ा होकर मैंने अपनी पैंट निकाल दी.
मैंने पैंट का बेल्ट अपने हाथ में ले लिया.
मैं किरण को देख कर बोला- साली रंडी, अपने घुटनों पर रेंगते हुए आ जा मेरे पास … आज तू पूरी रात ऐसे ही दो कौड़ी की कुतिया बनकर चुदेग़ी.
किरण ने भी कुटिल मुस्कान के साथ मुझे घूरा और घुटनों पर बैठ गयी.
सामने से दोनों हाथ जमीन पर रख कर अब वो सच में किसी कुतिया की तरह मेरे पास रेंगती हुई आने लगी.
कुछ ही क्षणों में मेरी नयी कुतिया मेरे कदमों के नीचे थी.
हाथ का बेल्ट मैंने उसके गले में डाल कर उसका सर अपने लौड़े की तरफ खींचा, जो अभी भी मेरे कच्छे में मलूल पड़ा था.
किरण ने अपना मुँह मेरे कच्छे के ऊपर रखा और लौड़े की खुशबू सूंघते हुए वो उसे जीभ से चाटने लगी.
धीरे धीरे अपने हाथ से लौड़ा मेरे कच्छे के ऊपर से ही सहलाते हुए उसने अब मेरा कच्छा नीचे की तरह खींचना चाहा.
मैंने भी अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाते हुए उसको कच्छा नीचे करने में मदद कर दी.
मेरे मलूल लौड़े को जब वो अपने हाथ में लेने लगी तो मैंने झट से बेल्ट का दूसरा सिरा उसके हाथ पर मारा.
मैं- मां की लौड़ी, मुँह में लेकर चूस छिनाल, हाथ लगाने की इजाजत सिर्फ रेशमा को है.
किरण ने भी बिना कुछ कहे मेरा मलूल लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और धीरे धीरे लंड चूसने लगी.
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको नंगी सेक्सी लड़की की कहानी के इस भाग में मजा आया होगा.
अभी चुदाई का मजा आना बाकी है. मुझे मेल करना न भूलें.
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