आज मैं आप लोगों को अपना सच्चा अनुभव बताने जा रहा हूँ। बात आज से लगभग 5 साल पहले की है जब मैं १७ साल का था। स्कूल में शीतकालीन छुट्टियां थी, मैं अपने दोस्त अर्नब की बुआ के घर रायगढ़ गया था। बुआ के यहाँ पर कुल थी लोग ही रहते हैं एक बुआ, उनकी सास और अर्नब । बड़े भैया दूसरे शहर में नौकरी करते हैं और उनकी लड़की की शादी हो चुकी है। फूफा जी का देहांत बहुत पहले हो चुका है। दोस्तों आप यह कहानी antarvasna.org.in पर पढ़ रहे है | अब मुद्दे की बात पर आते हैं। एक रोज मैं सुबह सो कर उठा तो पाया कि अर्नब जिम जा चुके थे और दादी (बुआ की सास) अपने कमरे में थी।
अर्नब और बुआ के कमरे के बीच एक खिड़की है जो कि ठीक से बंद नहीं थी। अचानक मेरी नज़र बुआ के कमरे में गई तो देखा कि बुआ बाथरूम से नहाकर आ रही हैं। उस समय बुआ ने केवल गाउन पहना था और आते ही अपना गाउन उतार दिया क्योंकि उन्हें स्कूल जाने की जल्दी थी। बुआ स्कूल टीचर हैं। उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था, मैं पहली बार किसी औरत को इतने पास से इस हालत में देख रहा था, बुआ के बड़े बड़े ३८” उरोज , गोरा दुधिया जिस्म, मोटे गदराये चूतड़, काली काली झांटें मेरे दिलो दिमाग पर छा गए। उस दिन के बाद मैं हमेशा बुआ के कमरे में ताकता रहता, जब भी बुआ झुक कर काम करती, उनके बड़ी बड़ी चूचियों और चूतड़ों को घूरता। कभी कभी जब बुआ घर पर नहीं होती तो उनकी ब्रा पैंटी से खेलता, बुआ को सोच कर मुठ मारता, मतलब कि अब मैं बुआ को चोदना चाहता था पर मेरी बुआ बहुत सख्त है इसलिए पहल नहीं कर पाया।
पर एक दिन मुझे मौका मिल गया। अर्नब की नाईट शिफ्ट थी, मैं बुआ के कमरे में मूवी देख रहा था, दादी अपने कमरे में थी। इतने में बुआ ने कहा कि उनके शरीर में दर्द हो रहा है और बुखार जैसा लग रहा है, तो उन्होंने मुझे अपने पैर दबाने के लिए कहा। पहले तो मैं उनके पैर को सिर्फ घुटनों के नीचे तक ही दबा रहा था, तो उन्होंने कहा कि दर्द थोड़ा ऊपर है। फिर जैसे ही मैंने उनकी जांघ पर हाथ लगाया, क्या एहसास था एकदम नरम नरम गदराये जंघे, मैं जोश मे आने लगा, धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर ले जाने लगा। जैसे ही मैंने कूल्हों पर हाथ लगाये मुझे करंट लगा क्योंकि अन्दर पैंटी नहीं थी। उनके चूतड़ का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड खडा हो गया। पर इतने में ही बुआ ने मुझे पैर दबाने से मना कर दिया। मैं थोड़ी देर मूवी देख कर बुआ के पास ही सो गया। मुझे नींद कहाँ आने वाली थी,लगभग एक घंटे बाद जब बुआ गहरी नींद में सो चुकी थी तब मैंने धीरे से अपनी एक टांग बुआ के दोनों टांगों के बीच में इस तरह डाल दी कि मैं नींद में हूँ।
थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहने के बाद मैं अपनी जांघ उनकी जांघ पर रगड़ने लगा, मैं बहुत जोश में आ चुका था। मैं अब हाथ उनके बड़ी बड़ी चूचियों पर रख कर हल्के हल्के दबाने लगा। डर भी लगा रहा था और मज़ा भी आ रहा था। फिर मैंने धीरे से अपनी हथेली उनकी चूत पर रख दी। अब मुझे उनकी झांटें महसूस हो रही थी। कुछ देर इसी तरह धीरे धीरे चूत सहलाने से शायद बुआ जाग गई थी पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। मेरा इरादा अब उनकी नंगी चूत देखने का हुआ। अब मैं धीरे धीरे उनका गाउन घुटनों के ऊपर करने लगा। ठीक चूत तक आ कर उनका गाउन पैर के नीचे अटक गया। नीचे से मैं उनकी चूत छूने लगा। अचानक बुआ ने मेरी तरफ मुँह करके करवट ले ली जिससे उनकी चूत अन्दर की ओर भींच गई। अब मुझे उनकी चूत छुते नहीं जम रहा था तो मैंने बड़ी बड़ी चूचियों को दबाना चालू कर दिया। बुआ ने अपना एक हाथ मेरे पीठ पर रख दिया। मुझे लगा कि बुआ भी तैयार है। अब मैंने बड़ी बड़ी चूचियों को जोर से दबाना चालू कर दिया। अचानक बुआ ने मुझे जोर का धक्का किया और मैं उनसे अलग हो गया। बुआ नींद से जाग चुकी थी।
मुझे डर लगने लगा कि बुआ क्या बोलेगी और थोड़ी देर मैं सो गया। रात को नींद में मुझे लगा कि कोई भारी सी चीज मेरे टांगों के ऊपर है। मैंने आँखें खोली तो बुआ ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर डाल रखी है और मेरा लण्ड उनके जांघ से रगड़ रहा है। धीरे धीरे मेरा लण्ड खड़े होने लगा पर मुझे डर भी लगा रहा था कि अब अगर बुआ जाग गई तो न जाने क्या करेगी इसलिए मैं वैसे ही चुपचाप सोया रहा पर लण्ड पर नरम नरम स्पर्श लण्ड को और भी खडा कर रहा था। नींद मुझसे कोसों दूर थी पर मैं कुछ करने से भी डर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने सोचा कि मुठ मार कर शांत हो जाता हूँ पर लण्ड के ऊपर तो बुआ की जांघ थी। मुठ मारने के लिए मैंने बुआ की जांघ को थोड़ा और ऊपर करके अपने नाभि के ऊपर ले आया ताकि मैं लण्ड हिला सकूं। धीरे धीरे मैं लण्ड हिलाने लगा, मेरे शरीर में सनसनी होने लगी, इतने में ही बुआ ने अपने जांघ पर हाथ फेरा तो उनका गाउन ऊपर हो गया क्योंकि अन्दर पैंटी नहीं थी, उनके चूतड़ बिल्कुल नंगे हो गए थे। मैंने धीरे से उनके चूतड़ों पर हाथ फिराया।
kahani jaari hain bhag – 2 mei