फोरप्ले सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं एक देसी लड़की के साथ अकेला उसके घर में था. बारिश में भीग चुकने के बाद अब हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे को चूम चाट रहे थे.
अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार.
आप अपना ख्याल रखें और अन्तर्वासना की कहानियां जरूर पढ़ें.
अब मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुए मेरी अधूरी सेक्स कहानी का अगला भाग आपके सामने पेश कर कर रहा हूँ.
कहानी के पिछले भाग
बारिश में सड़क पर मिली लड़की के घर में
में आपने पढ़ा था कि मैं एक लड़की के घर में था. वह मुझे बारिश के मौसम में बीच रास्ते में मिली थी. हमारे बीच इतनी आपसी समझ बन गयी थी कि हम अब आपस में सेक्स के लिए तैयार थे.
मैं और नीता रात को खाना खाकर बेड पर बैठ गए थे.
अब आगे फोरप्ले सेक्स की कहानी:
नीता ने मेरी जांघों पर अपना हाथ रखकर सहलाते हुए कहा- हर्षद, आज मैं अपना सब कुछ तुम्हारे हवाले करना चाहती हूँ. आज मेरा तन, मन सिर्फ तुम्हारा है. तुम आज मेरा कुंवारापन दूर कर दो. एक कली को फूल बना दो. एक लड़की को आज पूरी औरत बना दो. इसका मुझे बरसों से इंतजार था.
उसकी बातें सुनकर मैं अचंभित था कि एक शादीशुदा लड़की, कली कैसे बनी रह सकती है.
उधर वो अपनी रौ में बोले जा रही थी.
“आज तक मैंने अपने तन और मन की प्यास और सारी इच्छाएं मन में ही दबा कर रखी थीं लेकिन आज तुम्हें देखकर सारी इच्छाएं फिर से जागने लगी हैं. आज तुम मेरे तन बदन में लगी आग को बुझाकर मुझे ढेर सारी खुशियां दे दो हर्षद.”
यह कह कर नीता ने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और बोली- मैं शादीशुदा होकर भी कुंवारी हूँ हर्षद. अब मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो!
वो फूट फूटकर रोने लगी, तो मैं अपने हाथों से उसका सर सहलाने लगा और कहा- अरे रोती क्यों हो नीता … मैं हूँ ना … अब तुम्हारी सब इच्छाएं मैं पूरी कर दूंगा.
मैंने अपने दोनों हाथों में उसका चेहरा पकड़ कर उसके माथे को चूम लिया.
नीता ने भी मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
मैंने भी उसे कसकर चूमना शुरू कर दिया.
मैं लगातार उसके गालों पर, गर्दन पर, होंठों पर चूमने लगा.
फिर मैंने उसे खड़ा किया और जोर से अपनी बांहों में कस लिया.
उसकी चूचियां मेरे नंगे सीने पर दब गयी थीं.
नीता कसमसाने लगी थी.
उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर रखा और सहलाने लगी थी.
मेरा लंड जागने लगा था, वो लुंगी में ही कूदने लगा था.
मैंने नीता को अपने से और चिपका लिया.
मेरा लंड नीता की जांघों के बीच में रगड़ने लगा था.
नीता ने अपनी टांगें फैलाकर लंड के लिए जगह बना दी.
वो मेरे लंड को गाउन के ऊपर से ही अपनी चूत पर रगड़ने लगी थी.
मैंने नीता के होंठों पर चूमकर कहा- नीता, मुझे तुम्हें नंगी देखना है.
तो नीता शर्माकर बोली- नहीं, ऐसे नहीं. मैं लाईट बंद करती हूँ, फिर देखना.
मैं बोला- फिर अंधेरे में क्या दिखाई देगा नीता … मैं तुम्हारा कुंवारा बदन अपनी आंखों से उजाले में देखना चाहता हूँ. अब हम दोनों के अलावा कोई तीसरा है क्या … जो हमें देखेगा?
नीता तैयार हो गयी.
मैंने उसका गाउन नीचे से उठाकर कमर के ऊपर ले लिया तो नीता ने अपने हाथ ऊपर करके सर से गाउन निकाल दिया.
मैं आंखें फाड़कर, उसके नंगे अनछुए बदन को देखता ही रह गया.
उसने अपनी आंखों पर हाथ रखकर कहा- ऐसे क्या घूरकर देख रहे हो हर्षद?
मैंने कहा- ये तुम्हारा गोरा और कटीला बदन, गोल मटोल कड़क चूचियां, पतली कमर, गोरी मुलायम मांसल जांघें और बाहर निकले हुए कड़क चूतड़ देखकर तो मेरे होश ही उड़ गए हैं नीता. कितना संभालकर रखा है तुमने अपनी जवानी को!
ऐसा कहते हुए मैंने उसकी आंखों पर से हाथ निकालकर उसे जोर से अपनी बांहों में कसा और चूमने लगा.
उसने भी मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
उसकी चूचियां फिर से मेरे सीने पर रगड़ने लगी थीं.
नीता ने मुझे चूमकर कहा- अब तुम्हारी बारी है हर्षद. मुझे भी तुम्हें नंगा देखना है.
ये सुनकर मैंने कहा- तुम ही कर लो जो करना है नीता.
उसने अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ते हुए कहा- नहीं, मुझे शर्म आती है हर्षद.
मैंने कहा- इसमें शर्माने की क्या बात है नीता? सभी पति पत्नी ऐसा ही करते हैं और तभी मजा आता है.
नीता मुझे चूमती हुई मुस्कुराकर बोली- तुम्हें तो सब कुछ मालूम है.
अब मेरा लंड तनाव में आने लगा था. मैं नीता की गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा था.
मेरी उंगलियां गांड की दरार में अन्दर जाकर उसके गांड के छेद पर घूमने लगी थीं.
नीता के मुँह से आह निकल रही थी.
अब नीता भी गर्म हो गयी थी. उससे रहा नहीं गया और उसने मेरी लुंगी झटके से मेरे बदन से अलग कर दी.
वो मेरा लंड देखते ही रह गयी. नीता की नजर लंड पर ही टिकी थी.
अब तक मेरा लंड पूरी तरह से तनकर अपने असली रूप में आ गया था.
नीता ने अपना हाथ मुँह पर रखकर हैरान होकर मेरे लंड को देखकर कहा- बापरे तुम्हारा ये कितना मोटा और लंबा है हर्षद?
मैं उसे अपनी बांहों मे फिर से कसकर चूमने लगा.
अब नीता मेरा मोटा और लंबा लंड अपनी चूत पर रगड़वा रही थी. इससे वो कसमसाने लगी थी.
मेरे लंड का स्पर्श होते ही, नीता की चूत गीली होने लगी थी.
नीता मेरे गाल, होंठ, सीने पर, पेट पर, नाभि पर, कमर पर और जांघों पर चूमते हुए नीचे घुटनों के बल बैठ गयी.
उसने अपने दोनों हाथों में मेरे लंड को पकड़ लिया वो लंड की लंबाई और मोटाई नापने लगी.
फिर बोली- बापरे, ये तो मेरे पति के उससे तीन गुना लंबा और मोटा है. मेरे हाथ में भी नहीं आ रहा है हर्षद. तुम्हारे लंड के आगे का सुपारा कितना कितना गोरा, मुलायम और गुलाबी है.
जल्द ही वो मेरे सुपारे को अपने कोमल और रसीले होंठों से चूमने लगी.
हम दोनों ही कामुक होने लगे थे. मेरा लंड इतना तन गया था कि मुझे लगा फट जाएगा.
नीता उठकर खड़ी हो गयी तो मैं उसकी दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा.
वो मादक सिसकारियां लेकर ‘आह स्ह स्ह ऊं ऊं …’ करने लगी- ओह हर्षद, आज पहली बार एक मर्द मेरी चूचियां चूस रहा है. मेरे पति ने तो हाथ भी नहीं लगाया था.
उसकी चूचियां चूस चूस कर मैंने लाल कर दी थीं.
नीता बोली- अब बस भी करो ना … मुझसे और नहीं रहा जाता.
मैंने कहा- तो चलो बेड पर करते हैं.
नीता बोली- ऐसे नहीं. पहले मसाला दूध बनाती हूँ. वो पीने के बाद ही हम अपनी सुहागरात मनाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है नीता जैसा तुम चाहो. तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है.
नीता किचन में जाकर दूध बनाने लगी.
मैं भी उसके पीछे आ गया और उसे अपनी बांहों में कस लिया.
मेरा लंड उसकी गांड की दरार में रगड़ने लगा.
नीता को भी मजा आ रहा था तो वो भी अपनी गांड लंड पर घिसने लगी.
उसके कंठ से मादक आवाज निकलने लगी- आह स् स् स्ह स्ह … ओह हर्षद प्लीज मुझे दूध बना लेने दो ना!
मैंने उसके थन मसलते हुए कहा- तुम बनाओ ना दूध … मैंने कहां तुम्हारे हाथ पकड़े हैं?
ये कहकर मैं अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को भींच कर सहलाने लगा; साथ में निप्पलों को भी मींजने लगा.
वो और जोर से मादक सिसकारियां लेने लगी- ओह आह स्ह ऊंई हर्षद … काश मेरी शादी तुम जैसे रोमांटिक, गठीले बदन वाले हैंडसम और मोटे लंड वाले मर्द से हुई होती.
मैंने उसकी चूचियां जोर से मसलते हुए कहा- तो नीता तुम मुझे ही अपना पति मान लो न.
नीता ने अपनी गांड मेरे लोहे जैसे लंड पर रगड़ा और बोली- वो तो मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा, तब से ही पति मान लिया था तभी तो ये सब कुछ कर रही हूँ हर्षद. तुम ही मेरे सपनों के राजकुमार हो.
मैंने कहा- अब अपने राजकुमार से चुद भी तो लो जल्दी से मेरी जान.
नीता- हां चलो अब दूध बन गया है हर्षद. जल्दी से इसे पी लो और मुझे रगड़ दो.
उसने दो गिलास में दूध भरकर एक मुझे पकड़ा दिया और दूसरा खुद ने ले लिया.
हम दोनों गिलास लेकर दरवाजा खोलकर उधर ही बैठ गए.
अब बारिश और तेज हो रही थी.
ठंडी हवा भी तेज चल रही थी. नीता को ठंड लगने लगी, तो वो मुझसे और ज्यादा चिपककर बैठ गई.
उसने अपना एक हाथ मेरी कमर पर कस लिया.
हम दोनों दूध पीते पीते बातें कर रहे थे.
अब मैंने फोरप्ले सेक्स शुरू करते हुए अपना एक हाथ उसके कंधे पर रखा और उसकी एक चूची सहलाने लगा.
नीता सिहरकर बोली- आह कितना मजा आ रहा है हर्षद. ऐसे ही सहलाओ हर्षद … मैं मैं इसी पल के लिए बहुत दिनों से तड़प रही थी.
दस मिनट बाद हम दोनों ने दूध पी लिया था.
नीता ने उठते हुए मेरे हाथ का गिलास ले लिया और बोली- चलो हर्षद, अब काफी रात हो गई है. दरवाजा बंद कर दो.
मैंने उठकर दरवाजा बंद कर दिया और जाकर बेड पर बैठ गया.
नीता भी आकर मुझसे सटकर बैठ गयी और वो अपने एक हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी.
मैंने भी अपना एक हाथ उसके कंधे से ले जाकर उसकी चूची पर रख दिया और दूसरा हाथ उसकी मुलायम, अनछुई चूत पर रख दिया.
नीता कसमसाने लगी- आह ओह हर्षद अब नहीं रहा जाता मुझसे … जल्दी से कुछ करो ना!
ये कहते हुए नीता मेरे लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगी.
नीता ने अपना सर मेरे कंधे पर रखकर कहा- मुझे बहुत डर लग रहा है हर्षद.
मैंने कहा- क्यों नीता कैसा डर?
उसने कहा- ये तुम्हारा इतना मोटा और लंबा लंड मैं नहीं ले पाऊंगी, मैं तो मर जाऊंगी हर्षद. मेरा आज पहली बार है और इतना बड़ा कैसे ले पाऊंगी?
मैंने कहा- क्या तुमने पहली रात को भी अपने पति का नहीं लिया था?
उसने कहा- मैंने बहुत सारे सपने देखे थे अपनी सुहागरात के … और मैं उस दिन बेड पर अपने पति का इंतजार कर रही थी. देर रात वो शराब पीकर आया. मैं उसे देख कर खुश हो गयी थी लेकिन जैसे ही वो बेड पर चढ़ा, शराब की बदबू ने मेरे सारे सपनों को जला दिया. उसने अपनी पैंट और अंडरविअर निकाल दी.
ये कह कर वो रुक गई.
मैंने कहा- हां फिर क्या हुआ नीता?
नीता- जैसे ही मैंने उसे देखा तो उसका लंड जरा सा ही था. शायद तीन इंच से भी कम का रहा होगा और एक पतली सी नली जैसा था, मतलब पानी भरने वाली आधा इंच वाली लेजम जैसा था.
मुझे हंसी सी आ गई थी.
इस पर नीता ने मुझे घूर कर देखा तो मैं चुप हो गया और उससे पूछने लगा कि हां बताओ फिर क्या हुआ?
नीता- उसने मेरी साड़ी कमर के ऊपर तक सरकायी और पैंटी झटके से निकाल दी. वो सीधा मेरी चूत में अपनी नुन्नू डालने लगा.
मैं हैरान होकर नीता की बात सुन रहा था.
नीता- बहुत देर तक तो अपनी सींक मेरे अन्दर डाल ही नहीं सका. मैं नीचे अपनी टांगें फैलाकर तड़प रही थी. मैं ज्यादा देर तक इंतजार नहीं कर सकती थी. उसके लंड के स्पर्श से मेरे पूरे बदन में आग लग गई थी. इसलिए मैंने खुद अपने एक हाथ से उसकी नुन्नू को पकड़कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और नीचे से अपनी कमर उठाकर उसकी नुन्नू पर दबाव डालने लगी. मगर जब तक उसकी नुन्नू अन्दर जाती, वो मेरी चूत के ऊपर ही झड़ गया और मेरे बाजू में निढाल होकर सो गया. मैं तड़पती रह गयी. मैं रात भर रोती रही और अपने नसीब को कोसने लगी.
मैं उसकी तरफ देखे जा रहा था. मैंने पूछा- फिर?
नीता आगे बोलने लगी- फिर लगातार दो तीन ऐसा ही हुआ, तो मैंने उससे कह दिया कि जब तक तुम शराब नहीं छोड़ दोगे, मेरे पास नहीं आना. लेकिन ना ही उसने शराब छोड़ी और ना ही मेरे साथ कुछ कर पाया. तभी से मैं प्यासी हूँ हर्षद. और आज जब मैंने तुम्हें देखा तो फिर से मेरे मन की सभी इच्छाएं जाग गयी हैं.
उसकी दर्द भरी कहानी सुनकर मैंने नीता को वैसे ही पीछे बेड पर लिटा दिया और उसके सर के नीचे तकिया रख दिया.
मैं पलंग से नीचे खड़ा हो गया और उसके ऊपर झुककर उसके होंठों को चूमकर कहा- तुम चिंता मत करो नीता … आज हमारी सुहागरात यादगार होगी. पहली बार लेने में जरा दर्द होता ही है नीता, बस तुम जरा सहन कर लेना.
तो नीता बोली- हां मैं तैयार हूँ हर्षद, अब जो भी होगा, देखा जाएगा. लेकिन आज तुम मेरी कली का फूल बना दो, मेरा कुंवारापन दूर करके मुझे एक औरत बना दो हर्षद.
मैं उसकी दोनों टांगों के बीच खड़ा हो गया और उसके ऊपर झुककर उसके होंठों को चूमने लगा. वो भी मेरे होंठों से लग गई. फिर मैं उसकी चूचियों और निप्पलों को चूमा और नीचे सरककर पेट और नाभि को चूमने लगा.
नीता वासना से कसमसाने लगी.
मैं और नीचे सरककर सभी जगह चूमते हुए उसकी गोरी गोरी मांसल जांघों पर चूमने लगा.
इतने में ही वो सीत्कारने लगी.
वो बार बार अपनी चूत उठा रही थी. मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए, तो नीता मादक सिसकारियां लेने लगी.
‘आह ऊंई आह मर गई हर्षद … क्या कर दिया … आह.’
उसने सिहर कर अपनी चूत उठा दी और दोनों हाथों को मेरे सर पर रखकर सहलाने लगी.
फोरप्ले सेक्स से उसकी चूत एकदम गीली हो गयी थी.
सच में नीता की चूत काफी उभरी हुई थी. एकदम मक्खन सी कोमल, मुलायम, गुलाबी और छोटी सी चूत थी.
मैं मन ही मन खुश हो गया था कि आज एक अनछुई चूत को चोदने का अवसर मिल रहा है.
एक कुंवारी लौंडिया की चूत को फाड़कर उसे औरत बनाना है. ये सोचकर ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था.
दोस्तो, अपनी इस फोरप्ले सेक्स की कहानी के अगले भाग में मैं आपको नीता की अनचुदी बुर की चुदाई की कहानी विस्तार से लिखूंगा.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
आपका हर्षद मोटे
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फोरप्ले सेक्स की कहानी का अगला भाग: बरसात में अजनबी लड़की की कुंवारी चूत मिली- 4