हॉट बेब पोर्न कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी सेक्सी दीदी ने मेरे जन्मदिन पर अपनी सहेली की चूत दिलवाई. दीदी ने मुझे उससे कैफ़े में मिलवाया और हिंट देकर हमें छोड़ गयी.
नमस्कार दोस्तो, कैसे हैं आप लोग!
मेरी पिछली सेक्स कहानी
बहन के जिस्म का पहला स्पर्श
को आप सबने काफी पसंद किया, बहुत से मेल आए.
कई लोगों ने मेरी कहानी को फेक भी बताया.
उनसे मेरी गुजारिश है कि आपको जो सोचना हो सोचें, पर कहानी बिल्कुल सच्ची घटना पर आधारित है.
काफी दिनों से मैं जीवन के उतार-चढ़ाव में व्यस्त था.
पिछली कहानी में आपने मेरी दीदी और मेरे बीच सम्बंधों की शुरुआत के बारे में पढ़ा था कि कैसे मैंने दीदी को एक खराब रिलेशनशिप से बाहर निकाला और कैसे उनके मन में मेरे लिए आकर्षण जगा.
फिर कैसे मैंने मामा की शादी में दीदी की चूत हचक कर चोदी और अपनी बरसों की कामना पूरी की.
उसके बाद तो मुझे दीदी का नशा सा हो गया था; मैं हर समय उन्हें चोदने के मौके ढूँढता रहता था.
हालांकि दीदी की चूत मेरी पहली चूत तो नहीं थी. इससे पहले भी मैंने कई चुतों को चखा है.
पर दीदी की बात ही अलग है.
दीदी मेरी तरह ही सेक्स पसन्द करने वाली होंगी, ये मैंने सोचा भी न था.
सेक्स के प्रति उनका रुझान अद्वितीय था.
उन्होंने साबित कर दिया था कि वो पसंद के मामले में मेरी सच्ची बहन हैं.
शुरू शुरू में हम दोनों अकसर घर के बाहर ही सेक्स करते.
मतलब कभी होटल में, तो कभी कहीं दोस्त के रूम पर चुदाई करते थे.
सिनेमा हॉल के अंधेरे में उनके गद्देदार मम्मे दबाना मेरा प्रिय खेल था.
आगे चल कर मैंने घर पर बिना बताए कॉलेज के पास ही एक फ्लैट ले लिया था, जहां मैं अपनी दीदी के साथ पूरी मस्ती से चुदाई का सुख लिया करता था.
दोस्तो, मेरा कॉलेज शहर से थोड़ा बाहर था इसलिए मैं होस्टल लेकर रहता था.
दीदी अकसर कॉलेज बंक करके मेरे पास चली आती थीं और हम जोरदार सेक्स करते थे.
ऐसे दीदी डरती और शर्माती बहुत थीं पर सेक्स के दौरान खूब मजे करतीं.
पूरी तरह उन्हें खुलने में साल भर लग गया था.
इसका सारा श्रेय आप मुझे दे सकते हैं.
यह बात तब की है जब हम काफी खुल चुके थे.
पापा मम्मी के न रहने पर अब हम दोनों घर में भी चुदाई कर लेते थे.
हालांकि ये मंगल अवसर महीनों में कभी कभार ही मिलता था.
दीदी ने डरना काफी हद तक कम कर दिया था और मेरी भी हिम्मत बढ़ रही थी.
मैं मौका देख घर में भी उनके चूतड़ और मम्मे दबा देता था.
दीदी बस मुस्कुरा कर कह देतीं- हट बदमाश!
संक्षेप में कहें तो हम एक दूसरे से काफी खुल गए थे.
मैं उनसे खुल कर सेक्सी मजाक करने लगा था और उन्हें भी मेरे द्वारा ऐसे छेड़े जाना पसन्द आने लगा था.
वो भी अकसर अपने कपड़ों पर मेरी राय लेतीं.
जैसे आज कौन सी ब्रा पैंटी पहनूं?
लाल रंग मेरी विशेष पसन्द थी क्योंकि उनके गोरे जिस्म पर लाल रंग बड़ा खिलता था.
इसके अलावा बहुत से मायनों में हम दोनों अब भाई बहन के रिश्ते से ऊपर उठ चुके थे.
हमारे बीच एक अलग ही रिश्ते की शुरुआत हो चुकी थी.
एक दिन तो उन्हें चोदते हुए जोश में मैंने रंडी तक बोल दिया था.
बाद में मैं दीदी से इस बात के लिए मांफी मांगने लगा, मुझे लगा था कि उन्हें बुरा लगा होगा.
पर दीदी बुरा नहीं मानी थीं.
उनका कहना था कि वैसे तो ये काफी अपमानजनक शब्द है, पर तेरे मुँह से सुनने में अच्छा लगा.
उनकी यही बात तो उन्हें सबसे अलग बनाती है.
चुदाई तो सबको पसंद होती है पर उनको सेक्स क्रिया में खुद को अपमानित और बेआबरू किया जाना पसंद था.
मेरे द्वारा उन्हें आपत्तिजनक टिप्पणियां करना पसंद था.
सेक्स में इस प्रकार की विशिष्ट रुचि ने ही आगे चल कर उन्हें मेरी गुलाम बनने पर मजबूर कर दिया था.
बाकी ये तो सेक्स की बात है. पर दोस्तो, मैं दीदी की बहुत इज्जत करता हूँ और उन्होंने जो नायाब तोहफा मुझे दिया है, उसका मैं कृतज्ञ हूँ.
अब हॉट बेब पोर्न कहानी पर आते हैं.
तो हुआ कुछ यूं कि हमारे इस रिश्ते को लगभग साल भर हो चुका था.
मेरा बर्थडे आने वाला था. मेरे एग्जाम अब खत्म ही होने वाले थे.
दीदी ने मुझसे कॉल पर ट्रीट मांगी.
जाहिर है हम सेक्स के साथ साथ अच्छे दोस्त भी बन चुके थे.
जिस्मानी सम्बन्ध अक्सर लोगों को करीब ला देते हैं.
मेरा बर्थडे जनवरी में होता है.
इसी समय लगभग हमारा सेमेस्टर ब्रेक भी होता है.
बर्थडे की शाम तो कुछ हो नहीं सकता था क्योंकि उस दिन घर में पार्टी होनी थी.
इसी लिए हमने एक दिन पहले सेलीब्रेट करने का प्लान किया.
मैं बहुत उत्साहित था; दो महीने बाद घर जा रहा था.
एग्जाम के कारण दीदी से भी उतनी बात नहीं हो पाई थी.
सच कहूं तो चुदाई के लिए मैं बहुत उत्साहित था.
अब आप सोचेंगे कि यह हब्शी लौंडा बिना चुदाई के दो महीने कैसे रह गया.
तो दोस्तो, जब से दीदी को चोदा है न … उन्होंने मेरे अन्दर जो आग लगा दी है, वो हर लड़की तो नहीं बुझा सकती, उसके लिए तो दीदी का कोई विकल्प हो ही नहीं सकता था.
जो लोग ये सोचते हैं कि बड़े लंड को चूत आसानी से मिल जाती है, तो मेरे भाई ऐसा नहीं है.
हमें और भी दिक्कत होती.
कुछ लड़कियां तो हमारी भूख … और भयंकर लंड देख कर ही डर जाती हैं … और मानो किसी वजह से वो चुद भी लें, तो दोबारा चुदना का नाम ही नहीं लेती हैं.
मुझ जैसे बड़े लंड वाले की भूख कोई कोई तड़पती चूत ही मिटा सकती है.
इसी लिए हमारे हाथ या तो आंटी आतीं, जो अपनी सेक्स लाइफ से सन्तुष्ट नहीं होतीं, या फिर पैसे वाली रंडियां आतीं.
दीदी ने मुझे सबसे पहले उन्हें मिलने को कहा.
मुझे लगा उन्होंने कुछ प्लान किया होगा.
मैं उत्साहित होकर उनके दिए पते पर पहुंच गया.
ये एक कॉफी कैफे था.
ऊपर से उनके साथ उनकी फ्रेंड को देख मेरा सारा मजा किरकिरा हो गया.
उन्होंने उसे इशिता के रूप में इंट्रोड्यूस करवाया.
वो अपनी फ्रेंड के साथ शायद इसलिए ही आयी थीं ताकि हमें कोई ऐसे मिलते देख भी ले, तो कुछ ऐसा वैसा न सोचे.
पर इशिता थी बला की खूबसूरत.
वो छरहरी देह की थी, पर उसके अंगों का विकास दीदी के समान नहीं था. हां … लम्बाई में वो अधिक हो सकती है, पर भड़कदार बॉडी वाली नहीं थी.
उसके नयन नक्श भी काफी सेक्सी थे, उसके डिंपल्स वाली कातिल मुस्कान पर कोई भी लड़का पिघल जाए.
कपड़ों से वो किसी रईस घर से लगती थी मगर वो मेरी दीदी के सामने पासंग नहीं थी.
बातों से पता चला वो दीदी की कॉलेज फ्रेंड है और पार्ट टाइम मॉडलिंग भी ट्राय करती है.
दीदी ने आज क्रीम कलर का सूट पहन रखा था जो उनकी देह पर काफी कसा हुआ था.
मैंने सुबह ही उन्हें यह पहनने की नसीहत दी थी.
मैंने तो दीदी को बोल रखा है कि दीदी आप मुझे सूट में सबसे ज्यादा हॉट लगती हो.
दीदी तब से वही करती हैं.
जब भी मेरे साथ बाहर जाती हैं, सूट पहन कर ही जाती हैं.
दीदी ने बाल खोल रखे थे.
आंखों में काजल, लाल लिपस्टिक, मेकअप भी किया हुआ था.
पर उन्हें मेकअप की जरूरत नहीं पड़ती थी.
वो ऐसे भी मुझे इस दुनिया की सबसे सुंदर अप्सरा लगती हैं.
सूट में उनके तने हुए 36डी साइज के मम्मे एकदम बिजली गिरा रहे थे.
बाकी बची कसर उनके बड़े गले से उनकी चूचियों की घाटियां साफ नजर आती हुई पूरी कर रही थी.
उनके सूट के पारदर्शी कपड़े से उनके काले रंग की ब्रा की झलक मैं आसानी से ले पा रहा था.
मुझे तो जी में आ रहा था कि अभी झपट पड़ूं और उनके रसीले होंठों को चूम लूँ.
पर अफसोस … हम उस वक्त रेस्टोरेंट में थे.
दीदी ने केक ऑर्डर किया.
मैंने केक काटा और दोनों को खिलाया.
फिर सबने अपने पसन्द की डिश ऑर्डर की.
यहां हम सभी ने करीब एक घण्टा बिताया.
दीदी की विशेष मुस्कान मेरी उत्तेजना का कारण बन गई थी.
वो कुछ ज्यादा ही खिली हुई थीं.
मैं बार बार उनके रसीले होंठों को कनखियों से देखता और लौड़ा मसल कर रह जाता.
इसके बाद मैंने मूवी चलने को कहा.
इस पर दीदी मुस्कुरा दीं- मूवी क्यों?
‘बस ऐसे ही.’
‘काफी देर हो गई है.’
मैं जानता था कि दीदी ये सब मुझे परेशान करने के लिए कह रही हैं.
उनकी ये अदा मुझे बहुत पसंद है.
वो अच्छी तरह जानती थीं कि मैं मूवी के लिए क्यों कह रहा हूँ.
पर इशिता ने मुझे सपोर्ट करते हुए कहा- हां, ठीक तो रहेगी मूवी. अब दोपहर का टाइम है, घर जाकर क्या करोगी. कॉलेज बंक ही कर लिया है, तो मूवी देख ही लेते हैं!
दीदी इतराती हुई मान गईं.
वो मुझे देख दोबारा मुस्कुराईं.
उनकी मुस्कान मुझे खटक रही थी.
आखिर चल क्या रहा था इनके दिमाग में?
हम सब सिनेमा हॉल में पहुंचे.
मैंने 3 टिकट लीं और कॉर्नर में सबसे ऊपर वाली सीट पर आ गए.
आप समझ रहे हैं न … यह जगह काफी सेफ होती है. अकसर लोग मूवी देखते समय आगे ही देखते हैं, ऐसे में हॉल के अंधेरे का भरपूर फायदा उठाया जा सकता था.
यह हॉलीवुड की एक हॉरर फिल्म थी. मैंने जानबूझ कर इस फिल्म को चुना था क्योंकि मैंने ये देख रखी थी.
ज्यादातर सीन रात के हैं.
हॉल में लाइट्स डिम रहती है.
मूवी शुरू हुई … और मेरी हरकतें भी.
मैंने दीदी की जांघ पर हाथ रख दिया, हौले-हौले से सहलाने लगा.
ये इंडिकेशन था कि दीदी अपने पैर खोलो, मैं तुम्हारी गीली चूत मसलना चाहता हूं.
लेकिन दीदी ने मुझे तनिक भी रिस्पॉन्स नहीं दिया.
मेरे हाथ ऊपर बढ़ने लगे और उनके सपाट पेट पर घूमने लगे.
फिर भी कोई रिस्पॉन्स नहीं.
हार कर मैं चुपचाप बैठ गया.
मैंने इशिता को देखा.
वो फ़िल्म देखने में मशगूल थी.
मैं उन दोनों के बीच में बैठा था.
कारण आप जानते हैं.
मुझे फ़िल्म में कोई दिलचस्पी नहीं थी. मैंने फिर से कोशिश की और दीदी के कंधे पर हाथ रख दिया.
उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
मैंने धीरे से एक उंगली से उनके मम्मों को छेड़ा.
अब दीदी मुस्कुराईं पर ध्यान सामने ही रखा.
मैं उंगली से उनकी ब्रा की स्ट्रिप को छेड़ने लगा, हौले से हाथ उनके सूट के अन्दर प्रवेश कराने लगा.
आज पता नहीं क्या हुआ था उन्हें, जरा सा भी उत्साह नहीं दिख रहा था.
अब तक दीदी मेरा लौड़ा कब का पकड़ चुकी होतीं.
मुझसे तो ज्यादा वो चुदने के लिए गर्म रहती थीं.
मैंने थोड़ा मुड़ कर उनके गाल चूमने का सोचा. मेरे हाथ अब उनकी तंग ब्रा के अन्दर जगह बना रहे थे. जैसे ही मैं चूमने के लिए मुड़ा, मुझे एक हाथ मेरे दाईं जांघ पर सरकता हुआ महसूस हुआ.
दोस्तो, ऐसे में मेरी तो गांड फट गई.
मेरा बांया हाथ अभी भी दीदी की ब्रा के अन्दर था.
पर मैंने जल्दी बाजी नहीं की.
मैंने सहजता से हाथ निकाला और दीदी के कंधे पर रखा.
मैंने कनखी से इशिता को देखा, वो एकटक स्क्रीन को ही देख रही थी.
मैं उसी स्थिति में था.
मैंने उसे न देखने का नाटक किया और बर्ताव किया कि मैं फ़िल्म देखने में मशगूल हूँ.
कुछ देर बाद उसके हाथ में दोबारा हरकत दिखी.
वो हाथ मेरी जांघ पर ऐसे फिराने लगी, मानो कुछ टटोलने की कोशिश में हो.
मैंने दीदी के कान में कहा- दीदी ये क्या … आपकी फ्रेंड तो गर्म हो रही है!
“तो मिटा दे उसकी गर्मी!”
दीदी ने मुस्कुराते हुए धीरे से मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा.
मैं भौंचक्का था.
ये सब दीदी का प्लान था.
क्या इशिता हमारे बारे में जानती है?
मेरी दीदी ने ऐसा कुछ प्लान किया है … ये मैंने सोचा भी नहीं था.
दीदी ने इंटरवल से पहले मुझे किस किया और कहा- मजे कर! मैं घर पर तेरा वेट करूँगी.
ये कह कर वो चली गईं.
उन्होंने मम्मी के फोन आने का बहाना कर दिया था.
अब उतावली इशिता और चोदू विशाल … हम दोनों बच गए थे.
इंटरवल के बाद पिक्चर फिर से शुरू हुई.
कुछ देर बाद लौंडिया की हरकतें भी.
लेकिन इस बार मैं पहले से तैयार था, मैंने चैन खोल कर रखी थी.
अंडरवियर मैंने पहले से नहीं पहन रखी थी. सोच रखा था कि दीदी से मुठ मरवाऊंगा.
चलो दीदी न सही, उनकी फ्रेंड ही सही.
उसका हाथ सीधे अन्दर घुस गया.
जब उसने मेरे लौड़े को हाथ में पकड़ा तो चीख पड़ी ‘उई …!’
उसका मुँह खुला का खुला रह गया.
उसने मेरी तरफ देखा.
मैं इस मौके की ताक में था और पहले से उसे ही देख रहा था.
मैंने झट से उसके मुँह को अपने होंठों से बंद कर दिया और उसके होंठों का रसपान करने लगा.
उसने तनिक सा भी विरोध नहीं किया.
मेरे हाथ उसके मम्मे दबाने लगे.
हमारी रो (पंक्ति) में कोई नहीं था.
हम सबसे पीछे कोने में थे.
हमारे आगे वाली कतार भी खाली थी तो हमें कोई टेंशन नहीं थी.
एक घंटा की चुसाई चटाई के बाद मूवी खत्म हुई.
हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और हॉल से बाहर चले आए.
इशिता ने मुझे उसके घर चलने को कहा.
ये मुझे थोड़ा रिस्की जरूर लगा, पर चूत तो मैं छोड़ने वाला था ही नहीं.
उसकी कार से हम दोनों उसके घर आए.
काफी आलीशान घर था.
उसने दरवाजा खोला और हम दोनों अन्दर आ गए.
खाली पड़ा घर देख कर मैंने पूछा- तुम यहां अकेले रहती हो?
“ऑफकॉर्स नॉट … मम्मी और मैं रहती हूँ, पर अभी वो ऑफिस गयी हैं.”
“मतलब घर में कोई नहीं है?”
“हां.”
मैंने झट से उसे खींचा और खुद से चिपका लिया.
‘फिर देर किस बात की.’ कहते हुए मैं उसे चूमने चाटने लगा, उसके होंठों का रसपान करने लगा.
वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी.
उसने बेडरूम में चलने को कहा.
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- तब क्या नौकरों के सामने चोदोगे?
तब जाकर मुझे अहसास हुआ कि यहां आस पास कुछ नौकर भी थे, जो अपने अपने काम में मशगूल थे.
बेडरूम में आते ही मैंने फिर से उसे खींचा और उसके होंठ चूसने लगा.
वो वनपीस में थी.
ये लड़कियां ठंड में वनपीस में कैसे रह लेती हैं … साला समझ ही नहीं आया.
मैंने हाथ टॉप में घुसेड़ा और उसके एक मम्मे से खेलने लगा.
वो मेरे साथ पूर्ण सहमत थी. वो मुझे जो चाहे करने दे रही थी.
मेरा दूसरा हाथ नीचे उसके चूतड़ उमेठने में लगा था.
मैंने उसकी गर्दन, नग्न कंधों को चूमते हुए स्ट्रिप को नीचे सरका दी.
उसने तो पूरी ही निकाल डाली एक ही झटके में.
मेरे सामने अब वो बस पैंटी में नग्न मेरे सामने खड़ी थी.
मैंने उससे पूछा- तुमने ब्रा नहीं पहनी?
उसका जवाब था- मुझे जरूरत नहीं पड़ती.
सच में उसके मम्मे तो आकार में छोटे थे.
वो काफी दुबली देह की थी.
मॉडल्स शायद ऐसी ही होती हैं.
उसे चूमते चाटते मैंने उसे गोद में उठा कर बेड पर पटक दिया और अपने कपड़े निकाल कर उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगा.
मुझे भी दो महीने से सेक्स करने नहीं मिला था तो मैं काफी गर्म था.
मैंने झट से उसके छोटे चूचे मुँह भर लिए और मस्ती में चूसने लगा.
उसे भी मजा आने लगा और वो वासना से पागल हुई जा रही थी.
वो मेरा मुँह अपने चुचों पर दबा रही थी.
कुछ देर मैंने उसके चूचुक चूसे और झट से नीचे की तरफ बढ़ गया.
उसकी टांगों को किस करते करते मैंने पैंटी बाहर निकाल दी.
मैंने एक मिनट को उसकी तरफ देखा.
वो मदमस्त हुई जा रही थी.
मैंने उसकी टांगें हवा में उठा दीं और चूत चाटने लगा.
इससे उसे और भी ज्यादा मस्ती चढ़ गई.
वो मेरे बाल नौंचने लगी.
इधर मेरा लौड़ा बवाल कर रहा था.
उसे जल्दी से चूत चाहिए थी.
तो मैं जल्दी से चूत चाट कर अलग हुआ.
यह लड़की काफी मंझी हुई खिलाड़ी थी.
मेरे मुँह हटाते ही उसने भी लपक कर लौड़ा मुँह में भर लिया.
हालांकि मेरे टोपे भर से उसका पूरा मुँह भर गया था, पर वो लंड चूसने में काफी तेज थी.
लंड तो ऐसे चूस रही थी मानो आइसक्रीम चूस रही हो.
कुछ पल बाद उस पोर्न बेब ने ड्रावर से कंडोम निकाला और मेरे लंड पर चढ़ाने लगी.
लंड तैयार हो गया तो मैंने उसे लिटा दिया और उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया ताकि चूत थोड़ी उठ जाए.
मैं लंड को उसकी चूत में पेलने लगा.
मेरा टोपा अन्दर जाते ही उसके चेहरे की रंगत बदल गयी, आंखें फ़ैल गईं और दांत भिंच गए.
मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
आश्चर्य ये था कि वो अपनी मुट्ठियां भींचे हुई पूरा लंड चूत में खा गयी.
एक दो आसान झटकों के बाद मैंने थोड़ी स्पीड बढ़ाई.
अब कमरा उसकी कामुक सिसकारियों से गूंज उठा था.
वो ‘अहह अहह ओह्ह यस …’ करती हुई और अपनी दोनों टांगें हवा में उठाए मेरा लंड ले रही थी.
मैंने 5 मिनट तक उसे इसी आसन में चोदा और पोजीशन बदल ली.
अब मैंने उसे करवट के बल लिटाया, एक टांग हवा में उठा दी और लंड उसकी चूत में पेलने लगा.
मैं साथ में उसे बेतहाशा चूमता, कभी होंठ तो कभी मम्मे.
वो भी मस्ती में चुद रही थी.
माहौल में गर्मी थी.
इस बार पोजीशन बदलने से पहले उसने कंडोम निकाल फ़ेंका.
मैंने भी उत्तेजना के आवेग में इस बात को नजर अंदाज कर दिया.
अब तक वो हॉट बेब घोड़ी बन चुकी थी.
आराम का तो पता नहीं, पर मैं पूरे लंड से उसे चोद रहा था.
वो मस्त सिसकारियां भर रही थी.
उसकी मस्त गांड देख मेरे मन में एकदम से आया और मैंने उसके चूतड़ों पर एक चपत जड़ दी.
वो चिहुंकी, पर कोई प्रतिकिया न दी.
वो बस ‘आह … ओह हम्म फक मी …’ कहती हुई चुदने में लगी थी.
मैं उसकी गांड को ललचाई नजर से देख रहा था.
मैंने एक चुम्बन कर दिया.
दोस्तो, सच कहूँ तो उसे चोदते समय भी ख्याल दीदी का ही आ रहा था.
मैं तो दीदी को चोदने के फिराक में आया था.
मेरी दो महीने से संजोयी अन्तर्वासना तो उनके लिए ही थी.
यह अलग बात है कि दीदी मुझे खड़े लंड पर धोखा दे गई थीं और मुझे इस नई चूत के साथ फुसला दिया था.
मैंने आंखें बंद करके आज का सीन याद किया.
दीदी क्रीम कलर के सूट में क्या कमाल लग रही थीं.
उनके तने हुए वो मम्मे याद करके तो लंड में आह आह की तरंग उठने लगी.
मैंने इशिता के बालों को पकड़ा और अपनी तरफ खींचा.
दीदी का ख्याल आते ही मेरे अन्दर का जानवर जग जाता है.
हालांकि इशिता गर्म थी तो उसने प्रतिकिया नहीं दी.
मैं उसके बाल पकड़ कर अपनी घोड़ी की सवारी करता रहा.
पर अब धक्के तेज हो गए थे.
उसकी चीखें बता रही थीं कि लंड आतंक मचा रहा था.
मैं ज्यादा नहीं टिकने वाला था.
मैंने उससे कहा- मैं आने वाला हूँ.
उसने झट से जवाब दिया- हां अन्दर ही कर दो.
मैंने घोड़ी और तेज भगायी, मतलब धक्के सुपरसोनिक कर दिए और उसकी चूत में ही झड़ गया.
मैं उसके ऊपर निढाल गिर गया.
दोस्तो, मैं इतनी उत्तेजना में था कि मुझे ख्याल भी नहीं रहा कि वो कब झड़ी.
पर उसका सन्तोष बता रहा था कि वो झड़ चुकी है.
वो मेरे शरीर में नीचे दबी हांफती रही.
फिर मैं कुछ देर बाद उठा, अपने कपड़े पहनने लगा.
वो अभी भी बेड पर पड़ी हांफ रही थी.
मैंने उससे कहा- थैंक्यू … सच में मजा आ गया!
‘थैंक्यू तो मुझे कहना चाहिए!’ वो सांसें सम्भालती हुई बोली.
उसने मुझसे मेरा नम्बर मांगा.
मैंने नम्बर दिया और उससे नम्बर एक्सचेंज किया.
फिर मैं वहां से चला आया.
दोस्तो, इशिता को दीदी ने मुझसे क्यों चुदवा दिया था, वो खुद क्यों नहीं चुदी थीं.
ये सब आपको अगली सेक्स कहानी में पढ़ने को मिलेगा.
मुझे मेल करके बताएं कि यह हॉट बेब पोर्न कहानी कैसी लगी.
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