हॉट इंडियन भाभी सेक्स के लिए तड़प रही थी क्योंकि उसका पति उसकी चूत की आग बुझाने में नाकाम था. उसने पति के दोस्त से मदद मांगी तो उसने अपने दो दोस्तों से भाभी की सेटिंग की.
दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी में आप दीपिका की प्यासी चूत की चुदाई का इंतजाम कैसे हो रहा था, उसके बारे में पढ़ रहे थे.
कहानि के पहले भाग
पति के दोस्त से मदद मांगी
में अब तक आपने पढ़ा था कि सुभाष का दोस्त अनिल खन्ना, सुभाष की बीवी दीपिका को सैट कर चुका था मगर वह खुद भी दीपिका की चूत की आग बुझाने में नाकाम था. इसलिए उसने दीपिका की चूत चोदने के लिए दो मुस्टंडे खोज निकाले थे, जो आज दीपिका से मिलने आने वाले थे.
अब आगे हॉट इंडियन भाभी सेक्स कहानी:
कुर्ती पजामी पहने हुए दीपिका ने आईने के सामने खड़ी होकर खुद को देखा तो कुर्ती से उसका सांवला जिस्म अच्छे से नजर आ रहा था और सिल्क की टाईट पजामी से सामने वाला उसकी टांगों की पूरी शेप का अंदाजा आसानी से लगा सकता था.
दीपिका ने कुर्ती के बटन बंद करने से पहले ब्रा का हुक खोल दिया और फिर कुर्ती के बटन बंद कर लिए.
इसके बाद दीपिका ने हल्का से मेकअप किया.
तभी अनिल का फोन आया कि वे लोग ऊपर आ रहे हैं.
दीपिका को घर के नीचे वाले हिस्से से कुछ आवाजें आईं, तो वह समझ गई कि वे लोग आ गए हैं.
उसका दिल तेजी से धड़कने लगा.
हालांकि चिमन दर्जी से वह इस सिलसिले में आमने-सामने आ चुकी थी, पर उस समय वह इस बात से अनजान थी.
अब तो दो मर्द उसको चुदाई की नजर से देखने आ रहे है.
वह ये सब सोच ही रही थी कि अनिल की आवाज आई- कहां हो भाभी?
अनिल की आवाज सुनकर दीपिका जैसे नींद से जागी.
उसने जल्दी से एक काले रंग के दुपट्टा से अपनी छाती को ढक लिया और कमरे के दरवाजे की चिटकनी खोलकर दरवाजा खोला, तो देखा तीनों सामने खड़े थे.
दीपिका नजर झुका कर खड़ी हो गई.
तब अनिल बोला- जुम्मन भाई, ये है दीपिका भाभी!
दीपिका ने महसूस किया कि सामने खड़ा आदमी उसे ऊपर से नीचे तक भरपूर नजर से देख रहा है.
दीपिका चुपचाप नजर झुका कर खड़ी थी.
तब अनिल बोला- आओ जुम्मन भाई, बैठकर बात करते हैं.
तब जुम्मन ने चिमन को कहा- चिमन, तुम जाकर सामान को उल्टा पुल्टा करते रहो ताकि नीचे किसी तरह की शंका नहीं हो … और कोई आता दिखाई दे, तो हम लोगों को इशारा कर देना.
चिमन ने पूछा- कहां है वह सामान?
दीपिका ने कहा- वह तो ऊपर स्टोर रूम में है.
ये कह कर दीपिका पानी लाने अन्दर चली गई.
उसके जाते ही जुम्मन बोला- सब ऊपर वाले स्टोर में ही चलते हैं.
अनिल बोला- अरे नहीं, ऊपर कहां जाना है. चिमन भाई ऊपर उठा पटक करते रहेंगे. हम आराम से बैठ कर बातें करते हैं.
जुम्मन ने चिमन को ऊपर जाने का इशारा किया और अनिल जुम्मन को लेकर बैठक वाले कमरे में चला गया.
उसने जुम्मन को आराम से सोफे पर बिठाया और कहा- मैं दीपिका को बुलाकर लाता हूं.
अनिल ने बाहर आकर देखा तो दीपिका रसोई में चुपचाप खड़ी थी.
अनिल उसके पास गया और बोला- दीपिका क्या बात है, जुम्मन पसंद नहीं है क्या?
दीपिका बोली- ऐसी बात नहीं अनिल, मैंने तो अभी जुम्मन को देखा ही नहीं … तो पसंद नापसंद की क्या कहूं.
अनिल बोला- तो आओ कमरे में देख लो, पसंद आए तो चाय ठण्डे के लिए पूछ लेना. नहीं पसंद आया तो मत पूछना. मैं समझ जाऊंगा … और बात को यहीं समाप्त कर देंगे.
दीपिका ने इस बात को समझ कर थोड़ी राहत की सांस ली.
तब अनिल बोला- आओ कमरे में चलते हैं.
दीपिका अनिल के साथ कमरे में चली गई. सामने सोफे पर जुम्मन बैठा था.
दीपिका ने नजर उठाकर जुम्मन को देखा.
एकदम गोरा रंग, मजबूत काठी, चेहरे से मर्दानगी झलक रही थी.
किसी भी औरत को पहली नजर में दिल को भा जाने वाला मर्द था जुम्मन.
जुम्मन को देख कर दीपिका की आंखों में एक चमक सी आ गई थी, जिसे अनिल ने पहचान लिया.
अनिल ने दीपिका को जुम्मन के सामने सोफे पर बैठने को कहा.
दीपिका नजर झुका कर बैठ गई.
तब जुम्मन बोला- काफी देर हो गई, अब मैं चलता हूं.
दीपिका हिम्मत करके बोली- अरे ऐसे कैसे … आप पहली बार घर आए हैं. बताइए क्या लेंगे … चाय या ठण्डा?
जुम्मन बोला- भाभी, फिर कभी इत्मीनान से बैठ कर सब कुछ पिऊंगा.
अनिल बोला- जुम्मन भाई बैठिए न, चाय पीते हैं. भाभी, आप चाय बना लो.
दीपिका उठकर कमरे से बाहर निकल कर रसोई में आकर चाय बनाने लगी.
उधर कमरे में अनिल ने जुम्मन से हाथ मिलाया और कहा- जुम्मन भाई, दीपिका भाभी तैयार हो गई हैं.
जुम्मन बोला- मुझे भी दीपिका पसंद है. मैं दीपिका को चोदने के लिए बेताब हो रहा हूं.
अनिल बोला- हां जल्दी ही पहली चुदाई का प्रोग्राम बना देते हैं जुम्मन भाई.
उधर रसोई में दीपिका जुम्मन के ख्यालों में खो गई. जुम्मन का मर्दाना चेहरा उसकी आंखों के सामने घूम रहा था और उसकी चूत पानी पानी हो रही थी.
‘जुम्मन भाई मैं अभी आया …’ कहकर अनिल कमरे से बाहर निकल रसोई में दीपिका के पास गया और दीपिका से बोला- लंड वाला पसंद है ना!
तो दीपिका ने शर्माते हुए गर्दन हिला कर हां कहा.
अनिल बोला- दीपिका अभी एक काम करो, दुपट्टा अब एक कन्धे पर रख कर आना.
दीपिका- अनिल मेरी ब्रा का हुक टूट गया है और ब्रा भी आगे हुक वाली है.
तो अनिल बोला- कोई बात नहीं तुम्हारी चूचियां ही दिखेगी ना … दिखने दो. अब तो सब दिखाना ही तो है.
दीपिका बोली- ठीक है, मैं चाय लेकर आती हूं … आप चलो.
अनिल के जाने के बाद दीपिका ने चार कप चाय और नाश्ता ट्रे में रखा और अपने दुपट्टे को एक कन्धे पर रखा.
अब दीपिका की एक तरफ की चूची काफी हद तक नजर आने लगी.
दीपिका चाय लेकर बैठक के कमरे में आई और बोली- चिमन को भी बुला लो आप!
जुम्मन ने चिमन को फोन कर नीचे आने को कहा, तो चिमन आ गया.
अब चिमन और जुम्मन एक साथ बैठ गए और दीपिका उनके सामने अनिल की बाजू में बैठ गई.
दीपिका ने सबको चाय दी.
जुम्मन और चिमन दीपिका को देखते रहे.
तब अनिल बोला- आप लोग एक दूसरे से बात कर लो.
जुम्मन बोला- दीपिका, आपके दिल में जो भी बात है, आप खुलकर कह दो.
अनिल बोला- दीपिका भाभी तो दो ही वायदे चाहती हैं आपसे!
जुम्मन बोला- क्या वायदे … बोलिए?
तो अनिल बोला- संतुष्टि और सुरक्षा.
जुम्मन बोला- दीपिका, आपकी संतुष्टि ही हमारा मकसद है. जब आप कहोगी तब ही हम मिलेंगे … वरना हम लोग एक दूसरे से अनजान ही रहेंगे.
दीपिका ये सुनकर बहुत खुश हो गई.
तब जुम्मन बोला- अब चलते हैं. यहां ज्यादा टाइम रूकने से लोगों को शक होगा.
दीपिका- आपको अनिल जी सब बता देंगे.
ये कहकर सब उठ गए.
तब जुम्मन बोला- दीपिका, एक बात पूछना चाहता हूं … अगर आप बुरा नहीं मानें तो!
अनिल बोला- अरे जुम्मन भाई, बिंदास पूछिए … क्या पूछना चाहते हैं आप?
जुम्मन बोला- दीपिका आपके कुर्ते के जो बटन हैं, ये खुलते हैं या कुर्ते को सुन्दर बनाने के लिए लगाए गए हैं?
दीपिका कुछ शर्मा गई और धीरे से बोली- जी, खुलते हैं.
जुम्मन के चेहरे पर मुस्कान आ गई.
अब सब लोग बाहर आ गए और तीनों दीपिका के घर से चले गए.
सबके जाने के बाद दीपिका ने जल्दी से कपड़े बदल कर घर के काम निपटा कर बैठ गई.
वह जुम्मन और चिमन के बारे में ही सोचती रही.
तभी उसके फोन की घंटी बजी तो दीपिका ने देखा कि अनिल का फोन आया था.
उसने जल्दी से फोन उठाया.
अनिल बोला- दीपिका कैसे लगे जुम्मन और चिमन?
दीपिका बोली- दोनों ही हर तरह से मनमाफिक हैं.
अनिल- दीपिका, जुम्मन और चिमन को भी तुम बहुत पसंद आई हो. वे चाहते हैं कि पहली चुदाई का प्रोग्राम अगले दो तीन दिनों में ही बना लें.
दीपिका चुदाई शब्द सुनकर गनगना गई और थोड़ी धीमी आवाज में बोली- पर कहां, कब और कैसे होगा?
अनिल बोला- दीपिका, तुम कहो तो प्रोग्राम बन सकता है.
दीपिका बोली- मैं तो खुद चाहती हूं.
अनिल बोला- शनिवार रात का प्रोग्राम बना दें क्या?
दीपिका बोली- शनिवार तो परसों ही है.
अनिल बोला- हां.
दीपिका बोली- इतना जल्दी कैसे होगा?
अनिल बोला- तुम्हें इन दिनों कोई निजी दिक्कत तो नहीं है ना!
तो दीपिका बोली- नहीं, उसमें तो अभी 15 दिन बाकी हैं.
तब अनिल बोला- दीपिका सुनो तुम्हारे बच्चों को तुम्हारे मायके गए काफी दिन हो गए हैं. सुभाष को बच्चों को लेने कब जाना है?
दीपिका बोली- रविवार सुबह.
अनिल बोला- सुभाष को शनिवार शाम को जाने के लिए मनाओ.
दीपिका बोली- अगर सुभाष शनिवार शाम को गए, तो मुझे दुकान पर बैठना पड़ेगा … ये तो आप जानते ही हैं.
अनिल बोला- अगर सुभाष के जाने के बाद दीपिका के सिर में दर्द हो जाता है, तो दुकान जल्दी मंगल करनी होगी ना!
दीपिका हंसती हुई बोली- समझ गई कि क्या करना होगा मुझे. पर जगह?
तो अनिल बोला- मेरे घर पर.
दीपिका ये सुनकर बहुत खुश हुई क्योंकि अनिल की बीवी अपने मायके गई हुई थी और अनिल का घर दीपिका के साथ में ही था.
अनिल बोला- हम दोस्त लोग रोज रात को मेरे घर पर ताश खेलते हैं. शनिवार को जुम्मन और चिमन भी ताश खेलने आ जाएंगे. बाकी दोस्तों को 9 बजे भेज देंगे … जुम्मन और चिमन रात को मेरे घर रुक जाएंगे. तुम ऊपर से आसानी से मेरे घर पर आ सकती हो.
सब प्लान सुनकर दीपिका हंसती हुई बोली- खूब सोच कर प्लान बनाया है.
अनिल भी हंस कर बोला- मेरी जान की चुदाई करवानी है, सोचना तो पड़ेगा ही!
दीपिका- हां ये तो है.
अनिल बोला- दीपिका एक बात और है.
दीपिका बोली- क्या?
अनिल बोला- जुम्मन और चिमन को तुम्हारी कुर्ती पजामी बहुत अच्छी लगी. वे कह रहे थे कि दीपिका उस रात यही कुर्ता पजामी पहनी हुई हो, बिना ब्रा कच्छी के.
दीपिका हंसती हुई बोली- उनके लिए ही तो पहनी थी ये कुर्ती पजामी.
अनिल बोला- ओके तुम मेरे घर ठीक 9:30 बजे आ जाना ताकि 10 बजे तेरी कुर्ती खुलने का प्रोग्राम शुरू हो जाए.
दीपिका बोली- अनिल, एक बात मेरे भी दिल में है.
अनिल बोला- कहो मेरी जान?
दीपिका बोली मैं कुर्ती पजामी बिना ब्रा कच्छी के पहन लूंगी, पर मैं चाहती हूं कि मेरी पजामी का नाड़ा पहले जुम्मन खोले.
अनिल हंसते हुए बोला- मैं समझ गया कि तुम क्या कहना चाहती हो. मैं तेरे दिल की बात जुम्मन को बता दूंगा.
दीपिका बोली- ठीक है. पहले तो सुभाष को शनिवार शाम को जाने के लिए मनाती हूं.
अनिल बोला- ठीक है.
ये कहकर अनिल ने फोन काट दिया.
दीपिका ने खूब सोच कर एक रास्ता निकाला कि सुभाष को शनिवार शाम को बच्चों को लाने कैसे भेजा जाए.
रात को दीपिका ने अपनी अदाओं से सुभाष को गर्म करके मस्ती करने के लिए मना लिया.
नतीजा आज भी वही था; दीपिका प्यासी रह गई.
पर दीपिका ने आज किसी तरह का गुस्सा नहीं किया और सुभाष के साथ लेटी हुई अपनी हथेली सुभाष के नंगे बदन पर फिराने लगी.
वह बोली- सुभाष हम लोगों को बाहर घूमने गए कितने दिन हो गए?
सुभाष बोला- क्या करें मेरी जान, दुकान से टाईम ही नहीं मिलता. एक महीने में अंतिम रविवार को ही टाईम मिलता है. लेकिन रविवार को बच्चों को लेने जाना है.
दीपिका बोली- एक काम करते हैं. आप शनिवार शाम को चले जाओ … रविवार को शाम को फिल्म देखने चलते हैं. खाना भी हम सब बाहर खाकर आएंगे.
सुभाष बोला- पर दुकान पर तुमको अकेली रहना होगा!
दीपिका बोली- अरे कुछ घंटे की तो बात ही होगी. मैं दुकान सम्भाल लूंगी.
सुभाष बोला- फिर ठीक है, यही करते हैं.
दीपिका ये सुनकर बहुत खुश हो गई और उसने सुभाष को चूम लिया.
सुभाष ने दीपिका की इस खुशी का मतलब कुछ और समझा और दीपिका शनिवार रात के हसीन सपने देखते हुए कब गहरी नींद में सो गई, उसको खुद को पता नहीं चला.
अगले दिन सब सामान्य रहा.
दीपिका ने अनिल को बताया कि सुभाष शनिवार शाम को ही जा रहा है.
अगले दिन शनिवार को तय प्रोग्राम के तहत शाम 7 बजे सुभाष की ट्रेन थी.
ठीक 6 बजे दीपिका घर के काम निपटा कर दुकान पर आ गई.
जब वह दुकान पर पहुंची तो सुभाष अनिल से फोन पर बात कर रहा था कि वह बच्चों को लाने जा रहा है और आज वेद प्रकाश जी भी शहर से बाहर गए हुए हैं. घर पर विमला भाभी और दीपिका ही हैं, तो वह जरा ध्यान रखे.
कुछ देर तक बातें करने के बाद सुभाष ने फोन काट दिया और दीपिका से बोला- दीपिका, वेद भाई भी मेरे साथ जा रहे हैं. अनिल भी अकेला ही है तो अपने घर को सूना नहीं छोड़ सकेंगे. तुम और भाभी रात को ध्यान रखना.
दीपिका मन ही मन खुश हो गई और बोली- आप चिंता न करो जी, मैं ध्यान रखूंगी.
सुभाष बोला- आज दुकान जल्दी बंद कर देना तुम … और मोबाइल भी बंद कर लेना वरना ग्राहकों के फोन आएंगे और तुम परेशान हो जाओगी.
दीपिका ये सुनकर तो बहुत खुश हुई उसने मन ही मन सोचा कि मोबाइल तो मैंने वैसे भी ऑफ ही रखना था. ये तो खुद कह रहे हैं और विमला भाभी को कम सुनाई देता है, तो उसके लिए ये सब बढ़िया हो गया था.
अपनी ट्रेन के लिए सुभाष और वेद प्रकाश स्टेशन पर चले गए.
दीपिका ने अनिल को फोन किया और बताया कि सुभाष चले गए हैं.
अनिल बोला- मेरे भी सब घोड़े तैयार हैं. मैंने आज सिर्फ जुम्मन और चिमन को ही बुलाया है … किसी और को नहीं.
दीपिका बोली- किसी को शक तो नहीं होगा ना!
अनिल बोला- किसी को शक नहीं होगा. तुम चिंता मत करो.
दीपिका बोली- ठीक है.
अनिल बोला- तुम कब तक आ जाओगी?
दीपिका बोली- जब आप कहोगे?
अनिल बोला- ठीक है तुम 9 बजे तैयार रहना क्योंकि जितना टाईम साथ रहोगे उतना मजा मिलेगा.
कुछ समय बाद अनिल बोला- वे दोनों आ गए.
दीपिका बोली- ठीक है.
अनिल ने फोन काट दिया.
तब दीपिका के मोबाइल पर सुभाष का फोन आया कि विमला भाभी की तबियत खराब है, तुम दुकान बंद कर घर चली जाओ.
दीपिका ने कहा- ठीक है जी.
ये कहकर दीपिका ने फोन काट दिया और दुकान बंद कर जल्दी से घर पर आकर विमला भाभी के पास गई.
विमला ने बताया कि उसके सिर में दर्द हो रहा है, तो उसने वेद प्रकाश को फोन किया था.
दीपिका ने कुछ सोच कर एक नींद की गोली विमला को देकर कहा- भाभी, आप पहले खाना खा लो, फिर ये गोली ले लो.
विमला बोली- मैंने तो शाम को ही खाना खा लिया था और तुम्हारे लिए भी बना हुआ है, तुम भी खा लो.
दीपिका ने विमला को दवाई दी और खाना खाकर जब विमला को देखा तो विमला सो गई थी.
तब दीपिका सब दरवाजे अच्छी तरह बंद करने के बाद ऊपर अपने कमरे में आ गई.
कुछ देर बैठने के बाद दीपिका ने अलमारी में से जुम्मन की पसंद की कुर्ती और पजामी निकाल कर बेड पर रख घड़ी की तरफ देखा तो 8 बजे गए थे.
दोस्तो, दीपिका की प्यासी चूत की चुदाई के जश्न की रात आ गई थी.
आपको सेक्स कहानी के अगले भाग में और भी ज्यादा मजा आएगा.
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