Police Wali Sex Kahani – ट्रेनी आईपीएस के साथ लिव-इन संबंध


पुलिस वाली सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक बार लड़की के चक्कर में मैं एक ट्रेनी आईपीएस से पंगा ले बैठा। उससे मैंने मुश्किल से पीछा छुड़ाया लेकिन फिर एक दिन खुद उसने …

अंतर्वासना के सभी साथियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मेरी पिछली कहानी
मस्त मौसेरी बहन नागपुर के होटल में चुदी
को आपने पसंद किया, धन्यवाद.

मैं आपका अपना मोहित एक बार फिर एक कामुक आपबीती लेकर आपके समक्ष हाजिर हूं।
आशा करता हूं कि यह पुलिस वाली सेक्स कहानी आपको हस्तमैथुन करने के लिए विवश कर देगी।

अगर लिखने में कोई गलती हुई हो तो मुझे ईमेल करके जरूर बताइयेगा जिससे अगली बार मैं उसमें सुधार कर सकूं।

आगे बढ़ने से पहले संक्षिप्त परिचय आपको दे देता हूं।
मेरा नाम मोहित है और मध्य प्रदेश के भोपाल का रहने वाला हूं।
मैं शरीर से औसत ही हूं और मेरी हाइट भी 5.8 फीट है जो कि बहुत ज्यादा नहीं है।

यह बात सन् 2017 की है, जब मैं अपने गांव से नया ही भोपाल शहर रहने के लिए आया था।
अब ज्यादा बोर न करते हुए कहानी पर आता हूं और नायिका से आपका परिचय करवाता हूं।

इस कहानी की नायिका एक 27 साल की कामुक हसीना है जो उस समय भोपाल में रहकर बतौर आई.पी.एस. अपनी ट्रेनिंग ले रही थी।
उसका नाम माधुरी (काल्पनिक) था और उसका शरीर बहुत ही कामुक 34-30-38 का फिगर लिए हुए था।

जैसा कि मैंने बताया कि मैं गांव से शहर नया आया था और मैंने शहर की लड़कियों के बारे में काफी सुना हुआ था।

तो मुझमें हमेशा ये चुल रहती थी कि मैं भी शहर में किसी हसीना को पटाकर उसके साथ मजे करूं, और इसी जुगाड़ में मैं अपने कोचिंग पर और मॉल में अक्सर हसीन लड़कियों को ताकता रहता था।

ऐसे ही वो क्रिसमस की शाम थी, मैं घूमते हुए भोपाल शहर के एक बड़े मॉल में अकेला ही गया हुआ था।
वहां पर घूमते हुए काफी समय हो गया था तो रात के लगभग 9 बजे जैसे ही मैं वापस आने के लिए मॉल के ग्राउंड फ्लोर पर आया तो मेरी नजरें इस कहानी की नायिका से मिलीं।

माधुरी टाइट जींस और रेड जैकेट में मुझे एक सांता के जैसी लग रही थी।
उसके साथ 3-4 लड़कियां और भी थीं जो उसकी जूनियर थीं और वो लोग वहां मजनुओं को सबक सिखाने आई हुई थीं, अर्थात ड्यूटी पर थीं (ये मुझे बाद मे पता लगा था)।

माधुरी से नजरें मिलते ही जैसे वक्त रुक गया।

मैं वहीं एक साइड खड़े होकर एकटक अपनी मल्लिका का दीदार कर रहा था।

इसी बीच एक बार मेरी हुस्नपरी ने मुझे देखा और अपनी तरफ घूरता देखकर आंखे तरेरीं।
पहली बार में तो मेरी फट गई और मैं इधर-उधर देखने लगा।

मगर जब लंड में गर्मी चढ़ती है तो डर भी दूर हो जाता है।
थोड़ी देर बाद मेरी मल्लिका मेरे और पास आ चुकी थी और यही वो वक्त था जब मैंने पहली बार उसकी मधुर आवाज सुनी थी।

माधुरी एक फिल्म देखने मल्टीप्लेक्स में जाने की बात कर रही थी।

इधर मैं तो उसके लिए दीवाना हो चुका था तो फटाक से मैंने भी मोबाइल से उसी फिल्म का एक टिकट निकाल लिया और पहुंच गया सिनेमा हॉल में!

कुछ देर में फिल्म शुरू हुई और मेरी मल्लिका अपनी सहेलियों के साथ मुझसे आगे वाली लाईन में आकर बैठ गई।

चूंकि रात का शो था तो हॉल में कम ही लोग थे और ज्यादातर प्रेमी जोड़े ही थे।

फिल्म के इंटरवल में मैंने कुछ खाने का सोचा और उठकर बाहर से कुछ लेने चला गया।

जब मैं लौटकर आया तो मेरी मल्लिका और उसकी एक सहेली मेरी वाली सीट पर बैठी हुई थीं और बाकी लड़कियां वहां से जा चुकी थीं।

मैं मन ही मन प्रसन्न था फिर भी मैंने शालीनता से कहा- यह मेरी कुर्सी है, कृपया आप अपनी सीट चेक कर लें।

इस पर माधुरी ने तपाक से बोला- जब से मेरा पीछा कर रहे हो और अब मैं तुम्हारी गोद में बैठने आई हूं तो तुम्हें सीट की पड़ी है?
पहले तो मैं सकपका गया लेकिन फिर स्वयं को संयत रखते हुए उसी के बगल में बैठ गया।

फिल्म फिर शुरू हो गई और मेरी हरकतें भी!

धीरे से मैं अपना हाथ माधुरी की नर्म उंगलियों पर फेर रहा था।
माधुरी की तरफ से कोई विरोध न देख मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया.

और यह मेरी उस वक्त की सबसे बड़ी गलती थी।
माधुरी ने झटके से मेरे आंड पकड़ लिए और उन्हें मसलते हुए अपने पुलिसिया रुतबे में बोली- क्यों बे मादरचोद … बहुत गर्मी है तेरे लौड़े में, रुक! आज इसे तोड़कर हिजड़ा बनाती हूं तुझे! आज तुझे अंदर करवाकर तेरी गांड तुड़वाऊंगी!

मेरे अंडों को उसने इतनी जोर से पकड़ा था कि मुझे दिन में तारे नज़र आने लगे।

जैसे-तैसे करके मैंने खुद को छुड़ाया, उससे माफी मांगी और सीधा अपने कमरे पर आ गया।
मेरी हालत बहुत खराब थी।

उसके बाद 4-5 दिन मैंने सिर्फ आराम किया और बात आई-गई हो गई थी।

मगर कहते हैं कि जब खुदा मेहरबान तो लंड पहलवान।

3 जनवरी को कोचिंग में मेरा टेस्ट था।
मैं जल्दी में बिना हेल्मेट लगाए निकल आया।

टेस्ट देकर मैं सुबह 10 बजे अपने कमरे पर जा रहा था।
तभी रास्ते में पुलिस की चेकिंग ने मेरी गाड़ी रोक ली।

उनको मैंने बहुत समझाया लेकिन वो साहब मानने को तैयार ही नहीं हुए।
अंत में उन्होंने कहा कि जाकर मैडम से बात कर लो।

मैं भी गुस्से में तमतमाते हुए मैडम के पास गाड़ी में गया और मैडम की शक्ल पर गौर किए बिना एक सांस में अपनी सब बात कह सुनाई।

जब मैंने मैडम की आवाज सुनकर उनकी तरफ ध्यान दिया तो मेरे शरीर में से तो जान ही निकल गई जैसे!
यह माधुरी ही थी जिसके शरीर पर वर्दी देखकर मैं अवाक् रह गया था, मेरे हलक से आवाज गायब थी।

मेरी स्थिति को समझते हुए माधुरी ने मुझे हिलाते हुए कहा- तुमने गलती की है। इस बार बिना चालान दिए नहीं जा पाओगे।
मगर कहते हुए माधुरी ने हल्की मुस्कान बिखेर दी।
माधुरी की इस अदा ने एक बार फिर मेरे दिल पर जादू कर दिया।

फिर मैंने शालीनता से बताया- मेरे पास फिलहाल इतने पैसे नहीं हैं, लेकिन मैं अगली बार ऐसी गलती नहीं करूंगा।

इस पर माधुरी ने धीरे से कहा- उस दिन तुम्हें माफ कर दिया था लेकिन हर बार बच सको, मैं इतनी भी अच्छी नहीं हूं।
ये सुनकर मेरी गांड फट गई लेकिन फिर भी मैंने पूछ लिया- मैडम पैसे तो हैं नहीं, आप बता दो … मैं और क्या कर सकता हूं?

माधुरी ने कहा- अपना लाईसेंस और आर.सी. जमा कर दो और अपना नं. लिखवा दो। बाद में आकर चालान जमा करके अपने कागज ले जाना।

मैं बुरा फंस चुका था तो मजबूरन मुझे उसका कहा मानना पडा।

और मैं वहां जानकारी देकर चला आया।
लेकिन आगे जाकर मुझे ध्यान में आया कि अगर मुझे चालान जमा करते वक्त ये लोग नहीं मिले तो मेरे कागज कहां और कैसे प्राप्त होंगे?

यह सोचकर मैं फिर से माधुरी के सामने जाकर खड़ा हो गया।
वो उस समय फोन पर बात कर रही थी लेकिन मुझे देखकर उसकी आंखों में सवाल सा दिखने लगा था।

उसके फोन रखते ही मैंने अपनी समस्या बेधड़क उसको सुना दी।

पता नहीं क्यों, लेकिन अब मेरे मन से डर कम हो चुका था।

उसने एक बार फिर मेरी तरफ मुस्कराकर अपने फोन से मेरा नं. डायल किया और मुझे रिंग कर दी।
फिर धीरे से बोली- सिर्फ कागजों के लिए ही फोन करना, शैतानी करोगे तो सही में अंदर ले चलूंगी।

उसकी इस डबल मीनिंग बात पर मैं भी मुस्करा दिया।

उसके बाद मैंने कमरे पर आकर उसके नाम से 2 बार मुट्ठ मारी और सो गया।

अगले दिन शाम को मैंने दोस्त से पैसे लेकर चालान भरने का सोचा और शाम को 5 बजे मैंने मेरी मल्लिका को फोन लगा दिया।

उधर से उसने मधुर आवाज में कहा- और हीरो? आ गई याद तुमको कागजों की?

मैंने उससे पूछा कि कागज कहां मिलेंगे तो उसने बताया कि वो उसी के पास हैं।
उसने सुबह उसके घर से ले जाने के लिए कह दिया।

मैंने अगले दिन कोचिंग जाते समय अपनी मल्लिका को फोन लगाया तो उसने अपने घर का पता दिया जो कि एक प्राइवेट टाउनशिप में था और मेरे घर से पास में ही था।

10 मिनट में मैं उसके घर पर था।
मैंने चालान के पैसे देते हुए कागजों की मांग की तो माधुरी ने मुझे बैठने का आग्रह किया।

कोचिंग का हवाला देते हुए मैंने जाने का आग्रह किया तो उसने बेबाक लहजे में बोला- मेरे पीछे लंड हिलाते घूम रहे थे तब ठीक थे, आज मैं खुद रोक रही हूं तो नखरे आ रहे हैं!

मैं यह सुनकर रुक गया तो मेरी मल्लिका ने चाय लाकर मुझे दी।
मेरे पास ही बैठकर वो भी चाय पीने लगी और हम इधर-उधर की बातें करने लगे।

बातों ही बातों में उसने बताया कि कभी-कभी उसे बहुत अकेलापन महसूस होता है और वो भी चाहती है कि जब वो घर पर आये तो कोई हो जो उसे बांहों में भरकर प्यार दे, उसके बालों को सहलाये, लेकिन नौकरी की वजह से वो किसी पर भरोसा नहीं कर सकती।

ऐसे ही बातों में ही 9 बज गए और उसके नौकरी पर जाने का समय हो गया।
तो मैंने भी अपने कागज लिए और चालान के पैसे देते हुए वहां से जाने लगा।

माधुरी ने मेरे पैसे लौटाते हुए जो कहा वो सुनकर मेरी खुशी दोगुनी हो गई।

माधुरी बोली- कागज तो सिर्फ बहाना था, दरअसल मैं देखना चाहती थी कि मैं तुम्हारे साथ अपने मन की बात बांट सकती हूं या नहीं। लेकिन तुम मेरी सोच से भी ज्यादा अच्छे निकले।

बस उस दिन से मेरी और माधुरी की बातें होने लगीं और करीब एक महीने बाद हमने एक ही छत के नीचे रहने का निर्णय लिया।
अगले ही दिन मैं जरूरी सामान लेकर माधुरी के घर पर था।

उस दिन माधुरी ने छुट्टी ले रखी थी। उस रोज हम दोनों ने खूब सारी बातें कीं।

इसी बीच माधुरी और मैं बहुत करीब आ गए थे। हम दोनों एक ही रजाई में बैठकर बातें कर रहे थे।

दोपहर में खाना खाकर हमने फिल्म देखने का सोचा और टीवी पर ‘क्या कूल हैं हम’ देखने लगे।
जैसा मैंने बताया, हम एक ही रजाई में थे और फिल्म भी थोड़ी अश्लील थी, तो जल्द ही मेरे हाथ माधुरी की जांघों पर पहुंच गये।

माधुरी ने भी विरोध न करके अपना पैर मेरे पैर पर रख मूक सहमति दे दी।
अब मेरे हाथ उसकी जांघों से होते हुए उसकी 40 साईज की गांड का नाप ले रहे थे।
वो भी उत्तेजनावश अपना मुंह मेरे सीने में दबा रही थी।

अंततः उसके सब्र का बांध टूट गया और अचानक उसने एक शेरनी की तरह मुझ पर हमला कर दिया।
वो मेरी गोद में उल्टी बैठकर मेरे होंठ चूसने लगी।
साथ ही उसका हाथ मेरे बालों को सहला रहा था।

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने माधुरी को अपने ऊपर से उठाकर नीचे बेड पर पटका और एक ही झटके मे उसकी टीशर्ट उसके बदन से अलग थी।
घर में वो ब्रा नहीं पहनती थी इसलिए उसके 34 के मम्में अब मेरी गिरफ्त में थे।

अब मेरे होंठ उसकी गर्दन से लेकर उसकी नाभि का रास्ता तय कर रहे थे।

मेरे हाथों से माधुरी के नर्म उरोजों का मर्दन चालू था।
कुछ ही देर में माधुरी अपने काबू से बाहर हो चुकी थी और साथ ही वो बड़बड़ा रही थी- आह्ह मोहित … तुमने मेरी प्यास जगा दी। आज से मैं हमेशा के लिए तुम्हारी हुई मेरे प्रियतम, मेरे सैंया।

अब मैंने माधुरी को उठाकर फटाफट उसके लोअर और पैंटी को भी बाहर निकाला और अपने कपड़े उतारकर मैं माधुरी के ऊपर फिर से चढ़ गया।

इस बार हम 69 में मुखमैथुन का मजा ले रहे थे।
लगभग 10 मिनट की कामुक चुसाई के बाद हम दोनों ही चुदाई के लिए बैचेन हो गए थे।

अब माधुरी ने मेरे ऊपर बैठकर लंड अपनी चूत पर सेट कर लिया और धीरे-धीरे मेरे 6.5 इंची लंड को अपनी कसी हुई चूत में लेने लगी।

मैंने भी उसकी गांड पकड़कर एक ही शॉट में पूरा लंड अंदर ठेल दिया।
इसी के साथ मेरी स्वप्नसुंदरी की चीख निकल गई- आआ आह्ह … जान निकालोगे क्या!
माधुरी मेरे सीने पर गिर चुकी थी।

मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ को सहलाना शुरू किया और उसकी गांड पर हल्की थपकी लगाने लगा।

थोड़ी देर में मेरी मालकिन ने अपनी गांड हिलाना शुरू कर दिया तो मैंने भी धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी।
5 मिनट बाद वो थककर नीचे आ गई।

मैंने एक बार फिर मिशनरी पोज में एक ही बार में पूरा लंड अंदर तक डाल दिया।
माधुरी ने भी कलपकर मेरे होंठ काटने शुरू कर दिए।

मेरे धक्कों की रफ्तार बुलेट ट्रेन हो रही थी। साथ ही माधुरी भी आआह हह … आह्ह करते हुए मादक सिसकार निकाल रही थी।

10 मिनट की उठापटक के बाद हम दोनों ही चरमोत्कर्ष पर आ चुके थे।
एक तेज गुर्राहट के साथ ही माधुरी ने अपना रस बाहर निकाल दिया और मैं भी उसकी चूत से निकली गर्मी के साथ ही पिघल गया।

हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा और मुस्कराकर एक दूसरे की बांहों में ही सो गए।

इसके बाद 2 साल तक मैं और माधुरी एक साथ ही भोपाल में रहे।
मेरे सभी खर्च भी अब माधुरी ही उठाती थी।
साथ ही हम रोज संभोग क्रिया का भी आनंद उठाते थे।

उसने बाद में अपनी सहेलियों, जिसमें उसकी जूनियर, समकक्ष अधिकारी, अधिकारियों की बीवियां शामिल थीं, को भी मेरे लंड के नीचे बुलवाया।

मैंने उन 2 सालों में तकरीबन 100 औरतों को चुदाई का परमानन्द प्रदान किया।
आज मेरे पास माधुरी के दिए हुए फ्लैट और पैसे के अलावा उसके निश्छल प्यार की यादें हैं।

वो शादी करके दूसरे शहर में ट्रांसफर ले चुकी है और आज भी उसे मौका मिलता है तो हम फिर से दो जिस्म एक जान हो जाते हैं, वो पुलिस वाली सेक्स का मजा देती है.
उसकी सहेलियों की चुदाई और माधुरी की और भी कहानियां आपके विचार जानने के बाद साझा करूंगा।

आपको यह कहानी कैसी लगी, मुझे आप अपनी प्रतिक्रियाओं के जरिए जरूर बताएं।
आप सबके संदेशों का इंतजार रहेगा।
पुलिस वाली सेक्स कहानी पर कमेंट में भी आप अपनी राय बता सकते हैं।
[email protected]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *