Pyasi Bhabhi Ki Garmi – पति के दोस्त से मदद मांगी


प्यासी भाभी की गर्मी यानि अन्तर्वासना ने उसे गैर मर्द की तरफ जाने को मजबूर कर दिया क्योंकि उसके पति में उसे खुश करने की ताकत नहीं बची थी. भाभी ने अपने पति के दोस्त की ओर कदम बढ़ाया.

‘आह उफ्फ जान … तेज आहहह और तेज.’
दीपिका के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.

अचानक सुभाष का शरीर ढीला पड़ गया.
तो दीपिका बोली- क्या हुआ?
सुभाष झिझकते हुए बोला- मेरा पानी निकल गया.
दीपिका गुस्से से बोली- अभी तो मजा आना शुरू हुआ था और आपका निकल गया!

सुभाष उदास हो गया और दीपिका की चूत से सुभाष का सिकुड़ा हुआ लंड बाहर निकल गया.

सुभाष लंड का पानी निकल जाने पर सुस्त होकर सो गया.
दीपिका अभी भी वासना की आग में जल रही थी. प्यासी भाभी की गर्मी अभी ठण्डी नहीं हुई थी.

उसकी चूत को‌ कम से कम 15 मिनट चुदाई चाहिए होती थी और सुभाष ज्यादा से ज्यादा दो या तीन मिनट तक ही चूत में लंड रख पाता था.
रोज रात को यही होता.

आईए अब सेक्स कहानी की तरफ़ चलते हैं.

पंजाब के एक छोटे से शहर के रहने वाले सुभाष की उम्र लगभग 50 साल की है और दीपिका की उम्र 39 साल.
शादी के समय तो कुछ महसूस नहीं हुआ पर समय के साथ उम्र की ये असमानता दीपिका और सुभाष दोनों को महसूस होने लगी.

हालांकि दोनों की शादी को 21 साल हो गए थे और दोनों बच्चे भी काफी बड़े थे.
पर उम्र के मुताबिक दीपिका की शरीर की जरूरत को सुभाष अब अपनी उम्र के चलते पूरी नहीं कर सकता था.

खैर … रोज रात की तरह सुभाष लंड का पानी निकल जाने पर सो गया और दीपिका भी अपनी गर्म चूत को सहलाती हुई कब सो गई, उसको भी पता नहीं चला.

सुबह दोनों बच्चे स्कूल चले गए और सुभाष अपनी दुकान पर जाने के लिए तैयार हो गया.

जाते जाते सुभाष ने दीपिका को जल्दी दुकान आने को कहा क्योंकि उसको किसी जरूरी काम से जाना था.

सुभाष की शहर के प्रमुख चौराहे पर दवाईयों की दुकान थी.
अकेले होने के कारण दीपिका को भी दुकान पर बैठना पड़ता था.

करीब दो घंटे रोज दीपिका अकेले दुकान संभालती थी.
दीपिका ने घर के काम निपटाए और नाश्ता करने के बाद वह दुकान की तरफ़ चल दी.

दुकान पर जाने के बाद सुभाष अपने काम से निकल गया और दीपिका को बता गया कि उसे आने में देर लग सकती है.
सुभाष के जाने के बाद दीपिका के दिमाग में रात वाली बात चल पड़ी और वह बेचैन हो गई.

तभी दुकान पर सुभाष का दोस्त अनिल खन्ना आ गया और दीपिका उसके साथ बातचीत करने लगी.
रोजाना यही होता … अनिल खन्ना सुभाष का खास दोस्त था इसलिए दीपिका भी उसके साथ खुलकर हंसी मजाक कर लेती थी.

अनिल भी करीब 50 साल की उम्र का बंदा था.
उसके दो बेटे दूसरे शहरों में नौकरी करते थे और अनिल खन्ना को काफी पैसा खर्च के लिए भेजा करते थे. इस वजह से अनिल खन्ना को कोई काम करने की जरूरत नहीं थी.

दीपिका अनिल की तरफ़ आकर्षित हो गई थी.

दीपिका के दिल की बात अनिल समझता था पर वह ये भी समझ सकता था कि ये आकर्षण किस कारण से है.
वह खुद को इस लायक नहीं समझता था कि दीपिका की जरूरत पूरी कर सके इसलिए वह दीपिका से दूरी बना कर रखता था.

उस दिन अनिल ने दीपिका को उदास देख पूछा कि क्या हुआ उदास क्यों हो?
तो दीपिका बोली- ऐसा कुछ नहीं!

खन्ना ने कहा कि नहीं, कुछ तो बात है?
दीपिका बोली- अनिल जी, सच में कोई बात नहीं है.

अनिल ने कहा- नहीं बताना चाहती हो, तो जोर नहीं दूंगा. पर बताने से ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.
दीपिका बोली- समस्या ही ऐसी है कि जिसका कोई समाधान नहीं है.

अनिल बोला- दीपिका, दुनिया में हर समस्या का समाधान हो सकता है, बस जरूरत होती है सही सलाह लेने की. तुम अपनी समस्या मुझे बताओ, मैं समाधान करने की कोशिश करूंगा.

दीपिका बोली- मेरी और सुभाष की उम्र में असमानता को अब मैं महसूस करने लगी हूं.
अनिल ने कहा- तो इसमें क्या समस्या है …. कोई हम उम्र दोस्त बना लो. जो तुझसे तेरे मुताबिक प्यार की बातें कर सकता हो और कभी कभी बिस्तर पर भी तुम्हारे अरमान पूरे कर दे.

दीपिका ने अनिल की तरफ़ हैरान होकर देखा.
तो अनिल बोला- दीपिका, इसमें गलत क्या है … और आजकल तो पति खुद पत्नी की मदद करता है!

तब दीपिका हंसती हुई बोली- तो आप बन जाओ ना मेरे दोस्त!
अनिल ने कहा- दीपिका, तुमसे प्यार करने वाला दोस्त तो मैं बन‌ने के लिए तैयार हूं … पर बिस्तर पर मैं भी सुभाष की तरह कामयाब नहीं हो सकता क्योंकि इस उम्र में तुम्हारी छलकती हुई जवानी के उफान को मैं शायद नहीं सम्भाल सकता.

दीपिका बोली- अनिल जी, आपने तो मुझे दोराहे पर खड़ा कर दिया. मैं तो आपको पसंद करने लगी हूं.
तब अनिल ने कहा- दीपिका, मैं झूठ नहीं बोल सकता. जो बात सच है, मैं वही कह रहा हूँ.

दीपिका बोली- आपकी इस सच्चाई ने तो मेरे दिल में आपके लिए इज्जत पहले से भी ज्यादा हो गई. अब आप ही कहो मुझे क्या करना चाहिए. मैं आपको भी नहीं खोना चाहती पर …
अपनी बात को अधूरा कहकर दीपिका चुप हो गई.

अनिल ने कहा- दीपिका इसका एक और तरीका भी है.
दीपिका ने कहा- क्या तरीका है?

अनिल बोला- तुम बिस्तर पर संतुष्टि के लिए एक और दोस्त बना लो.
दीपिका थोड़े गुस्से में बोली- क्या मुझे हर बात के लिए अलग अलग दोस्त बनाने होंगे?

अनिल ने मुस्कुरा कर कहा- एक इंसान में सभी गुण नहीं होते मेरी जान … और तुम्हारी दो अलग-अलग इच्छाओं के लिए दो दोस्त बनते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

दीपिका कुछ सोच कर बोली- अब जब मैंने आपके सामने अपने दिल की बात खुलकर बता दी, तो अब आप ही मेरी मदद भी करो.
अनिल मुस्कुरा कर बोला- जब बंदा आपसे प्यार करने लगा है, तो मैं आपकी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करूंगा मेरी जान. मैं सोच कर बताता हूं कि कौन हमारे लिए ठीक रहेगा!

दीपिका मुस्कुरा कर बोली- हां, अब ये आपकी ही जिम्मेदारी है.

तभी सुभाष को आते देख कर दोनों चुप हो गए.
अनिल कुछ समय सुभाष के साथ बातचीत करने के बाद दुकान से चला गया.

दीपिका खुश हो गई कि उसकी चिंता करने वाला एक अच्छा दोस्त मिल गया.

तभी दीपिका के मोबाइल पर अनिल का मैसेज आया कि मुझसे मिलो.
दीपिका ने रिप्लाई किया- कहां?

‘चिमन दर्जी की दुकान पर.’
दीपिका ने रिप्लाई किया कि वह 10 मिनट में पहुंच जाएगी.

दीपिका सुभाष से घर जाने के लिए कहकर दुकान से चल पड़ी और चिमन दर्जी की दुकान पर पहुंच गई.

वहां अनिल और चिमन दर्जी ही थे.
उन दोनों के अलावा ना कोई ग्राहक था और ना चिमन की दुकान पर काम करने वाले कारीगर थे.

अनिल दीपिका को देख कर कहा- लो चिमन भाई, आप नाप ले लो.
दीपिका मुस्कुरा कर बोली- नाप किस लिए?
अनिल बोला- आपके लिए कपड़े सिलवाने हैं.
दीपिका मुस्कुरा दी.

चिमन दर्जी ने दीपिका को एक भरपूर नजर से देखा और दीपिका का नाप लेने लगा.

दीपिका का सपाट पेट और कमर को देख चिमन दर्जी बोला- भाभी जी आप अपने शरीर पर बहुत अच्छे से ध्यान देती हो. आपका शरीर देखकर तो आपकी उम्र का अंदाजा लगाया नहीं जा सकता है.

ये सुनकर दीपिका खुश हो गई.

नाप लेने के बाद चिमन ने अनिल से कहा- हो जाएगा अनिल जी.
अनिल बोला- ठीक है, मैं बात करके बताता हूं. कब तक काम हो सकता है?

चिमन बोला- आप जब कहोगे.
अनिल बोला- ठीक है.

ये कहकर अनिल दीपिका को चलने के लिए बोला.

दीपिका और अनिल दुकान से बाहर निकल घर की तरफ़ चल पड़े.
अनिल ने अब दीपिका से पूछा- कब का प्रोग्राम बनाना है?

दीपिका ने पूछा- किस बात का प्रोग्राम?
तो अनिल बोला- तेरी चुदाई का!

दीपिका हैरान होकर बोली किस के साथ?
अनिल ने कहा- चिमन के साथ.

दीपिका अचकचा कर बोली- नहीं नहीं … चिमन के साथ कैसे कर सकती हूं?
अनिल ने कहा- क्यों नहीं कर सकती हो?

दीपिका बोली- अरे चिमन को मैं जानती भी नहीं. उसके साथ ये सब कैसे कर सकती हूं?
तब अनिल मुस्कुरा कर बोला- तब तुम कोई अपना कोई जानकार बताओ जो तुझे चोद ले!

दीपिका बोली- क्या चिमन पर भरोसा किया जा सकता है?
अनिल बोला- तुम मेरे पर विश्वास कर सकती हो या नहीं?

दीपिका बोली- आप पर तो पूरा यकीन है मुझे!
अनिल बोला- ठीक है. मुझे उन लोगों पर यकीन है कि ना केवल वे तुम्हें अच्छी तरह से चोद कर संतुष्ट कर सकते हैं बल्कि उनके माध्यम से किसी दूसरे को ये बात कभी भी पता नहीं चलेगी.

दीपिका बोली- उन लोगों का क्या मतलब?
अनिल ने मुस्कुरा कर बताया- चिमन दर्जी और जुम्मन कसाई.

दीपिका ये सुनकर बहुत हैरानी से अनिल की तरफ़ देख कर बोली- ये आप क्या कह रहे हैं. मैं दो लोगों से कैसे कर सकती हूं.
अनिल बोला- क्यों नहीं कर सकती हो. तुम्हारी सोच जैसे दोस्त मिल जाएं तो दोनों को दोस्त बनाने में क्या समस्या है?

दीपिका के पास अनिल की बात का फिर से कोई जवाब नहीं था.

तो दीपिका बोली- मैं दो दोस्तों के लिए समय कैसे निकाल सकती हूं?
अनिल मुस्कुरा कर बोला- जैसे एक के लिए निकालोगी वैसे ही.

दीपिका बोली- वह कैसे?
अनिल बोला- एक बार मैं, जुम्मन और चिमन दर्जी दिल्ली गए थे. वहां हमारा दिल चूत चोदने का हुआ. हम तीनों ने एक कालगर्ल को बुलाया. उसके लिए 7000 तय हुए.

दीपिका- फिर?
‘फिर पहले मैंने उसको चोदा और बाहर आ गया. उसके बाद चिमन अन्दर गया. थोड़ी देर बाद जुम्मन के मोबाइल पर फोन आया और जुम्मन भी अन्दर चला गया.’

एक पल के लिए अनिल ने रुक कर दीपिका को देखा.
फिर उसने आगे कहना शुरू किया- करीब दो घंटे बाद दोनों बाहर आकर मेरे पैसे जो मैंने अपने हिस्से के दिए हुए थे, वो उसने मुझे वापस दे दिए.

मैंने पूछा- ये कैसे हुआ?
तब जुम्मन कसाई बोला- हमारी चुदाई से खुश होकर कालगर्ल ने सारे पैसे वापस कर दिए.

ये छोटी सी घटना सुनने के बाद दीपिका हैरानी से अनिल का मुँह देखने लगी.

अनिल बोला- दीपिका मैं चाहता हूं कि दोनों की जोड़ी तुझे एक साथ चोदे. ताकि तुम पूरी तरह से संतुष्ट हो जाओ.

दीपिका बोली- कोई समस्या तो नहीं होगी ना?
अनिल बोला- कोई समस्या नहीं होगी मेरी जान, मुझे पर यकीन करो.

तभी अनिल के मोबाइल पर चिमन दर्जी की कॉल आई.
अनिल ने फोन पर ‘हां, ठीक है. मैं बात करके बताता हूं.’ कहकर फोन काट दिया.

दीपिका ने पूछा- क्या हुआ कुछ बात हुई चिमन दर्जी से?
अनिल बोला- जुम्मन तुम्हें देखना और मिलना चाहता है.

दीपिका बोली- आप उन्हें शाम को दुकान पर बुला लो.
तो अनिल ने कहा- नहीं, दुकान पर ठीक नहीं होगा. तुम्हारे घर पर ठीक रहेगा.

तो दीपिका बोली- ऐसे सबके सामने कैसे घर पर बुला सकती हूं?
अनिल बोला- उसका भी एक उपाय है मेरे पास!

दीपिका बोली- क्या उपाय है?
अनिल बोला- जुम्मन कबाड़ का काम भी करता है. तुम घर का कुछ कबाड़ निकाल कर रखो, बाकी काम मेरा है.

दीपिका समझ गई कि क्या करना होगा.
उसके पास चुदाई का ये बेहतरीन मौका था क्योंकि उसके दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा के घर गए हुए थे और मकान मालिक का बेटा बहू भी बाहर घूमने गए थे.

घर पर मकान मालिक और उनकी पत्नी ही थे जो काफी बूढ़े थे.
ये मकान मालिक दरअसल अनिल खन्ना के बड़े भाई और भाभी ही थे.

इधर एक बात और बता दूँ कि अनिल का मकान भी बाजू में ही लगा हुआ था, दोनों घरों की छतें आपस में मिली हुई थीं.
दीपिका मकान के ऊपर वाले हिस्से में किराए पर रहती थी.

तब दीपिका ने अनिल से कहा- मैं घर जा रही हूँ. आप शाम को दुकान पर पहुंच जाना.
अनिल हंसते हुए बोला- ठीक है मेरी जान.

फिर दीपिका घर पर आकर सीधे स्टोर में गई और काफी कबाड़ निकाल कर बाहर रख लिया.
शाम को दीपिका जब दुकान पर पहुंची तो देखा अनिल आया हुआ था.

दीपिका अपने पति सुभाष से बोली- जी, घर पर काफी कबाड़ इकट्ठा हो गया है, आप कोई कबाड़ी को बुला लो तो सारे कबाड़ को बेच देते हैं.
सुभाष बोला- अब एकदम से कबाड़ी को कैसे बुलाऊं?

उसी वक्त अनिल बोला- अरे यार क्यों चिंता करते हो, जुम्मन कबाड़ी मेरा ख़ास दोस्त है. उसको कहे देता हूं, वह घर पर आकर सारा सामान देख लेगा.
सुभाष बोला- हां ये बात ठीक है. तुम उसको फोन कर दो … वह कल सुबह आकर सब देख लेगा.

अनिल ने तुरंत जेब से फोन निकाला और जुम्मन को फोन करके कहा- जुम्मन भाई, हमारे भाई सुभाष के घर पर आपके लिए कुछ सामान है, कल सुबह आकर आप देख लो.
जुम्मन कसाई ने जवाब दिया- हां ठीक है कल सुबह 8 बजे आ जाता हूं.

अनिल ने सोचा कि 8 बजे तो सुभाष भी घर पर होता है. उसने फोन पर ही बात को सम्भालते हुए कहा- ठीक है जुम्मन भाई, आप कल 11 बजे आ जाना … पक्का!
जुम्मन बात को समझते हुए बोला- ठीक है, मैं 11 बजे आ जाऊंगा.

अनिल ने फोन काट दिया और दीपिका से कहा- भाभी, वह 11 बजे आ जाएगा. आप सारा सामान निकाल कर रखना.

सुभाष दीपिका और अनिल की बातों से अनजान सरल भाव से बोला- मैं तो उस समय दुकान पर रहूँगा दीपिका. तुम ही दिखा देना.
अनिल बोला- सुभाष यार भाभी अकेली क्यों‌ होंगी … मैं साथ रहूंगा ना!

फिर कुछ देर बातचीत करने के बाद अनिल सुभाष की दुकान से चला गया.
अगले दिन सुबह सुभाष अपनी दुकान पर चला गया और दीपिका उसके जाने के बाद सारे काम निपटा कर नाश्ता कर नहाने जाने लगी.

उसके दिमाग में ख्याल आया कि क्या कपड़े पहनना चाहिए.
उसने सोचते हुए अपनी अल्मारी खोली और उसमें कपड़े देखने लगी.

तभी उसके सामने एक हल्के हरे रंग की चिकन कपड़े की कुर्ती आई, जिसको पहली बार पहनने पर ही सुभाष ने दीपिका को ये पहनने से मना कर दिया था क्योंकि ये कुर्ती काफी पारदर्शी कपड़े की थी.

इस कुर्ती में आगे की तरफ 3 बटन लगे थे और बटन के दोनों तरफ और कन्धे वाली जगह पर हल्की कशीदाकारी ने कुर्ती को काफी आकर्षक बना दिया था.

दीपिका ने उसी कुर्ती को पहनने का सोच लिया और उसके साथ एक काले रंग की सिल्क की पजामी अलमारी से बाहर निकाल ली.
साथ पहनने के लिए दीपिका ने एक गुलाबी रंग की ब्रा और कच्छी निकाल ली.

तभी कुछ सोच कर दीपिका के होंठों पर एक मुस्कान आई और दीपिका ने गुलाबी ब्रा वापस रख एक सफेद रंग की ब्रा निकाल ली.
ये ब्रा आगे हुक वाली थी.

दीपिका मन ही मन खुश हो बाथरूम में जाकर नहाने लगी.
आगे होने वाले घटनाक्रम के सुखद विचार आने से दीपिका की चूत रसीली होकर पानी पानी हो रही थी.

दीपिका ने खुद को खुशबूदार साबुन से खूब रगड़ कर साफ किया और नहाकर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गई.
कमरे का दरवाजा बंद कर आईने के सामने खड़ी होकर उसने तौलिया हटा दिया.

उफ्फ … क्या मदमस्त जवानी है दीपिका की … सपाट पेट के कुछ ऊपर 36 साईज की नुकीली चूचियां, बलखाती पतली कमर और 38 साइज़ के बड़े बड़े चूतड़.
हल्की सांवली, लेकिन खुद की रसभरी जवानी को देख दीपिका खुद शर्मा गई.

तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी, तो दीपिका जैसे नींद से जागी.
उसने फोन देखा तो अनिल का फोन आया था.

फोन उठाने पर अनिल ने पूछा- क्या कर रही हो?
दीपिका खुद को शीशे में देख शर्मा गई और बोली- बस तैयार हो रही थी.

अनिल बोला कि जुम्मन कसाई और चिमन थोड़ी देर में आने वाले हैं. मैं साथ आऊंगा. उनके सामने आराम से आना, घबराने की कोई बात नहीं है.
दीपिका बोली- आप साथ रहोगे तो घबराहट नहीं होगी.

अनिल बोला- तुम कहो तो उन्हें अभी बुला लेता हूं. उनका तो फोन आया था … आने को कह रहे थे. मैंने सोचा पहले तुमसे पूछ लूं!
दीपिका बोली- हां बुला लो आप!

अनिल बोला- ठीक है, हम सब 15 मिनट में आते हैं.
दीपिका बोली- ठीक है जी.

ये सुनकर अनिल ने फोन काट दिया और दीपिका जल्दी से कपड़े पहनने लगी.

दोस्तो, दीपिका की प्यासी चूत की चुदाई की कहानी का अगला भाग आपको और भी ज्यादा उत्तेजित करेगा.
आपको प्यासी भाभी की गर्मी की कहानी का ये भाग कैसा लगा, प्लीज जरूर बताएं.
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प्यासी भाभी की गर्मी की कहानी का अगला भाग:

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