रेन गर्ल सेक्सी कहानी में पढ़ें कि मैं बारिश के मौसम में बाइक से जा रहा था. बारिश तेज हुई तो मैं एक पेड़ के नीचे रुक गया. वहां एक जवान लड़की भी खड़ी थी.
अन्तर्वासना के सभी प्यारे दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार.
कैसे हो आप सब … मुझे आशा ही नहीं वरन विश्वास है कि आप सब ठीक होंगे.
आप सभी ने मेरी कहानियां पढ़कर बहुत सराहा है. आप सभी को धन्यवाद.
मेरी पिछली प्रकाशित कहानी थी: लॉकडाउन के बाद सौतेली मां के साथ चुदाई
आज फिर से आपके सामने एक नयी सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.
ये रेन गर्ल सेक्सी कहानी कुछ पांच साल पहले की है जब मेरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म हो गयी थी.
मैं घर में रहकर मैं जॉब पाने की कोशिश कर रहा था और बोर हो रहा था.
अब कॉलेज के दोस्त तो थे नहीं, तो समय कटना बड़ा मुश्किल हो रहा था.
मेरा एक करीबी दोस्त है. मैंने सोचा कि क्यों नहीं कुछ दिन के लिए उसी के गांव चला जाता हूँ.
मैंने अपनी बाईक पर उसके गांव जाने का तय कर लिया.
उस समय बारिश का मौसम था. वो जुलाई का महीना चल रहा था.
मैंने अपने कपड़े, पेस्ट-ब्रश, कुछ जरूरी दवाइयां वगैरह और कुछ जरूरी सामान एक छोटे बैग में भर लिया.
एक रेन कोट वाली जैकेट को बैग में ऊपर से ही रख लिया था क्योंकि बारिश का कुछ भरोसा नहीं था, वो कभी भी हो सकती थी.
उस दोस्त का गांव करीब सौ किलोमीटर दूर था.
मैं आराम आराम से भी गया, तो भी हर हाल में तीन घंटे में उधर पहुंच सकता था.
शाम चार बजे मैं घर से निकल गया.
लगातार एक घंटा तक गाड़ी चलाता रहा था, कोई दिक्कत नहीं हुई थी.
फिर इसके बाद हल्की सी बारिश चालू हो गयी तो मैं एक बड़ा सा पेड़ देखकर रुक गया और अपनी जैकेट पहन ली. साथ में उससे जुड़ी हुई टोपी भी सर पर ओढ़ ली.
लेकिन अब बारिश तेज होने लगी थी तो मैं रुका रहा और बारिश कम होने का इंतजार करने लगा.
पन्द्रह-बीस मिनट में बारिश कम हो गयी तो मैं निकल पड़ा.
मैं तेज गति से बाइक चला रहा था. मार्ग भी अच्छा था. लेकिन कुछ किलोमीटर आगे जाने के बाद फिर से हल्की सी बारिश होने लगी.
थोड़ी देर बाद बारिश और तेज होने लगी थी.
मेरी पैंट भीग गयी थी. कमर से नीचे मैं भीग रहा था. मैं बारिश वाली पैंट लाना भूल गया था.
अब ठंडी हवा भी चलने लगी थी. मैंने सोचा कि थोड़ी देर रुक ही जाता हूँ.
आगे ही एक छोटा सा गांव था तो वहां कोई बड़ा सा पेड़ देखकर मैं रुकने का सोच रहा था.
सामने एक बड़ा सा पेड़ आया तो देखा कि उधर पहले से ही एक लड़की खड़ी थी.
मैंने उससे थोड़ी दूर अपनी बाईक रोक दी और नीचे उतर कर रुमाल से अपना गीला मुँह पौंछ लिया.
वो लड़की मेरी तरफ ही देख रही थी लेकिन मेरी तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि उसके पास जाकर कुछ बात करूं.
वो रेन गर्ल दिखने में एकदम गोरी थी.
उसने पीले रंग का सलवार कमीज पहना हुआ था. उसने बारिश से बचने के लिए अपने सर को दुपट्टे से ढक लिया था.
वो पतली सी थी. उसकी यही कोई 34-28-36 की फिगर रही होगी.
कद कुछ पांच फुट चार इंच का रहा होगा.
लेकिन उसकी चूचियां उसके शरीर के हिसाब से कुछ बड़ी थीं और आगे को निकली हुई थीं.
मैं उसे तिरछी नजरों से देख रहा था, वो भी बार बार मेरी तरफ ही देख रही थी.
कुछ देर बाद वो ही मेरे पास आकर बोली- आप कहां जा रहे हैं?
मैंने उसे गांव का नाम बोल दिया.
वो बोली- वो तो हमारे गांव से पच्चीस किलोमीटर आगे है. यहां से मेरा गांव बीस किलोमीटर दूर है. क्या आप मुझे वहां तक छोड़ सकते हैं?
यह सुनकर मैं मन ही मन खुश हो गया था.
ऐसे बारिश के मौसम में एक लड़की साथ में हो, तो सफर में कितना मजा आएगा.
मैं यही सब सोच रहा था.
एक तो मैं कमर के नीचे पूरा भीग गया था, मेरा लंड पूरी तरह से सिकुड़ गया था.
मगर उसका साथ पाकर मेरे लंड में हल्की सी सुगबुगाहट होने लगी थी.
उसने कहा- आपने जवाब नहीं दिया सर?
तो मैंने हड़बड़ाकर कहा- हां हां क्यों नहीं मैडम, मुझे क्या दिक्कत होगी. मुझे कौन सा आपको अपने कंधे पर बिठाकर ले जाना है.
तो वो मुस्कुराती हुई बोली- आप भी ना … बहुत मजाकिया हो.
मैंने कहा- जरा पानी कम हो जाए तो चलते हैं.
वो राजी हो गई.
अब हमारे बीच बातें होने लगीं.
उसने मेरे बारे में पूछा, तो मैंने अपना नाम सहित उसे अपनी पूरी पहचान बता दी.
वो भी अपने बारे में बताने लगी.
वो बोली- मेरा नाम नीता है. मैं बारहवीं तक पढ़ी हूँ. मैं जब आठ साल की थी, तो मेरी मां और पिताजी बीमारी से गुजर गए थे.
मैंने कहा- अरे फिर आपके घर में और कौन है?
वो- और कोई नहीं था, तभी से मेरे मामा ने ही मुझे संभाला है. मेरे मामा इसी गांव में रहते है. मैं उनसे मिलने आयी थी. जब मैं बीस साल की हुई, तभी मेरे मामा ने मेरी शादी एक अच्छा सा लड़का देखकर कर दी. लड़का अच्छा था. उसकी मां नहीं थी. सिर्फ पिताजी ही थे.
मैंने कहा- ओके.
वो- अरे काहे का ओके … मेरी शादी सिर्फ नाम के लिए शादी थी. मेरा पति और ससुर दोनों को ही शराब पीने की आदत थी. ये बाद में पता चला था. लेकिन अब ये सब रोने से क्या फायदा?
मैं इस बार चुप था.
वो- फिर शादी के बाद मेरे ससुर का लीवर खराब होने से वो चल बसे. उसके बाद मेरा पति और ज्यादा पीने लगा था. मैं उसे अपने नजदीक भी नहीं आने देती थी. मुझे शराब पीने वालों से सख्त नफरत थी. और देखो, मेरे नसीब में मेरा पति ही शराबी निकला. कितना समझाने पर भी वो नहीं माना और हर समय टुन्न ही रहने लगा.
‘फिर?’
‘फिर क्या … हमारी शादी के एक साल बाद ही वो भी गुजर गया.’
मैं चौंका- अरे … फिर?
वो- फिर मैं अकेली पड़ गयी. थोड़ी बहुत खेती है और बच्चों की क्लास लेकर और लड़कियों की सिलाई क्लास लेकर मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ. मेरे मामा मुझे बहुत मदद करते हैं.
उसकी दर्द भरी कहानी सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा.
मैंने उससे कहा- मैडम आपके साथ तो बहुत ही बुरा हुआ है. आप जैसी खूबसूरत और समझदार लड़की की जिंदगी में इतना दर्दनाक हादसा सुनकर मुझे बहुत बुरा लग रहा है. फिर भी आप इतना सब सहकर अपने पैरों पर डटकर खड़ी हो. मुझे आप पर बहुत नाज है मैडम.
वो बोली- सर, अब मेरी तारीफ करना बंद करो और ये मैडम मैडम क्यों कह रहे हो. हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है. आप मुझे नीता ही बोल सकते हो.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- अच्छा ठीक है नीता. लेकिन तुम भी मुझे हर्षद ही कहोगी.
वो मुस्कुराती हुई बोली- हां ठीक है हर्षद. अब चलो बारिश कम हो गयी है. शाम गहराने लगी है और अंधेरा भी छाने लगा है.
मैंने अपनी जैकेट निकालकर नीता को दे दी और उससे कहा- तुम इसे पहन लो. तुम आगे से भीग गयी हो. बाईक पर तुम्हें ठंडी हवा लगेगी और बारिश का भी कुछ भरोसा नहीं है. इसकी तुम्हें ज्यादा जरूरत है. वैसे भी मैं तो कमर से नीचे पूरा भीग गया हूँ, तो मुझे और ज्यादा भीगने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
उसने मेरी जैकेट पहन की और अपने सर पर टोपी ओढ़कर वो मेरे पीछे बैठ गयी.
अब हम दोनों निकल पड़े.
हल्की सी बारिश और ठंडी हवा चल रही थी.
मैं बाईक तेज गति से चलाने लगा था तो नीता को ठंड लगने लगी थी.
उसने मुझे कस कर पकड़ कर रखा था, उसके दोनों हाथ मेरी कमर पर थे.
नीता की भीगी हुई चूचियां मेरी पीठ पर चुभ रही थीं.
मेरा लंड पूरी तरह से भीगकर सो गया था, वो अब फन उठाने लगा था.
इतने में नीता मेरे कान में बोली- हर्षद, जरा आहिस्ता से बाईक चलाओ ना, मुझे ठंड लग रही है.
मैंने बाईक की गति कम कर दी.
रास्ता भी थोड़ा खराब था तो नीता की चूचियां मेरी पीठ पर और ज्यादा रगड़ने लगी थीं.
मुझे मजा आ रहा था.
नीता मुझसे एकदम सटकर बैठी थी. उसकी जांघें मेरी जांघों पर रगड़ रही थीं.
मैं गर्म होने लगा था.
शायद नीता भी गर्म हो गयी थी. अब उसका एक हाथ मेरी जांघों पर आ गया था.
खराब रास्ते की वजह से नीता की चूचियां, पेट, जांघें मेरे बदन को कुछ ज्यादा रगड़ने लगी थीं.
अब उसकी उंगलियां मेरे सोये हुए लंड को स्पर्श करने लगी थीं, तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी.
नीता ने मेरे कान के नजदीक अपना मुँह लाकर पूछा- कितने बजे हैं हर्षद?
मैंने हाथ की घड़ी देखकर उसकी तरफ अपना मुँह मोड़कर कहा- सात बजे हैं.
तभी उसी समय एक गड्डा आया और मेरे भीगे हुए एक गाल पर नीता के गुलाबी और कोमल होंठों का स्पर्श हो गया.
हम दोनों शर्माकर मुस्कराने लगे.
इतने में बारिश भी तेज होने लगी थी और ठंडी हवा भी तेज चलने लगी थी.
रुकने के लिए भी कोई जगह नहीं थी.
वो एकदम ठंड से ठिठुरने लगी थी, जिस वजह से उसने मेरे बदन से अपने बदन को चिपका लिया था.
हम दोनों के बीच गर्मी का अहसास बढ़ने लगा था.
आगे जाने पर हमें एक होटल दिखायी दिया तो मैंने वहीं बाईक रोक दी और हम दोनों होटल में चले गए.
मैं तो पूरा भीग गया था.
नीता भी आगे से पूरी भीग गयी थी.
हम दोनों को भी ठंड लग रही थी.
होटल में हम दोनों एक कोने में जाकर बैठ गए.
वेटर ने आकर पूछा- सर क्या ले आऊं?
मैंने नीता से पूछा- कुछ नाश्ता करोगी? मुझे तो बहुत भूख लगी है.
वो बोली- हां हर्षद, मुझे भी भूख लगी है.
मैंने वेटर को गर्म नाश्ता और चाय लाने की कह दी.
तब तक हम दोनों बातें करने लगे.
मेरी नजर बार बार नीता की चूचियों पर जा रही थी.
नीता आगे से पूरी तरह से भीग चुकी थी. उसकी कमीज भीगकर उसकी चूचियों पर और पेट पर चिपक गई थी.
नीता ने अन्दर से ब्रा पहनी थी लेकिन उसके आधे से कम चूचियां बाहर उभर रही थीं.
कमीज चिपक जाने से उसकी चूचियां और क्लीवेज साफ दिखाई दे रहा था.
नीता ने अपने दुपट्टे से अपने चेहरे पर का और गले पानी पौंछ कर दुपट्टा मुझे दे दिया.
वो बोली- लो तुम अपना चेहरा और बाल सुखा लो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे.
मैंने उसका दुपट्टा लेकर अपना चेहरा और बाल साफ कर दिए और दुपट्टा टेबल पर रख दिया.
नीता मेरी तरफ देखकर बोली- हर्षद, तुम बार बार मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?
मैंने कहा- तुम आगे से पूरी तरह से भीग गयी हो नीता. वही देख रहा था. तुम्हें तो ठंड लग रही होगी.
वो मुस्कुराती हुई बोली- अच्छा! मुझे पता है, तुम कुछ और ही देख रहे थे.
मैंने शर्माते हुए कहा- ऐसा कुछ नहीं नीता.
वो मुस्कुराती हुई आगे बोली- हर्षद, इसमें शर्माने की क्या बात है. तुम एक जवां मर्द हो और हर एक मर्द अपनी पसंद की चीजें देखता है. मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
इतने में वेटर नाश्ता और चाय लेकर आ गया और हम दोनों ने गर्म गर्म नाश्ता खाकर चाय पीना शुरू कर दी.
अब हमारे दोनों के शरीर की थकावट दूर हो गयी थी.
मैंने नीता से कहा- अब चलें?
नीता बोली- हां चलो. अब आधा घंटा में हम दोनों मेरे घर पहुंच जाएंगे. हर्षद अब बारिश हो या ना हो, हम कहीं नहीं रुकेंगे.
मैंने कहा- हां ठीक है.
मैंने होटल का बिल चुकाया और हम दोनों बाहर आ गए.
मैंने घड़ी में समय देखकर नीता से कहा- अभी साढ़े सात बजे हैं, कितनी देर का रास्ता और समझें.
वो बोली- आधे घंटे में घर पहुंच जाएंगे.
अब बारिश भी कम हो गयी थी.
मैंने बाईक स्टार्ट की.
नीता मुझे सटकर बैठ गयी और हम निकल पड़े.
थोड़ी दूर जाने के बाद नीता ने अपने एक हाथ से मेरी कमर को कस लिया और दूसरा हाथ मेरी जांघों पर रख दिया.
वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगलियों से मेरे लंड को सहलाने लगी.
मुझे अच्छा लग रहा था.
रास्ता खराब था और रास्ते पर पानी बह रहा था तो मालूम नहीं पड़ता था कि किधर गड्डा है और किधर नहीं.
किसी गड्डे में बाइक अचानक से गिरती तो नीता की चूचियां मेरी पीठ पर जोर से रगड़ जाती थीं.
ऐसे ही एक जगह बाईक गड्डे में जाकर ऊपर आयी तो हम दोनों ही उछल गए.
इसी का फायदा लेकर नीता ने अपना हाथ जांघों पर से सीधा मेरे लंड पर रख दिया.
मुझे अच्छा लग रहा था, पीछे से नीता अपनी चूचियां मेरी पीठ पर रगड़ रही थी. साथ में वो अपनी जांघें भी मेरी जांघों पर रगड़ रही थी.
वो मुझे गर्म करने लगी थी.
दोस्तो, बारिश का मौसम … खुला रास्ता … तेज रफ्तार से चलती बाइक और पीछे अंजान जवान लौंडिया लंड सहलाती हुई चूचियां पीठ से रगड़ रही हो, तो क्या मुकाम हासिल होगा, ये आप अंदाजा लगा सकते हैं.
आप इस बात का अंदाजा लगाएं कि अंजाम क्या हुआ … और मुझे मेल लिखें. मैं तब तक रेन गर्ल सेक्सी कहानी का अगला भाग लिखता हूँ.
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