School Girl Hot Sex Kahani – दीदी ने अंकल से चूत चुदवा ली


स्कूल गर्ल हॉट सेक्स कहानी मेरी दीदी की चूत चुदाई की है. दीदी ने मम्मी के चोदू यार से ही अपनी चूत भी चुदवा ली. मम्मी को जब पता लगा तो उन्होंने क्या किया?

कहानी के पिछले भाग
मम्मी की चूत चुदाई देखी अंकल से
में आपने पढ़ा कि मेरी दीदी की कामुकता पूरे जोश में थी, वो अपने यार से, मुझसे चुदवा चुकी थी. मम्मी को छोड़ने उनका यार आया हुआ था तो मैंने मम्मी की चुदाई देखी. दीदी का मन हो रहा था कि वो भी मम्मी के चोदू यार के लंड का मजा ले.

अब आगे स्कूल गर्ल हॉट सेक्स कहानी:

मम्मी की चुदाई देखने के बाद मैं दीदी से लिपट कर सो गया।

अचानक मेरी आंख खुल गई और लगा कि मुझे कोई हिला कर जगा रहा है।
मैं रजाई के अंदर सिर करके अकेले ही सो रहा था, दीदी नहीं थी।

लेकिन दीदी रजाई से बाहर बिस्तर पर ही थी और हिल रही थी।
मैं समझ गया कि अंकल दीदी को चोद रहे हैं।

दीदी ने उठने को मना किया था तो मैंने अपने सिर को रजाई के अंदर ही रखा।

अंकल फुसफुसा रहे थे- बहुत दिनों से तुम्हारी सील तोड़नी चाह रहा था लेकिन तुम तो चुदा ली पहले ही। किसने चोदा?
दीदी बोली- गप्प न मारो, जल्दी करो। मम्मी उठ जाएगी तो पकड़ लेगी। बाबू उठ जाएगा तो देख लेगा।
“तेरी मम्मी चुदाई के बाद बेहोश सोती है, नहीं उठेगी। बाबू को पटा लेंगे, तेरा तो प्यारा-सा भाई है।”

“इसी के साथ चुदाने जाती हो ना तुम? या स्कूल में कोई मास्टर चोद दिया? बता ना? बता … नहीं तो मम्मी को बोल दूंगा कि तेरी बुर पहले से ही चुदी हुई है, फिर सोच लेना।”
“जाइए बोल दीजिए और छोड़िए! मम्मी चुदवाएगी तो मैं नहीं चुदाऊंगी क्या? चलिए छोड़िए, जाइए मम्मी के पास, उसी को चोदिए जाकर!”

“तुम तो गुस्सा हो गई! नहीं बोलूंगा भाई, मुझे भी तो गाली देगी और कहीं तेरे पापा को बोल दी तो बस … राम नाम सत्य हो जाएगा।” अंकल बोले.
दीदी बोली- चुपचाप चोदो ना जल्दी, बात दिन में कर लेना।

और अंकल चुपचाप चोदने लगे।

स्कूल गर्ल हॉट सेक्स करती हुई अब ज्यादा हिलने लगी थी मतलब तेजी से चुदाई चालू हो गई।

दीदी बोली- मुंह में पानी पिलाना, अंदर मत डालना।
“सब सीख लिया तुमने तो?”
“तुम लोगों ने ही सिखाया है दिखा दिखा के … हुआ या नहीं? जल्दी करो ना!”

दीदी अब ऊंह आह कर रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद अंकल बोले- मुंह खोलो, पानी पी लो।
दीदी का मुंह चपर उपर आवाज करने लगा.

फिर अंकल बोले- बुर देती रहना प्रभा, तुम्हारी बुर तेरी मम्मी से बढ़िया है।
इसके बाद फिर अंकल चले गए।

अंकल के जाते ही मैं उठकर बैठ गया।

लाईट जल रही थी और दीदी के पूरे बदन पर तेल लगा हुआ था। दीदी का बदन तेल से चमक रहा था।

दीदी उठकर कपड़े पहनने लगी और मुझे देख देख कर मुस्कुराने लगी।
कपड़े पहन कर वो बाथरूम चली गई फिर आकर लाईट बंद कर दी और मुझे पकड़ कर रजाई ओढ़ ली।

“तुम तो सो ही रहे थे, बड़ी मस्त चुदाई हुई। तभी मम्मी अंकल से चुदाती है। कब जागा था?”
“जब अंकल पूछ रहे थे कि किससे चुदाई पहले?”

“अब सोने दे, अंकल के चक्कर में सोई नहीं। तू भी सो जा, अभी बहुत रात है।”
और हम दोनों भाई-बहन लिपट कर सो गए।

मैं सूरज उगते समय उठा और कमरे से बाहर निकला।
मम्मी आंगन में झाड़ू लगा रही थी।

मैंने संडास में जाकर पेशाब किया और बरामदे में आकर बैठ गया।

बाहर वाले कमरे में अंकल सोते दीख रहे थे।

मम्मी झाड़ू रख कर हमारे रूम में गई और तेल का मलिया लेकर निकली, पूछने लगी- तेल कौन रखा वहां?
मैंने कहा- दीदी में रखी होगी।

“कब ले गयी मेरे कमरे से? रात में उठकर तेल लगा रही थी?” मम्मी फिर और नहीं बोली।

मैं समझ गया कि तेल तो अंकल लेकर आए होंगे और यहीं छोड़ कर चले गए।
दीदी तो फंस जाएगी, उसको बचाना होगा.
ऐसा सोच कर मैं दीदी के पास फिर रजाई में घुस गया।

मैंने दीदी को हिलाकर जगाया और धीरे से बताया- मम्मी को तेल का मलिया यहां मिला है, बोल देना तुम लाई थी, नहीं तो फंसेगी।
दीदी ने मेरे गाल पर चूम लिया और ‘ठीक है’ बोल कर फिर आंखें बंद कर लीं।

मैं भी आंख बन्द कर सोने लगा।

थोड़ी देर बाद मम्मी आकर रजाई उघाड़ कर बोली- बाबू फिर सो गया? ये तो घोड़ी है, तू भी उठ कर सो गया! चल उठ!
फिर दीदी को ध्यान से देखने लगी.

दीदी के कंधों को छुआ तो मम्मी के हाथ में तेल की चिकनाई लगी।
मैं देख रहा था, मम्मी सिर झुका कर सोचने लगी।

फिर मम्मी ने दीदी की फ्राक में नीचे हाथ घुसा दिया धीरे से और दीदी के पेट-पीठ पर हाथ फिरा कर निकाल लिया और हाथ को देखने लगी।

तभी दीदी ने आंखें खोली और बोली- क्या करती हो मम्मी, सोने दो ना!

“क्यों? रात को मालिश करवाने के लिए जाग रही थी? तो अभी नींद आ रही है? तुम एकदम बिगड़ गई हो, आने दो पापा को … वहीं ठीक करेंगे तुमको!”
बोलकर मां चली गई बाहर कमरे में अंकल के पास।

मैं मम्मी के पीछे-पीछे बरामदे में आकर खड़ा हो गया था, दीदी सर पकड़ कर बिस्तर पर ही बैठी थी।

मम्मी अंकल को उठाते हुए बोली- चलो जाओ, अब मत आना मेरे यहां। तुमको मना किया कितनी बार लेकिन तुम नहीं माने। कर दी ना प्रभा की पूरी मालिश। इसके पापा में ही गलती है। हे भगवान! मैं क्या करूं?
और फर्श पर बैठकर रोने लगी।

अंकल बाहर चले गए।

मम्मी रोते रोते अपने रूम में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

कुछ देर तो दीदी सकते में बैठी रही, फिर मम्मी के कमरे के सामने आई उठकर और दरवाजा खटखटाते हुए रोने लगी।
रोते हुए बोली- मम्मी दरवाजा खोलो ना … गलती हो गई लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। सच्ची, विश्वास करो, सब अंकल ने ही किया जबरन। दरवाजा खोलो ना, अब नहीं करुंगी।

और दीदी दरवाजे से टेक लगा जोर से रोने लगी।
फिर उठी और अपने कमरे में जा कर बीच वाले दरवाजे के छेद से झांकने लगी। फिर बरामदे में आकर मम्मी का दरवाज़ा हल्के हल्के लगातार पीटने लगी और रोने जैसी आवाज में बोलने लगी- खोलो ना मम्मी, खोलो ना मम्मी। अब बात भी नहीं करूंगी अंकल से, बहुत गंदे हैं! तुम्हारी मालिश भी ऐसे ही करते हैं ना। पहले ही भगा देती तो मेरी मालिश नहीं करते।

और दीदी ने मुझे आंख मारी।

मैं आश्चर्य से दीदी की सारी हरकतें देख रहा था.
अब समझ में आता है कि छंटी हुई छिनाल थी दीदी और हमेशा चुदाई के चक्कर में ही लगी रहती थी. वो मम्मी की चुदाई देख देख कर चुदक्कड़ बन गई थी।

मम्मी के दरवाजा बंद करने से मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था।
मैं भी दरवाजा पीट पीट कर बोलने लगा- खोल न मम्मी, खोल ना! क्या हो गया जो अंकल दीदी की मालिश कर दिए, तेरी भी तो करते ही हैं। खोल ना, दीदी अब नहीं कराएगी बोली तो!

मम्मी ने दरवाजा खोल दिया।

हम दोनों भाई-बहन मम्मी से लिपट गये.
मम्मी रो ही रही थी।

मैं बोला- चुप हो जा मम्मी। दीदी बोली ना कि मालिश नहीं करायेगी, फिर क्यों रो रही है! देख दीदी भी रो रही है।

मम्मी ने बैठ कर मुझे गले लगा लिया- तुम अभी नहीं समझोगे बेटा, जो हुआ, नहीं होना चाहिए था। सब तेरे पापा की गलती है। पापा से दीदी की मालिश वाली बात हम तीनों में से कोई नहीं बताएगा।
और फिर दीदी के बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ हिलाते हुए कहा- बहुत मन करता है मालिश का? पापा से बोल देती हूं तेरी शादी करा देंगे, खूब कराती रहना।

फिर मम्मी ने उठकर चूल्हे में कोयला डालकर सुलगा दिया और संडास चली गई।

मैंने दीदी की तरफ देखा.
तब दीदी धीरे से बोली- बस हो गया मम्मी का नाटक खत्म। अंकल से अब अगर मम्मी चुदाएगी तो देख लेना मेरे को भी मम्मी ही चुदाने बोलेगी अंकल से! मम्मी पता नहीं आज निकलने देगी या नहीं। आज स्कूल की छुट्टी है, अगर नहीं निकल पाई तो तुम उमेश को बोल देना जा कर कि कल स्कूल का पूरा समय धीरज के यहां रहेंगे।

मम्मी हाथ पैर धोकर आई और बोली- दोनों बैठे क्यों हो? जाओ दोनों लैट्रिन करके ब्रश करो, चाय और परोंठा बनाती हूं।

दोनों भाई-बहन लोटा उठाने लगे तो मम्मी बोली- तू अब बाहर लैट्रिन नही जाएगी, संडास में जा। और बाबू अंकल को दूध लाने बोल देना।
मैं अकेले लोटा लेकर चल दिया।

अंकल बाहर घर के सामने ही बैठ कर दातुन कर रहे थे।
मैंने अंकल को दूध लाने बोल दिया और घर के पीछे ही लैट्रिन करके तुरंत लौट आया।

चूल्हे पर मम्मी पानी रख चुकी थी नहाने के लिए!
दीदी ब्रश कर रही थी।

मैं भी ब्रश करने लगा तो मम्मी दीदी से बोली- कपड़े लेकर बाथरूम में चलो, पहले तुम दोनों नहा लो फिर मैं भी नहाऊंगी। तब नाश्ता बनेगा।

दीदी ने मुझे नहला दिया तो मम्मी आ गई बाथरूम में, मुझे कपड़े पहन कर धूप में बैठने बोली।
बाथरूम के पास ही धूप आ रही थी, तो मैं वहीं पर खड़ा रहा।

मम्मी ने दरवाजा भिड़ा दिया और बोली- चल दिखा मुझे सिपाही ने क्या किया है?
“नहीं मम्मी, तुम जाओ ना। मैं नहा लूंगी।”
“देखूं तो कितनी बड़ी हो गई है! चल दिखा … खोल!”

मम्मी की आवाज़ फिर आई- इतनी बड़े बड़े बाल हैं, साफ क्यों नहीं करती? रुक आती हूं, तब तक नहा!
और मम्मी निकल कर अपने रूम में चली गई और एक डब्बा लेकर आई।

फिर बाथरूम में जाकर बोली- आ, साफ कर ले, इसको हमेशा साफ रखना चाहिए।

थोड़ी देर बाद दीदी एक साया चूची के ऊपर तक बांध कर निकली और कमरे में चली गई।
फिर सिर्फ समीज पहन कर आई और साया मम्मी को बाथरूम में दे दी।

मेरे पास धूप में खड़ी होकर दीदी ने मुझे अपनी बुर दिखाई जिसपर अब एक भी बाल नहीं था।
फिर दीदी कमरे में जाने लगी.

तभी सिपाही अंकल दूध का डब्बा लेकर बरामदे में आए और दीदी को देखने लगे।

दीदी ने आगे से समीज उठा कर अंकल को दिखाया और कमरे में चली गई।
अंकल भी कमरे में घुस गये।

मैं भी दौड़ कर गया कि ये चुदाई न करने लगें फिर … अभी इतना हंगामा हुआ है।

अंकल दीदी की बुर सहला रहे थे, मेरे कमरे में घुसते ही अलग होकर बाहर चले गए।

दीदी मुझे देख कर हंसते हुए बोली- एकदम चिकनी हो गई है ना? छुएगा?
मैंने सहमति में सिर हिलाया और छूकर सहला दिया।

दीदी ने सलवार पहनते हुए कहा- मम्मी ने साफ किया है।
“अंकल तो बुर भी चाटते हैं, अब चाटेंगे जरूर तेरी चिकनी बुर! मम्मी चाटने देगी तब ना!” मैं बोलकर आंगन में चला गया।

अंकल ने दूध रख दिया था चूल्हे पर गर्म होने के लिए और आग सेंक रहे थे चूल्हे से।
मैं भी वहीं बैठ कर आग सेंकने लगा।

“मम्मी नहा रही है, चाय बनाएं क्या?” अंकल ने पूछा.
मैं बोला- हां, थोड़ा ज्यादा बनाइए। अभी चाय के साथ परांठा खाना है।

अंकल ने दूध उतार कर चाय बनाना शुरू किया और आटा गूंथने लगे।
दीदी अपने कमरे में बैठ कर हमें देख रही थी।

फिर मम्मी बाथरूम से निकली तो दीदी छिप गयी।

मम्मी चूचियों के ऊपर साया पकड़े निकली थी, बोली- आती हूं तो परांठा बनाती हूं।

और मम्मी कमरे में चली गई और साड़ी ब्लाउज पहन कर आ गई।

चाय खौल रही थी।
मम्मी ने चाय उतार दी और बोली- बाबू, तुम खा लो और बैठ कर पढ़ो।

फिर मम्मी अंकल से बोली- बिना मुझे बताए प्रभा की मालिश करके अच्छा नहीं किया। तुम बहुत हरामी हो। उसके पापा जानेंगे तब?
सिपाही अंकल सिर झुकाए हुए बोले- अब तो जो हो गया सो हो गया मालकिन, साहब को मत बोलिएगा।

“जाइए जाइए … कोई नहीं बताएगा उनको!” मम्मी अंकल की आंखों में देखते हुए बोली- बहुत ताकत है ना, जाइए अभी मालिश कर दीजिए मेरे कमरे में। बाबू परांठा खाकर अपने कमरे में पढ़ेगा। तब तक परांठा बन जाएगा फिर सब लोग नाश्ता करेंगे।

अंकल बोले- मैं तो गुलाम हूं आपका, जो बोलेंगी करुंगा।
और उठकर दीदी के कमरे में चले गए।

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