सेक्सी लेडी हिंदी हॉट स्टोरी में पढ़ें कि मेरे भाई की शादी में उनके ऑफिस कुलीग और बॉस भी आये. भाई के बॉस की नजर मेरे जिस्म पर थी. मुझे मस्ती सूझी तो मैं भी उन्हें लाइन देने लगी.
नमस्कार दोस्तो।
मैं कोमल शर्मा अपनी नई कहानी में आप लोगों का स्वागत करती हूं।
आप सभी ने मेरी पिछली कहानी
टूरिस्ट गाइड का सेक्स अनुभव
पढ़ी और उसके बाद मुझे सैकड़ों की संख्या में मेल आये और काफी लोगों ने मुझसे कहा कि मैं अपनी खुद की कोई कहानी भेजूं।
इसलिए आज आप लोगों के लिए मैं अपनी सेक्सी लेडी हिंदी हॉट स्टोरी लेकर आई हूं कि मेरे साथ अभी कुछ दिन पहले ही घटित हुई थी जब मैं अपने भाई की शादी में शामिल होने के लिए गई हुई थी।
अभी मैं कुछ दिन के लिए अपने भाई की शादी के लिए मायके गई हुई थी।
वहाँ मैं करीब 20 दिन रुकी और इस बीच मेरा एक मर्द के साथ मिलना हुआ और उनके साथ मैंने दो रात बिताई।
हुआ यूं था कि पहले तो मैं अपने मायके गई और वहाँ कुछ दिन रुकने के बाद हम सभी परिवार के लोगों को शादी के लिए लड़की वालों के शहर जाना था।
वहाँ हम लोगों को 6 दिन रुकना था और शादी की सारी रस्में वहीं होनी थी।
वहाँ हम लोगों ने एक होटल बुक किया था जहाँ पर शादी होनी थी।
होटल में करीब 30 कमरे हम लोगों ने बुक किये थे।
28 जून को हम लोग वहां पहुँच गए।
मेहमानों की देखभाल करने के लिए मेरे पापा ने मुझे और मेरी एक चचेरी बहन को कहा था।
तो सभी के रहने खाने की देखभाल मैं और मेरी चचेरी बहन कर रही थी।
हम लोगों को वहाँ रुके एक दिन हुआ था और मेहमानों का आना शुरू हो गया था।
अगली सुबह मेरे भाई ने मुझसे कहा- मेरे ऑफिस से मेरे कुछ दोस्त और मेरे कुछ अधिकारी आने वाले हैं. तुम उनके लिए 4 कमरों का इंतजाम कर देना और उसकी अच्छे से साफ सफाई करवा देना।
उसके कहने के अनुसार मैंने 4 कमरे तैयार करवा दिए।
उसी दिन शाम को मेरा भाई मेरे पास आया और बोला- मेरे दोस्त लोग आ चुके हैं. तुम उन्हें लेजाकर उनके कमरे में रुकवा दो।
मैं बाहर गई और उनसे मिली.
वे 6 लोग थे जिनमें से दो अधिकारी थे और 4 मेरे भाई के साथ काम करने वाले थे।
मैंने उन्हें ऊपर के कमरे की तरफ चलने को कहा और मैं चाभी लेकर उनके आगे आगे चलने लगी।
दोनों अधिकारियों को मैंने अलग अलग सिंगल बेड कमरे में ठहरवा दिया और बाकी 4 लोगों को दो डबल बेड कमरे में रुकवा दिया।
फिर मैंने उनके कमरे में नाश्ता पानी भिजवाया और उन सब से बोली- आप लोगों को किसी भी प्रकार की कोई भी जरूरत होगी तो आप मुझसे कह दीजिएगा।
उन सब में जो 4 लोग थे उन्हें हिंदी अच्छे से आती थी लेकिन जो 2 अधिकारी थे उनकी हिंदी उतनी अच्छी नहीं थी क्योंकि वे दोनों ही कर्नाटक के रहने वाले थे।
उस दौरान मैंने गौर किया कि सभी पांच लोग की नजर नार्मल थी लेकिन उनमें से एक की नजर मेरे बदन को गौर से देख रही थी।
मैं उस वक्त साड़ी पहनी हुई थी और उसकी नजर बार बार मेरी कमर और मेरी नाभि को देख रही थी।
पता नहीं क्यों लेकिन मैं लोगों की नजर जल्दी ही भाम्प जाती हूं।
और उसकी नजर में मेरे प्रति एक हवस की झलक मुझे साफ दिखाई दे रही थी।
नाश्ते के बाद मैं उनके कमरे से वापस आ गई और शाम के कार्यक्रम की तैयारियों में लग गई।
उस दिन संगीत का कार्यक्रम था और होटल के हाल में हम सभी महिलाएं इकट्ठा होने लगी।
हाल के बीच में सभी महिलाएं जमीन पर बैठकर संगीत का कार्यक्रम कर रही थी और चारों तरफ कुर्सियां लगी हुई थी जिसमें परिवार के अन्य सदस्य बैठे हुए थे।
कुछ देर बाद मेरे भाई के सभी दोस्त अपने अपने कमरों से तैयार होकर आए और वे भी आकर कुर्सी पर बैठ गए और कार्यक्रम देखने लगे।
उस वक्त मैंने लाल रंग की एक साड़ी पहनी हुई थी और गहरे गले का ब्लाउज पहनी थी।
मैं भी सभी औरतों के साथ बैठकर कार्यक्रम का मजा ले रही थी।
जहाँ पर मैं बैठी हुई थी वहीं पर ठीक सामने की कुर्सी पर मेरे भाई के ऑफिस के दोनों अधिकारी बैठे हुए थे।
बाकी के दोस्त अलग तरफ बैठे हुए थे।
उनमें से एक अधिकारी जिनकी नजर पहले भी मैंने भाम्प ली थी, वे लगातार मुझे ही देखे जा रहे थे।
मैंने गौर किया कि उनकी नजर मेरी साड़ी से दिख रही कमर पर जा रही थी और सामने से झलक रहे मेरे दूध पर!
मैं भी आदत से मजबूर थी तो मैंने उन्हें तड़पाने की ही सोच ली और जानबूझकर अपनी कमर को नहीं ढकी; इसके साथ ही अपना आँचल और नीचे सरका दिया जिससे मेरे दूध की लाइन उन्हें दिखने लगी।
वे लगातार मुझे देख रहे थे और मैं उन्हें बिल्कुल अनदेखा कर रही थी जैसे मुझे कुछ पता ही न हो।
बीच बीच में तिरछी नजरों से उनकी तरफ देखती और वे बस मुझे ही देख रहे होते थे।
फिर मैंने उनसे नजरे मिलानी शुरू कर दी और अब वे बार बार मुझे देख हल्की स्माइल देने लगे।
मैं भी अब उन्हें थोड़ा भाव देने लगी और मैं भी स्माइल करते हुए उन्हें देखने लगी.
जब तक संगीत का कार्यक्रम चला, वे वहीं पर बैठे रहे।
इसके बाद सब लोग खाना खाने के लिए दूसरे हाल में चले गए।
वहाँ पर सभी लोग अपनी अपनी प्लेट लिए हुए खाना खाने में व्यस्त थे।
मैं भी अपनी प्लेट में खाना लेकर एक कुर्सी पर बैठकर अपनी एक रिश्तेदार के साथ खाना खा रही थी।
कुछ देर बाद मेरी वो रिश्तेदार चली गई और मैं वहाँ पर अकेली बैठी हुई खाना खा रही थी।
मुझे अकेली देख वे मेरे पास आ गए और मेरे सामने बैठकर मुझसे बात करते हुए खाना खाने लगे।
उन्होंने मेरा नाम पूछा और मैंने भी उनका नाम पूछा।
बातों बातों में उन्होंने बताया कि वे कर्नाटक के रहने वाले हैं।
उनसे उतनी अच्छी हिंदी नहीं आ रही थी लेकिन जितनी भी आ रही थी मैं समझ लेती थी।
काफी देर तक हम दोनों वहीं बैठे रहे, खाना खाया और बातें की।
इसके बाद जब मैं जाने लगी तो उन्होंने मुझसे कहा- अगर मुझे किसी तरह की कोई जरूरत पड़ी तो क्या मैं आपके नम्बर पर फोन कर सकता हूँ?
मैंने भी बिना किसी झिझक के उन्हें कॉल करने के लिए कह दिया।
उनके पास मेरा जो नम्बर था उसमें व्हाट्सएप भी है।
सभी कामों से फुर्सत होने के बाद मैं अपने कमरे में चली गयी।
वहाँ मैं रात में अपनी मम्मी के साथ सोती थी।
मैं कमरे में गई और साड़ी उतार कर नाईट गाउन पहनकर फोन देखने लगी।
मैंने देखा कि मेरे व्हाट्सएप पर कुछ मैसेज आये हुए थे जिनमें से एक नया नम्बर था जो कि मेरे फोन में सेव नहीं था।
उसमें लिखा था कि जब भी आप फुर्सत हो मुझे मैसेज करिए।
मैंने भी उसका जवाब देते हुए लिखा “आप कौन?”
जल्द ही वहाँ से मैसेज आया और एक फोटो आई.
मैंने देखा कि वो फ़ोटो रेड्डी जी की है.
मैं समझ गई कि ये उनका नम्बर है।
फिर वहां से मैसेज आया- क्या आप मेरे लिए पीने के पानी का प्रबंध कर सकती है क्योंकि मेरे रूम में पानी नहीं है।
मैंने ओके लिखकर हाँ कह दिया।
इसके बाद मैंने पहले सोचा कि किसी को कह कर पानी भिजवा ड़ूं लेकिन उनका कमरा ज्यादा दूर नहीं था इसलिए मैं खुद बोतल लेकर उनके कमरे की तरफ चली गई।
मैं उस वक्त गाउन में थी और दुपट्टा भी नहीं डाला हुआ था।
मेरे दोनों दूध सामने से तने हुए थे।
मैंने कमरे के बाहर खड़ी होकर घण्टी बजाई और रेड्डी जी ने दरवाजा खोला।
सबसे पहले उनकी नजर मेरे सीने पर गई।
मुझे देख उनकी नजर में एक अलग ही चमक थी।
वे उस वक्त हाफ पैंट और बनियान में थे।
मैंने उन्हें पानी दिया और जाने लगी।
उन्होंने कहा- कुछ देर रुकेगी नहीं क्या?
मैंने कहा- जी अभी नहीं क्योंकि अभी मुझे सोना है और कल सुबह जल्दी उठना है।
उन्होंने मुझे गुड नाईट कहा और मैं वहाँ से वापस अपने कमरे में आ गई।
अगले दिन कोई कार्यक्रम नहीं था और सभी लोग बिल्कुल फ्री थे इसलिए सभी लोग बाहर घूमने के लिए चले गए।
होटल में मैं मेरे भाई और मम्मी बस रुके हुए थे।
थोड़ा बहुत काम निपटाने के बाद मैं होटल के पीछे बने हुए गार्डन में टहलने के लिए चली गई।
मैं गार्डन में अकेली टहल रही थी.
कुछ देर में मैंने देखा कि रेड्डी जी भी वहाँ पर आ गए और मेरे पास आकर बोले- आप नहीं गई क्या बाहर घूमने?
मैंने उत्तर दिया- नहीं, मैं नहीं गई क्योंकि मम्मी के साथ कुछ काम करवाना था।
वे बोले- मैंने कमरे की खिड़की से तुम्हें यहाँ टहलते हुए देखा तो आ गया. अगर तुम बुरा न मानो तो मैं कुछ देर तुम्हारे साथ समय बिता सकता हूँ?
मैंने कहा- जी क्यों नहीं, वैसे भी मैं यहाँ अकेली बोर हो रही थी।
हम दोनों में बातें होने लगी और हम दोनों बात करते हुए गार्डन में टहलने लगे।
रेड्डी जी मुझसे मेरे पति और मेरे ससुराल के बारे में पूछने लगे.
और मैं भी उनसे उनके परिवार के बारे में पूछती रही।
उन्होंने बताया कि उनके घर में उनकी बीवी और दो बेटे है।
रेड्डी जी की उम्र 51 वर्ष थी।
गार्डन में कुछ देर टहलने के बाद हम दोनों वहीं पर एक कुर्सी पर जाकर बैठ गए।
बातें करते हुए रेड्डी जी ने कहा- कोमल, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारा चेहरा काफी अच्छा लगा मुझे … और तुम्हारा स्वभाव उससे भी अच्छा है।
अब उनको क्या पता था कि मैं उनके मन को पहले दिन ही भाम्प चुकी थी और उनकी नजर मेरे ऊपर थी, यह मैं जान चुकी थी।
ऐसे ही वो बीच बीच में मेरी तारीफ करते रहे और मैं बस मुस्कुराती हुई उनकी बात सुनती रही।
करीब एक घण्टे तक हम दोनों वहीं पर बैठे हुए बात किये और फिर वापस होटल में लौट आये।
इसके बाद मैं दोपहर का खाना खाने के बाद अपने कमरे में आराम करने चली गई।
मेरी मम्मी मेरी मौसी लोगों के साथ मार्केट चली गई और मेरे भाई अपने कमरे में सो रहे थे।
मैं कमरे में अकेली थी.
तभी मोबाइल में रेड्डी जी का मैसेज आ गया और हम दोनों के बीच चैटिंग शुरू हो गई।
काफी देर चैटिंग करने के बाद रेड्डी जी ने मुझसे कहा- क्या हम दोनों में दोस्ती हो सकती है?
मैं सब समझ रही थी लेकिन फिर भी मैंने कहा- देखिए हम दोनों की उम्र में काफी अंतर है, ऐसे में दोस्ती कैसे संभव है?
फिर भी रेड्डी जी मुझे मनाने के लिए जोर देते रहे और मैं जानबूझकर उन्हें टालती रही।
फिर मैंने सोचा कि दो चार दिन की तो बात है. इस बीच मेरा भी कुछ मनोरंजन हो जाएगा. वैसे भी रेड्डी जी कर्नाटक से कौन सा मुझसे रोज मिलने आएंगे।
कुछ देर बाद मैंने शर्त के साथ हाँ कह दिया कि आप यह बात अपने तक ही रखेंगे।
और इसके लिए वो भी तैयार हो गए।
उस दिन शाम 4 बजे तक हम दोनों की बातें होती रही इसके बाद मेरी मम्मी लोग मार्केट से वापस आ गए और मैंने चैटिंग बंद कर दी।
मैं बस यही सोच रही थी कि ये सब बस फोन तक ही सीमित रहने वाला है यहाँ ऐसा कुछ ज्यादा होने वाला नहीं है.
क्योंकि यहाँ ऐसा मौका ही नहीं मिलने वाला कि हम दोनों के बीच कुछ हो.
और शादी होने के बाद मैं अपने घर चली जाऊँगी और रेड्डी जी वापस कर्नाटक चले जायेंगे।
इसलिए 4 दिन बस ऐसे ही टाइम पास चलेगा।
लेकिन रेड्डी जी ने तो मुझसे भी आगे की सोच रखी थी।
आगे जो हुआ उसकी मुझे कोई भी उम्मीद नहीं थी क्योंकि इतने भीड़भाड़ में हम दोनों का मिलना नामुमकिन ही था।
लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था।
यह सेक्सी लेडी हिंदी हॉट स्टोरी पढ़ कर आपको अच्छा लगा होगा. पूरा मजा आगे के भागों में आयेगा.
[email protected]
सेक्सी लेडी हिंदी हॉट स्टोरी का अगला भाग: